रूस-यूक्रेन युद्ध: कीव में सड़कों पर घमासान, राष्ट्रपति ने यूएनएससी में भारत से समर्थन मांगा

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने देश से निकल जाने के अमेरिकी प्रस्ताव को मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह राजधानी कीव में ही रुकेंगे. वहीं, अधिकारियों ने बताया है कि दो दिनों के घमासान के बाद हुई झड़पों में सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं और पुलों, विद्यालयों और अपार्टमेंट की इमारतों को भारी नुकसान हुआ है. उधर, रूस ने पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों पर जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी है.

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कीव में रूस के आक्रमण के बाद जलती हुई एक इमारत. (फोटो: रॉयटर्स)

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने देश से निकल जाने के अमेरिकी प्रस्ताव को मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह राजधानी कीव में ही रुकेंगे. वहीं, अधिकारियों ने बताया है कि दो दिनों के घमासान के बाद हुई झड़पों में सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं और पुलों, विद्यालयों और अपार्टमेंट की इमारतों को भारी नुकसान हुआ है. उधर, रूस ने पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों पर जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी है.

कीव में रूस के आक्रमण के बाद जलती हुई एक इमारत. (फोटो: रॉयटर्स)

कीव/नई दिल्ली/वाशिंगटन/मुंबई/मास्को/प्राग: रूसी सैनिक शनिवार को यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रवेश कर गए और सड़कों पर घमासान शुरू हो गया है. वहीं स्थानीय अधिकारियों ने लोगों से खिड़कियों से दूर रहने और सही जगह पनाह लेने की अपील की है.

इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने वहां से निकल जाने के अमेरिकी प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया तथा जोर दिया कि वह राजधानी में ही रुकेंगे. उन्होंने कहा, ‘यहां जंग जारी है.’

यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि कीव में सैनिक कितनी दूर आगे बढ़ चुके है. यूक्रेनी अधिकारियों ने हमलों को रोकने में कुछ सफलता हासिल करने की सूचना दी, लेकिन राजधानी के पास लड़ाई जारी रही.

दो दिनों के घमासान के बाद हुई झड़पों में सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं और पुलों, विद्यालयों और अपार्टमेंट की इमारतों को भारी नुकसान हुआ है.

अमेरिकी अधिकारियों का मानना ​​​​है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की सरकार को उखाड़ फेंकने और इसे अपने शासन के अधीन करने को दृढ़ हैं.

रूस का दावा है कि यूक्रेन पर उसके हमले का उद्देश्य केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना है, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप के सबसे बड़े जमीनी युद्ध के दौरान नागरिक मारे गए और घायल हुए हैं.

कीव के मेयर विटाली क्लिचस्को ने कहा कि कीव के दो असैनिक हवाई अड्डों में से एक के पास एक ऊंची इमारत पर मिसाइल से हमला किया गया जिससे इमारत क्षतिग्रस्त हो गई. एक बचाव कार्यकर्ता ने कहा कि इसमें छह नागरिक घायल हो गए.

संघर्ष के कारण यूक्रेन के हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर चले गए हैं. संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन के 1,20,000 से अधिक लोग पोलैंड, मोल्दोवा और अन्य पड़ोसी देश चले गए हैं.

यूक्रेन के बुनियादी ढांचा मंत्रालय ने कहा कि एक रूसी मिसाइल को शनिवार तड़के उस समय मार गिराया गया जब वह कीव को पानी उपलब्ध कराने वाले विशाल जलाशय के बांध की ओर बढ़ रही थी.

राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शनिवार को फिर से आश्वासन दिया कि देश की सेना रूसी आक्रमण का सामना करेगी. राजधानी कीव में एक सड़क पर रिकॉर्ड वीडियो में उन्होंने कहा कि उन्होंने शहर नहीं छोड़ा है और यह दावा झूठ है कि यूक्रेनी सेना हथियार डाल देगी.

उन्होंने कहा, ‘हम हथियार नहीं डालने जा रहे हैं. हम अपने देश की रक्षा करेंगे. उन्होंने कहा, ‘सच्चाई यह है कि यह हमारी जमीन है, हमारा देश है, हमारे बच्चे हैं. और हम उन सबका बचाव करेंगे.’

यह हमला दुनिया का नया नक्शा खींचने और मास्को के शीतयुद्ध काल के प्रभाव को पुनर्जीवित करने के लिए पुतिन के सबसे साहसिक प्रयास को रेखांकित करता है. इस आक्रमण को समाप्त करने के लिए नए अंतरराष्ट्रीय प्रयास शुरू हुए हैं, जिनमें पुतिन पर सीधे तौर पर प्रतिबंध भी शामिल हैं.

विस्फोटों की आवाज से दहल रहे कीव का भविष्य अधर में है. इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने संघर्षविराम की अपील की तथा अपने हताश बयान में कहा कि देश के कई शहरों पर हमले किए जा रहे हैं.

एक वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी के अनुसार अमेरिकी प्रशासन की ओर से जेलेंस्की को कीव से निकल जाने की सलाह दी गई है, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया है.

अधिकारी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति को उद्धृत किया, ‘युद्ध जारी है और उन्हें तोप-रोधी गोला-बारूद चाहिए न कि भाग निकलने की सलाह.’

इस बीच कीव के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे कहीं पनाह ले लें. खिड़कियों से दूर रहें और उड़ते हुए मलबों एवं गोलियों से बचने के लिए सावधानी बरतें.

क्रेमलिन ने कीव के बातचीत के प्रस्ताव को मंजूर किया है, लेकिन प्रतीत होता है कि यह प्रयास राजनयिक समाधान के बजाय जेलेंस्की को दबाव में लाकर विवश करना है.

कीव के केंद्रीय हिस्से में तैनात देश के नेशनल गॉर्ड के सुरक्षाकर्मी. (फोटो: रॉयटर्स)

रूसी सेना ने शुक्रवार को दक्षिणी यूक्रेन के मेलितोपोल शहर पर अपना दावा करते हुए आगे बढ़ना जारी रखा. फिर भी, युद्ध में यह स्पष्ट नहीं था कि यूक्रेन का कितना हिस्सा अभी यूक्रेनी नियंत्रण में है और कितने हिस्से पर रूसी सेना ने कब्जा कर लिया.

यूक्रेन की सेना ने कीव से 25 मील (40 किमी) दक्षिण में एक शहर, वासिलकिव के पास एक रूसी परिवहन विमान को मार गिराने की सूचना दी, जिसकी पुष्टि एक वरिष्ठ अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने की. हालांकि रूसी सेना ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की.

यूक्रेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि बृहस्पतिवार तड़के शुरू हुए रूसी हमले के बाद से अब तक तीन बच्चों सहित 198 लोग मारे गए हैं और 1,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इस आंकड़े में सैनिक और नागरिक दोनों शामिल हैं.

यूक्रेन के अधिकारियों का दावा है कि अब तक की लड़ाई में सैकड़ों रूसी मारे गए हैं. रूसी अधिकारियों ने हताहत हुए लोगों का कोई आंकड़ा नहीं जारी किया है.

रूस की सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दमित्री मेदवेदेव ने चेतावनी दी कि मास्को अंतिम परमाणु हथियार समझौते से बाहर निकलने, पश्चिमी संपत्तियों को जब्त करने जैसी कार्रवाई कर सकता है.

इस बीच, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने शुक्रवार को पहली बार सदस्य देशों की रक्षा में मदद के लिए गठबंधन की प्रतिक्रिया बल के कुछ हिस्सों को भेजने का फैसला किया. नाटो ने यह नहीं बताया कि कितने सैनिकों को तैनात किया जाएगा, लेकिन उसने कहा कि इसमें भूमि, समुद्र और वायु शक्ति शामिल होगी.

पुतिन ने यूक्रेन के लिए अपनी अंतिम योजनाओं का खुलासा नहीं किया है. विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संकेत देते हुए कहा, ‘हम यूक्रेनी लोगों को अपने भाग्य का निर्धारण करने देना चाहते हैं.’

पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि रूस जेलेंस्की को राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देता है, लेकिन यह नहीं बताएगा कि रूसी सैन्य अभियान कितने समय तक चल सकता है.

जेलेंस्की ने शुक्रवार को पुतिन की एक प्रमुख मांग पर बातचीत करने की पेशकश की कि यूक्रेन खुद को तटस्थ घोषित करे और नाटो में शामिल होने की अपनी महत्वाकांक्षा को छोड़ दे.

कीव में कर्फ्यू की अवधि को बढ़ाया गया

रूसी सेना के रॉकेट से क्षतिग्रस्त इमारत. (फोटो साभार: ट्विटर)

राजधानी कीव में रात को विस्फोटों और सड़कों पर घमासान के बाद यहां कर्फ्यू की अवधि को बढ़ा दिया गया है.

कीव के मेयर विटाली क्लिचस्को ने कहा कि कीव के दो यात्री हवाई अड्डों में से एक के पास शहर के दक्षिण-पश्चिमी बाहरी इलाके में एक ऊंची इमारत पर एक मिसाइल से हमला किया गया जिससे इमारत क्षतिग्रस्त हो गई.

एक बचाव कार्यकर्ता ने कहा कि इसमें छह नागरिक घायल हो गए.

मेयर ने शहर में रूसी सैनिकों के हमले के चलते कर्फ्यू की अवधि को बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि शाम पांच बजे से सुबह आठ बजे तक कीव में कड़ा कर्फ्यू लागू रहेगा.

उन्होंने कहा, ‘कर्फ्यू के दौरान सड़क पर मौजूद सभी नागरिकों को दुश्मन के तोड़फोड़ और टोही समूहों का सदस्य माना जाएगा.’ दो दिन पहले लागू किया गया कर्फ्यू रात 10 बजे से सुबह सात बजे तक था.

वहीं, राजधानी कीव के बाहरी इलाके में शनिवार को एक बहुमंजिला इमारत पर रॉकेट हमले में कम से कम छह लोग घायल हो गए. बचाव अभियान से जुड़े एक कर्मचारी ने इसकी जानकारी दी.

बचाव अभियान में हिस्सा ले रहे दमकलकर्मी पेट्रो प्रोकोपोव ने बताया कि कीव के दक्षिण-पश्चिम छोर पर झूलियानी हवाई अड्डे के पास एक बहुमंजिला इमारत की 16वीं और 21वीं मंजिल के बीच रॉकेट टकराया. उन्होंने बताया कि कम से कम छह लोग घायल हो गए और इमारत के दो तल पर आग लग गई. बचाव अभियान से जुड़े कर्मियों ने 80 लोगों को बचाया.

कीव के मेयर विताली क्लित्शको ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें अपार्टमेंट की इमारत के एक तरफ एक बड़ा छेद दिखाई दे रहा है.

इस दौरान यूक्रेन के बुनियादी ढांचा मंत्रालय ने कहा कि एक रूसी मिसाइल को शनिवार तड़के उस समय मार गिराया गया जब वह विशाल जलाशय के बांध की ओर जा रही थी. इस जलाशय से कीव को पानी की आपूर्ति की जाती है.

मंत्रालय ने कहा, ‘अगर बांध नष्ट हो जाता तो बाढ़ से लोग हताहत होते और इससे काफी क्षति होती.’

रूसी सैनिक यूक्रेन की राजधानी पर हमला तेज कर रहे हैं और कई दिशाओं से शहर की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. रूस ने बार-बार दावा किया है कि उसके निशाने पर केवल यूक्रेन के सैन्य ठिकाने हैं.

जेलेंस्की व मोदी के बीच हुई बातचीत, भारत से यूएनएससी में राजनीतिक समर्थन मांगा

वोलोदिमिर जेलेंस्की. (फोटो साभार: स्क्रीनग्रैब/ट्विटर/@ZelenskyyUa)

रूस-यूक्रेन जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की. इस दौरान मोदी ने शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता जताई.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने वहां जारी संघर्ष की वजह से जान व माल को हुए नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की. उन्होंने भारतीय नागरिकों को जल्द और सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के अधिकारियों से उपयुक्त कदम उठाने का भी अनुरोध किया.

पीएमओ ने कहा कि राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री मोदी को यूक्रेन में जारी संघर्ष की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

बयान में कहा गया, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने तत्काल हिंसा समाप्त करने और वार्ता की ओर लौटने के अपने आह्वान को दोहराया और वहां शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी प्रकार का योगदान देने की पेशकश की.’

प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में मौजूद भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भारत की गहरी चिंताओं से भी राष्ट्रपति जेलेंस्की को अवगत कराया.

इस बातचीत के दौरान, राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमलों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा.

जेलेंस्की ने एक ट्वीट में कहा, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बात की. यूक्रेन द्वारा रूसी आक्रमण का मुकाबला करने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी जमीन पर एक लाख से अधिक आक्रमणकारी हैं. वे आवासीय इमारतों पर अंधाधुंध गोलाबारी कर रहे हैं. भारत से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमें राजनीतिक समर्थन देने का आग्रह किया गया. एक साथ मिलकर हमलावरों को रोकते हैं.’

भारत ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया. सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था.

भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा है कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है.

यूएनएससी प्रस्ताव पर मतदान न करके संबंधित पक्षों तक पहुंचने का विकल्प खुला रखा: भारत

गौरतलब है कि भारत ने यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस की निंदा वाले प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया और बीच का कोई रास्ता निकालने तथा बातचीत व कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए सभी संबंधित पक्षों तक पहुंचने का विकल्प खुला रखा है.

आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी. हालांकि भारत ने प्रस्ताव पर मतदान से परहेज तो किया है, लेकिन साथ ही देशों की ‘संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता’ का सम्मान करने का आह्वान भी किया और ‘हिंसा व शत्रुता’ को तत्काल समाप्त करने की मांग की.

यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करने वाले एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान हुआ, जिसमें भारत ने हिस्सा नहीं लिया. सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था.

यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया.

कोलकाता में रूस के खिलाफ हुआ प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यह भी बताया कि वह सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है और उसने उनसे बातचीत की मेज पर लौटने का आग्रह किया है.

सूत्रों ने कहा कि यूक्रेन में हुए हालिया घटनाक्रम से भारत बेहद चिंतित है और वह अपने इस ‘सतत और संतुलित’ रुख पर कायम है कि मतभेदों का हल केवल बातचीत के जरिये संभव है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि मतभेदों और विवादों के समाधान का एकमात्र रास्ता बातचीत है और मानव जीवन की कीमत पर कभी कोई समाधान नहीं निकल सकता.

प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लेने पर भारत ने ‘एक्सप्लेनेशन ऑफ वोट’ जारी किया, जिसमें उसने ‘कूटनीति के रास्ते पर वापस लौटने’ की अपील की.

सूत्रों ने बताया कि भारत ने देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की बात कही, साथ ही हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की मांग की, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई बातचीत में मोदी ने पुतिन से कहा था.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन पर रूस के हमले से पैदा हुई स्थिति के मद्देनजर बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की और तत्काल हिंसा रोकने की अपील करते हुए सभी पक्षों से कूटनीतिक बातचीत और संवाद की राह पर लौटने के ठोस प्रयास करने का आह्वान किया था.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर सूत्रों ने बताया कि भारत ने सभी सदस्य देशों से संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने की मांग की, क्योंकि ये रचनात्मक मार्ग मुहैया कराते हैं.

रूस ने पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों पर जवाबी कदम उठाने की चेतावनी दी

रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन पर हमले के कारण पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों पर रूस जवाबी कदम उठा सकता है. उन्होंने कहा कि रूस बाकी परमाणु हथियार समझौते से भी बाहर निकल जाएगा और पश्चिमी देशों की संपत्तियों पर रोक लगा देगा.

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता वाली सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने पश्चिमी देशों की ‘राजनीतिक अक्षमता’ के प्रतिबिंब के रूप में रूस पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा लगाए गए गंभीर प्रतिबंधों को खारिज कर दिया.

रूसी सोशल मीडिया ‘वीकोनटाके’ पर अपने पेज पर पोस्ट टिप्पणियों में मेदवेदेव ने कहा कि प्रतिबंध मास्को को पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों की पूरी समीक्षा का मौका दे सकता है.

उन्होंने कहा कि रूस न्यू स्टार्ट परमाणु हथियार नियंत्रण संधि से भी बाहर निकल सकता है जिसका उद्देश्य अमेरिका और रूसी परमाणु शस्त्रागार को सीमित करना है.

मेदवेदेव ने पश्चिमी देशों के साथ राजनयिक संबंध तोड़ने की संभावना भी जताते हुए कहा, ‘राजनयिक संबंध बनाए रखने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है.’ उन्होंने जवाबी कदम के तहत रूस में पश्चिमी देशों की संपत्तियों पर रोक लगाने का भी संकेत दिया.

भारत-रूस संबंध अमेरिका और रूस के संबंधों से अलग हैं, और इसमें कोई परेशानी की बात नहीं: अमेरिका

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध, अमेरिका और रूस के बीच संबंधों से अलग है और इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है.

अमेरिका ने साथ ही कहा कि उसने रूस के साथ संबंध रखने वाले हर देश से नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को सुरक्षित रखने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने को कहा है.

रूस-यूक्रेन के संदर्भ में अमेरिका-भारत संबंध और क्या यूक्रेन संकट से द्विपक्षीय संबंध पर असर पड़ेगा, यह सवाल पूछे जाने पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के अहम हित और मूल्य जुड़े हुए हैं.

प्राइस ने शुक्रवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘भारत के साथ हमारे अहम हित जुड़े हुए हैं. हम भारत के साथ अहम मूल्य साझा करते हैं, और हम जानते हैं कि भारत के रूस के साथ संबंध उन संबंधों से अलग हैं जो हमारे और रूस के बीच हैं, और सही में इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है.’

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘भारत के रूस के साथ मजबूत रिश्ते हैं,जो हमारे यकीनन नहीं हैं. भारत और रूस के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में संबंध हैं,जो हमारे बीच नहीं है…हमने प्रत्येक देश से कहा है कि जिनके संबंध हैं और जो लाभ ले सकते हैं, वे उसका इस्तेमाल रचनात्मक तरीके से करें.’

उल्लेखनीय है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन के खिलाफ विशेष सैन्य अभियान की घोषणा की थी जिसके बाद रूस ने मध्य और पूर्वी यूक्रेन के कई इलाकों पर हमले किए. रूस के इस कदम की अमेरिका सहित कई देशों ने निंदा की है.

गौरतलब है कि रूस की भारत के साथ लंबे समय से साझेदारी रही है और दोनों देशों ने वर्ष 2010 में अपने संबंधों को द्विपक्षीय रणनीतिक संबंध से उन्नत कर विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक संबंध में बदल दिया. उसी समय भारत के अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंध अभूतपूर्व तरीके से मजबूत हुए.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मॉस्को यात्रा और उनकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान को अपनी स्थिति से अवगत करा दिया है और बता दिया है कि रूस के आक्रमण के क्या खतरे हैं और यूक्रेन में मौजूदा ‘आक्रमण’ के क्या मायने है.

उन्होंने कहा, ‘खैर, हम अपने साझेदार पाकिस्तान पर छोड़ेंगे कि वह इस पर क्या रुख अपनाता है.’

प्राइस ने कहा, ‘मैं यह कह सकता हूं कि हमने पाकिस्तान को अपने रुख से अवगत करा दिया है और बता दिया है कि रूसी हमले के क्या खतरे तब थे और अब यूक्रेन पर हो रहे रूसी हमले के क्या खतरे हैं. भारत की तरह पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से जानना चाहिए कि इस पर हमारा रुख क्या है.’

अब तक यूक्रेन के करीब 1.20 लाख ने देश छोड़ा: संरा शरणार्थी एजेंसी

कीव के एक शेल्टर स्थल पर यूक्रेनी नागरिक. (फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने शनिवार को बताया कि रूस के आक्रमण के चलते यूक्रेन के करीब 1.20 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.

वैश्विक एजेंसी के मुताबिक रूस द्वारा राजधानी कीव पर कब्जे की कोशिश के चलते यूक्रेनी अपना सामान बांध भाग रहे हैं और यह संख्या लगतार बढ़ रही है.

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने कहा, ‘करीब 1,16,000 लोग अब तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर चुके हैं. यह संख्या हर घंटे बढ़ रही है.’

एजेंसी का आकलन है कि स्थिति और खराब होने पर करीब 40 लाख लोग यूक्रेन छोड़ कर दूसरे देशों में आश्रय लेने के लिए जा सकते हैं.

मंटू ने बताया कि अधिकतर लोग पड़ोसी पोलैंड, माल्डोवा, हंगरी, रोमानिया और स्लोवाकिया जा रहे हैं और कुछ बेलारूस भी जा रहे हैं. कुछ रूसी सैनिक बेलारूस के रास्ते भी यूक्रेन में दाखिल हुए हैं.

पोलैंड की सरकार ने शनिवार की सुबह बताया कि करीब एक लाख लोग गत 48 घंटे में यूक्रेन की सीमा पार कर उसके देश में आए हैं.

पोलिस प्रसारक टीवीएन24 की खबर के मुताबिक यूक्रेन से पोलैंड में दाखिल होने वाले मेडिका सीमा पर वाहनों की करीब 15 किलोमीटर लंबी कतार है जो पोलैंड में दाखिल होना चाहते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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