एनएसई अनियमितता मामले में सीबीआई ने पूर्व अधिकारी आनंद सुब्रमनियन को गिरफ़्तार किया

बाजार नियामक सेबी की जांच में पता चला कि देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण नियमों का उल्लंघन करते हुए बाज़ार के वित्तीय अनुमानों, व्यावसायिक योजनाओं और बोर्ड के एजेंडे सहित महत्वपूर्ण जानकारियां एक कथित आध्यात्मिक गुरु से साझा करती थीं. उन पर आनंद सुब्रमनियन को अपना सलाहकार और समूह संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने में नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप है.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

बाजार नियामक सेबी की जांच में पता चला कि देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण नियमों का उल्लंघन करते हुए बाज़ार के वित्तीय अनुमानों, व्यावसायिक योजनाओं और बोर्ड के एजेंडे सहित महत्वपूर्ण जानकारियां एक कथित आध्यात्मिक गुरु से साझा करती थीं. उन पर आनंद सुब्रमनियन को अपना सलाहकार और समूह संचालन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने में नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप है.

(फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2018 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में अनियमितताओं को लेकर इसके पूर्व समूह संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमनियन को गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

इस मामले की जांच पिछले तीन वर्षों से चल रही है और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक ताजा रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने यह गिरफ्तारी की है.

सेबी की इस रिपोर्ट में एक रहस्यमयी योगी के बारे में पता चला है, जो पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण के कार्यों और अन्य अनियमितताओं का मार्गदर्शन कर रहा था. इसके अलावा रिपोर्ट में कुछ नए तथ्य भी सामने आए हैं.

अधिकारियों के मुताबिक, सुब्रमनियन को बृहस्पतिवार (24 फरवरी) देर रात हिरासत में ले लिया गया. अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार करने से पहले उनसे चेन्नई में कई दिनों तक पूछताछ की थी. पूछताछ के दौरान आनंद सुब्रमनियन ने सवालों का जवाब देने में टालमटोल किया, इसीलिए सीबीआई ने उन्हें हिरासत में ले लिया.

सीबीआई एनएसई की पूर्व एमडी-सीईओ चित्रा रामकृष्ण और पूर्व सीईओ रवि नारायण से पहले ही पूछताछ कर चुकी है. रामकृष्ण से जहां बीते 18 फरवरी को पूछताछ हुई थी, वहीं नारायण से बीते 19 फरवरी को पूछताछ की गई थी. इस सप्ताह की शुरुआत में सीबीआई की एक टीम ने मुंबई में सेबी कार्यालय का भी दौरा किया था और मामले से संबंधित दस्तावेज एकत्र किए थे.

सीबीआई के अनुसार, पूछताछ सेबी की एक रिपोर्ट को लेकर की जा रही थी, जिसमें कहा गया था कि चित्रा रामकृष्ण एक ‘हिमालयी योगी’ के साथ गोपनीय एनएसई जानकारी साझा कर रही थी और नियमों का उल्लंघन कर उन्होंने सुब्रमनियन की नियुक्ति के लिए प्रेरित किया था.

पूछताछ के दौरान रामकृष्ण ने बताया था कि वह एक आध्यात्मिक शख्स हैं, जिनसे वह बीते 20 सालों से मार्गदर्शन लेती थीं.

एक ऑडिट रिपोर्ट में सुब्रमनियन को कथित तौर पर एक रहस्यमयी योगी के रूप में संदर्भित किया गया था, लेकिन इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 11 फरवरी को अपनी रिपोर्ट में खारिज कर दिया था.

वर्ष 2013 में एनएसई के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रवि नारायण की जगह लेने वाली चित्रा रामकृष्ण ने सुब्रमनियन को अपना सलाहकार नियुक्त किया था. इसके बाद सुब्रमनियन को 4.21 करोड़ रुपये के मोटे वेतन पर समूह संचालन अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया था.

सेबी ने अपनी रिपोर्ट में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण और अन्य लोगों पर आनंद सुब्रमनियन को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त करने के अलावा समूह संचालन अधिकारी और प्रबंधक निदेशक (रामकृष्ण) के सलाहकार के पद पर पुन: नियुक्त करने में नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दो हफ्ते पहले एक आदेश में सेबी ने रामकृष्ण और कुछ अन्य को सुब्रमनियन को एनएसई का समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के में रूप में नियुक्ति के दौरान प्रतिभूति अनुबंध नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए दंडित किया था. सेबी ने कहा था कि सुब्रमनियन की नियुक्ति में एक ‘योगी’ ने उनका मार्गदर्शन किया था.

सेबी ने इस सिलसिले में रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा सेबी ने एनएसई पर दो करोड़ रुपये, एनएसई के पूर्व प्रबंधक निदेशक और सीईओ रवि नारायण पर दो करोड़ रुपये और मुख्य नियामक अधिकारी और अनुपालन अधिकारी वीआर नरसिम्हन पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

बता दें कि रामकृष्ण उन लोगों में से एक रही हैं, जिन्होंने 1990 की दशक के शुरुआत में एनएसई गठित किया था, ताकि पहले से स्थापित बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को चुनौती दी जा सके. उन्हें 2009 में एनएसई का संयुक्त प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था और 2013 में प्रमोट कर सीईओ बना दिया गया था.

रामकृष्ण ने निजी कारणों का हवाला देकर 2016 में एनएसई से इस्तीफा दे दिया था.

रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई की एमडी और सीईओ थीं, जबकि एनएसई के पूर्व प्रबंध निदेशक रवि नारायण अप्रैल 1994 से मार्च 2013 तक उस पद पर रहे.

सेबी की रिपोर्ट के बाद आयकर विभाग ने रामकृष्ण और सुब्रमनियन के आवासों की तलाशी ली थी, जो किसी तीसरे पक्ष को एनएसई की आंतरिक विनिमय जानका अवैध लाभ के आरोपों की जांच से संबंधित था.

2018 का मामला एनएसई में को-लोकेशन सुविधा (जहां ब्रोकर अपने सर्वर के लिए ‘रैक स्पेस’ खरीद सकते हैं) के माध्यम से कुछ ब्रोकरों को ट्रेडिंग सिस्टम तक तरजीही पहुंच के आरोपों से संबंधित है.

रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने मामले में दिल्ली स्थित ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के मालिक और प्रमोटर संजय गुप्ता और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. सीबीआई के अनुसार, 2010 और 2014 के बीच गुप्ता ने एनएसई के अज्ञात अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश के तहत एनएसई सर्वर आर्किटेक्चर का दुरुपयोग किया, यहां तक कि सेबी के अधिकारियों को रिश्वत भी दी थी.

सीबीआई ने अपनी एफआईआर में कहा है, ‘गुप्ता ने अपने बहनोई अमन कोकराडी और अन्य अज्ञात व्यक्तियों की मदद से एनएसई के डेटा सेंटर के कर्मचारियों को अपने पक्ष में किया, जिन्होंने एनएसई एक्सचेंज सर्वर के समय पर स्विच करने की जानकारी दी.’

एफआईआर के अनुसार, ‘इसके अलावा एनएसई के अज्ञात अधिकारियों ने ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को उन सर्वरों तक पहुंच प्रदान की, जो तकनीकी रूप से नवीनतम थे और उस विशेष अवधि में सबसे कम ट्रैफिक वाले थे. इससे ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को एनएसई के एक्सचेंज सर्वर पर सबसे पहले लॉग इन करने में मदद मिली.’

एनएसई सर्वर तक अनुचित पहुंच का आरोप पहली बार जनवरी 2015 में एक ह्विसिलब्लोअर द्वारा लगाया गया था. ह्विसिलब्लोअर ने सेबी को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि कुछ ब्रोकर अपने अनुचित लाभ के लिए एल्गोरिथम ट्रेडिंग में संलग्न होने के दौरान बेहतर हार्डवेयर विनिर्देशों के साथ एनएसई सिस्टम में लॉग इन करने में सक्षम थे.

सेबी द्वारा एक तकनीकी सलाहकार समिति की रिपोर्ट में बाद में पाया गया कि ओपीजी सिक्योरिटीज ने 2010-2014 में अधिकांश व्यापारिक दिनों में चयनित टीबीटी (टिक-बाय-टिक) सर्वर पर लगातार लॉग इन किया था और बेहतर हार्डवेयर वाले सर्वर तक उसकी भी पहुंच थी. संजय गुप्ता पर आरोप है कि उसने अपनी जांच में अनुकूल आदेश के लिए सेबी के अधिकारियों को रिश्वत दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)