रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि वे यूक्रेन में लड़ाई ख़त्म करने के लिए बातचीत को तैयार हैं, पर यूक्रेन के सैन्य ढांचे को नष्ट करने के प्रयास जारी रखेंगे. यूक्रेनी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि रूसी बलों ने काला सागर बंदरगाह में स्थानीय सरकारी मुख्यालय पर कब्ज़ा कर लिया है. इस बीच विश्व बैंक ने रूस व बेलारूस में सभी परियोजनाएं तत्काल प्रभाव से रोक दी हैं.
कीव/वाशिंगटन/ मॉस्को/नई दिल्ली/जिनेवा/लंदन/जाहोनी: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि मॉस्को यूक्रेन में लड़ाई खत्म करने के लिए बातचीत को तैयार है, लेकिन यूक्रेन के सैन्य ढांचे को नष्ट करने के अपने प्रयास जारी रखेगा.
लावरोव ने कहा कि रूसी प्रतिनिधिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में यूक्रेन के वार्ताकारों को अपनी मांगें सौंपीं और अब गुरुवार को होने वाली वार्ता में कीव की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम ने यूक्रेन को लगातार हथियारों से लैस किया है और उसके सैनिकों को प्रशिक्षित किया है तथा यूक्रेन को रूस के खिलाफ एक ढाल में तब्दील करने के लिए वहां ठिकाने बनाए हैं.
रूस का कहना है कि इससे उसकी सुरक्षा के लिए यूक्रेन एक खतरा बन गया है जिसके चलते मॉस्को को कार्रवाई करने के लिए विवश होना पड़ा.
अमेरिका और उसके सहयोगी कहते रहे हैं कि नाटो एक रक्षात्मक गठबंधन है जो रूस के लिए खतरा पैदा नहीं करता है.
लावरोव ने अमेरिका और उसके सहयोगियों की बात को खारिज करते हुए कहा कि पश्चिम ने यूक्रेन को एक ऐसे मोर्चे में बदल दिया है जिसे रूस की हर बात से दिक्कत है.
इससे पहले बुधवार को अल जज़ीरा को दिए एक साक्षात्कार में लावरोव ने चेतावनी दी थी कि अगर तीसरा विश्व युद्ध होता है तो यह ‘परमाणु और विनाशकारी’ होगा.
कतर स्थित इस समाचार चैनल ने बताया था कि लावरोव ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ विशेष अभियान कीव को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकने के उद्देश्य से शुरू किया गया है.
चैनल ने लावरोव के हवाले से कहा, ‘सैन्य अभियान का उद्देश्य यूक्रेन को निरस्त्र करना है. रूस यूक्रेन को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा.’
खारकीव में रूसी सेना की कार्रवाई जारी, प्रमुख बंदरगाह पर कब्ज़ा किया
इस बीच रूसी सेना ने यूक्रेन के एक प्रमुख बंदरगाह पर नियंत्रण कर लिया और देश को उसकी तटरेखा से अलग करने के प्रयासों के तहत एक अन्य की घेराबंदी कर ली है.
रूसी सेना ने कहा कि उसके पास खेरसॉन का नियंत्रण था, और स्थानीय यूक्रेनी अधिकारियों ने पुष्टि की कि रूसी बलों ने काला सागर बंदरगाह में स्थानीय सरकारी मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है, जिससे यह एक सप्ताह पहले आक्रमण शुरू होने के बाद से कब्जे में आने वाला पहला बड़ा शहर बन गया.
राजधानी कीव के बाहर भी टैंक और अन्य वाहन खड़े नजर आ रहे है. आजोव सागर, मारियुपोल पर एक और रणनीतिक बंदरगाह शहर के बाहरी इलाके में गुरुवार को जबरदस्त लड़ाई जारी रही. बिजली और फोन कनेक्शन काफी हद तक बंद हैं, और घरों तथा दुकानदारों को भोजन और पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
फोन कनेक्शन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में चिकित्सकों को नहीं पता था कि घायलों को कहां ले जाना है.
खेरसॉन में, रूसी बलों ने क्षेत्रीय प्रशासन मुख्यालय, हेनादी लाहुता, पर कब्जा कर लिया. क्षेत्र के गवर्नर ने यह जानकारी दी. खेरसॉन के मेयर इगोर कोल्यखेव ने पहले कहा था कि राष्ट्रीय ध्वज अभी भी लहरा रहा था, लेकिन शहर में कोई यूक्रेनी सैनिक नहीं थे.
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री ने कहा कि यह संभव है कि रूसियों ने कब्जा कर लिया हो, हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
इस बीच, देश के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव और दो अहम बंदरगाहों पर रूसी बलों की बमबारी जारी है.
पंद्रह लाख की आबादी वाले खारकीव शहर से बड़ी संख्या में पलायन हुआ है, गोलीबारी (शेलिंग) और गोलाबारी के बीच लोग अपनी जान बचाने के लिए स्टेशनों में पहुंचे और ट्रेनों में बैठते नजर आए.
राजधानी कीव में कई दिनों तक रुकने के बाद टैंक और अन्य वाहनों ने देश भर में कई स्थानों पर हमला किया है. इस युद्ध को समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच दूसरे दौर की वार्ता गुरुवार देर रात पड़ोसी देश बेलारूस में होने की संभावना है.
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मारियूपोल शहर को रूसी बलों ने घेर लिया है, वहीं एक अहम बंदरगाह खेरसॉन के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है.
वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की सेना ने दावा किया कि उन्होंने खेरसॉन पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है, जो आक्रमण में कब्जे में आने वाला सबसे बड़ा शहर होगा. ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऐसा संभव है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती.
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के संवाददाताओं ने रात में कीव में जोरदार धमाके की आवाजें सुनी.
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने सरकारी मुख्यालयों से लगभग सात किलोमीटर दक्षिण में, लेसा होरा जिले में एक प्रसारण केंद्र पर हमला किया. इसमें कहा गया है कि अनिर्दिष्ट हथियारों का इस्तेमाल किया गया था, और आवासीय भवनों को कोई क्षति नहीं हुई और कोई हताहत नहीं हुआ है.
यूक्रेन के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ की ओर से जारी बयान में हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया,इसमें कहा गया कि रूसी बल दोबारा संगठित हो रहे हैं और शहर के उत्तरी सुदूर इलाकों में घुसने की कोशिश कर रहे हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने वीडियो संदेश में देश के नागरिकों से प्रतिरोध जारी रखने का अनुरोध किया है. उन्होंने रूसी सैनिकों को ‘भ्रमित बच्चे करार दिया, जिन्हें इस्तेमाल किया गया है.’
रूस के खिलाफ लामबंद हुए कई देश
इस बीच दुनिया भर के देशों के रूस के खिलाफ एकजुट होने से रूस अलग-थलग पड़ता दिखाई दे रहा है.
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) के अभियोजक ने एक जांच शुरू की है, जो यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के दौरान नागरिकों की मौत के बढ़ते मामलों और संपत्ति के व्यापक विनाश के बीच युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराधों या नरसंहार के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले वरिष्ठ अधिकारियों को लक्षित कर सकती है.
यूक्रेनी सेना ने एक बयान में कहा कि रूसी बलों को ‘मारियूपोल पर कब्जा करने का मुख्य लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है, वहीं उसने खेरसॉन में हालात के बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
पुतिन की सेना ने दावा किया कि उन्होंने खेरसॉन पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है, इस पर ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वाल्स ने गुरुवार को कहा कि यह संभव हो सकता है,हांलाकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
वहीं अमेरिका के एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने इन दावों को खारिज किया है. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हमारा मानना है कि खेरसॉन पर कब्जा आसान नहीं है.’
राष्ट्रपति जेलेंस्की के कार्यालय ने कहा कि लड़ाई चल रही है ऐसे में वह खेरसॉन में हालात के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते.
खेरसॉन के मेयर इगोर कोल्यखेव ने कहा कि रूसी सैनिक शहर में हैं और शहर के प्रशासन भवन में आए थे. मेयर ने कहा कि उन्होंने उनसे कहा कि वे नागरिकों को गोली न मारें और लोगों को सड़कों से शव उठाने दें.
उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘यहां यूक्रेनी सेना नहीं है, केवल आम जनता और लोग है, जो जीना चाहते हैं.’
रूस के खिलाफ लामबंद होते हुए बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में अधिकतर देशों ने उससे यूक्रेन से बाहर निकलने की मांग की.
रूसी सेना ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर में बमबारी फिर शुरू कर दी है और इससे देश की राजधानी पर खतरा बढ़ गया है. रूस ने उसके प्रमुख रणनीतिक बंदरगाहों को भी घेर लिया है.
रूस का कहना है कि पिछले सप्ताह शुरू हुई सैन्य कार्रवाई में अभी तक करीब उसके 500 सैनिक मारे गए हैं और लगभग 1,600 जवान घायल हुए हैं.
वहीं, यूक्रेन ने उसकी सेना के हताहत सैनिकों की जानकारी साझा नहीं की. बहरहाल, यूक्रेन ने कहा कि दो हजार से अधिक असैन्य नागरिक मारे गए हैं. दोनों ही देशों के दावों की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है.
यूक्रेन और रूस के राजदूत गुरुवार को दूसरी बार बेलारूस में मुलाकात करेंगे, ताकि युद्ध को रोकने का कोई उचित समाधान खोजा जा सके. हालांकि, दोनों के बीच सहमति बनने की संभावना कम ही नजर आ रही है.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी एजेंसी के प्रमुख ने आगाह किया कि लड़ाई यूक्रेन के 15 परमाणु रिएक्टर के लिए खतरा बन गई है.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के राफेल ग्रॉसी ने कहा कि युद्ध ऐसी जगह हो रहा है, जहां बड़ी परमाणु ऊर्जा सुविधाएं स्थापित हैं. उन्होंने कहा कि वह इसे लेकर बेहद चिंतित हैं.
ग्रॉसी ने कहा, ‘जब कोई संघर्ष चल रहा होता है, तो निश्चित रूप से हमले का खतरा होता है या दुर्घटनावश कोई नुकसान होने का खतरा भी बढ़ जाता है.’
रूस ने पहले से ही बंद पड़े चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र पर कब्जा कर लिया है. इस परमाणु संयंत्र में अप्रैल, 1986 में दुनिया की सबसे भीषण परमाणु दुर्घटना हुई थी, जब एक परमाणु रिएक्टर में विस्फोट के बाद रेडियोधर्मी विकिरण फैल गया था.
रूसी सेना ने बुधवार को यूक्रेन के दो रणनीतिक बंदरगाहों की घेराबंदी की और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर पर बमबारी शुरू कर दी, जबकि कीव के बाहर एक विशाल बख्तरबंद भी खड़ा दिखाई दिया.
उधर, न्यूयॉर्क में 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस से अपने आक्रमण को रोकने और अपने सभी सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग करने के लिए मतदान किया. विश्व शक्तियों और छोटे द्वीप राज्यों ने रूस की निंदा भी की.
इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 वोट पड़े. पांच देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया, जबकि 35 देश मतदान में शामिल नहीं हुए. महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते, लेकिन दुनिया की राय को प्रतिबिंबित करते हैं.
विश्व बैंक ने रूस, बेलारूस में सभी परियोजनाएं तत्काल प्रभाव से रोकी
विश्व बैंक ने रूस और बेलारूस में अपने सभी कार्यक्रम तत्काल प्रभाव से रोकने की घोषणा की है. उसने यह कदम यूक्रेन में मॉस्को के सैन्य अभियान और वहां के लोगों के प्रति शत्रुता रखने के मद्देनजर उठाया है.
रूस के यूक्रेन पर हमला करने और बेलारूस द्वारा उसे समर्थन और सहयोग दिए जाने पर बड़ी संख्या में देश, संगठन और कंपनियां उनसे अपने संबंध तोड़ रहे हैं और पाबंदियां लगा रहे हैं.
वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘विश्व बैंक समूह ने 2014 से ही रूस में नए निवेश या कर्ज की मंजूरी नहीं दी है. 2020 के मध्य से बेलारूस को कोई नया कर्ज नहीं दिया गया.’’
बयान में कहा गया, ‘यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और यूक्रेन के लोगों के प्रति उसकी शत्रुता के मद्देनजर विश्व बैंक समूह ने रूस और बेलारूस में अपने सभी कार्यक्रम तत्काल प्रभाव से रोक दिए हैं.’
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने इस कदम की आलोचना की थी. उन्होंने एक बयान में कहा था, ‘हम लंबे समय से यूक्रेन के साझेदार रहे हैं और संकट के इस समय में उसके लोगों के साथ खड़े हैं.’
विश्व बैंक ने मंगलवार को घोषणा की थी कि यूक्रेन की मदद के लिए वह उसे तीन अरब डॉलर का सहायता पैकेज दे रहा है.
यूक्रेन में 227 नागरिकों की मौत हुई है : संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि रूस के हमले के बाद यूक्रेन में 227 नागरिकों की मौत हुई है और 525 अन्य लोग घायल हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, ये आकंड़े 2014 में रूसी समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन के बलों के बीच पूर्वी यूक्रेन में हुए संघर्ष में हताहत हुए नागरिकों की संख्या से अधिक है. उस समय 136 लोग मारे गए थे, जबकि 577 लोग घायल हुए थे.
मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है. यूक्रेन के अधिकारियों ने हताहत लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक बताई है.
मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘वास्तविक आंकड़े काफी अधिक हो सकते हैं..खासकर सरकार-नियंत्रित क्षेत्र में संख्या और भी अधिक हो सकती है.’
एक सप्ताह में 10 लाख लोगों ने किया यूक्रेन से पलायन: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को बताया कि रूस के हमला करने के बाद से 10 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर चले गए हैं. इस सदी में पहले कभी इतनी तेज गति से पलायन नहीं हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के आंकड़ों के अनुसार, पलायन करने वाले लोगों की संख्या यूक्रेन की आबादी के दो प्रतिशत से अधिक है. एजेंसी का अनुमान है कि यूक्रेन के 40 लाख लोग देश छोड़ सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के जारी आंकड़ों के अनुसार युद्ध की शुरुआत से अब तक 227 नागरिक मारे गए हैं और 525 घायल हुए हैं.
वहीं, यूक्रेन का कहना है कि इन हमलों में दो हजार से अधिक आम आदमी मारे गए हैं. इन आंकड़ों की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं की जा सकी है.
कीव छोड़कर जा रहे विशेष तौर पर सक्षम और अनाथ लोगों को पोलैंड, हंगरी दे रहे हैं शरण
युद्ध के कारण पलायन कर रहे यूक्रेन के कुछ सबसे कमजोर नागरिकों के लिए एकजुटता, करुणा दिखाते हुए पोलैंड और हंगरी के निवासी बांहे खोलकर उनका स्वागत कर रहे हैं तथा जंग के समय भी इंसानियत को जिंदा रखे हुए हैं.
हंगरी के जाहोनी स्टेशन पर बुधवार को एक ट्रेन पहुंची, जिसमें शारीरिक तौर पर विशेष रूप से सक्षम और मानसिक बीमारियों से जूझने वाले लगभग 200 लोग सवार थे. रूस के हमले के कारण यूक्रेन की राजधानी कीव में इस तरह के लोगों के लिए बने दो अनाथालयों में रहने वाले लोग इस ट्रेन के जरिये हंगरी पहुंचे.
एपी के अनुसार, कीव में लड़कों के लिए बने स्वाथेशिंक्शी अनाथालय की निदेशक लारिसा लियोनिदोवना ने कहा, ‘अनाथालय उस क्षेत्र में है जहा रॉकेट उड़ रहे थे, जहां धमाके हो रहे थे. अनाथालय के पास एक मेट्रो स्टेशन उड़ा दिया गया. बमबारी के दौरान एक घंटे से ज्यादा समय तक हम बंकर में रहे.’
बच्चों समेत जब ये शरणार्थी जब प्लेटफार्म पर ट्रेन से उतरे तो बांहे खोले उनका स्वागत करने के लिए हंगरी के लोग खड़े थे. वहां से उन्हें कैथलिक राहत संगठन ‘कैरिटास’ द्वारा पोलैंड से भेजी गई चार प्रतीक्षारत बसों में ले जाया गया.
रूस का हमला तेज होने के बीच शहर के बाल संरक्षण कार्यालय के साथ कीव के उप महापौर की मदद से, कैरिटास ने राजधानी से यह निकासी अभियान चलाया.
बच्चों को ले जाने वाले कैरिटास प्रतिनिधिमंडल की प्रमुख आयोजक बारबरा स्मिरक ने कहा कि उन्हें बस से 560 किलोमीटर की यात्रा के बाद पोलैंड के दक्षिण-पश्चिमी शहर ओपोल में पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाएगा.
लड़कियों के लिए दार्नित्सकी अनाथालय की उप निदेशक विक्टोरिया मिकोलायिवना ने बताया कि 216 लोग कीव अनाथालयों से जाहोनी हंगरी पहुंचे. बच्चे अपने संरक्षकों के साथ थे. कीव से निकलने और पोलैंड सीमा की ओर बस से यात्रा करने के बाद उन्हें यूक्रेन से अन्य शरणार्थियों को ले जाने वाली कारों की कई मील लंबी लाइन का सामना करना पड़ा. जल्दी से पहुंचने और सुरक्षा की आस में उन्होंने हंगरी के रास्ते जाने का फैसला किया.
स्वाथेशिंक्शी अनाथालय की निदेशक लियोनिदोवना ने कहा कि कीव से दिन भर की यात्रा कठिन थी और अभी भी बस से लंबी दूरी तय करना बाकी है. उन्होंने बच्चों के बारे में कहा, ‘आप देख सकते हैं कि यह बहुत कठिन है, उन सभी को विशेष देखभाल और मदद की जरूरत है.’
यूक्रेन से जुड़ी खबरें चलाने के बाद बंद हुआ रूस का लिबरल रेडियो स्टेशन ‘एखो मॉस्किवी’
रूस के प्रमुख मीडिया संस्थानों में शामिल उदार (लिबरल) रुख वाले रेडियो स्टेशन ‘एखो मॉस्किवी’ को यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के संबंध में आलोचनात्मक खबरें प्रसारित करने के चलते बंद कर दिया गया है. रेडियो स्टेशन के प्रमुख ने यह जानकारी दी.
रेडियो स्टेशन के प्रधान संपादक और देश के जाने-माने पत्रकार एलेक्से वेनेडिक्टोव ने टेलीग्राम पर लिखा, ‘उच्च पदस्थ लोगों ने उन्हें पहले ही संकेत दिया था कि इस तरह के कदम पर विचार किया जा रहा है.’
वेनेडिक्टोव ने बताया कि ‘एखो मॉस्किवी’ के निदेशक मंडल ने अपने रेडियो चैनल और वेबसाइट को बहुमत से बंद करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने रूस की सरकारी समाचार एंजेसी ‘तास’ को बताया कि उनकी रेडियो स्टेशन के पत्रकारों के साथ बैठक करने की योजना है.
रूस के अभियोजक जनरल के कार्यालय ने पहले ही मांग की थी कि यूक्रेन पर रूसी कार्रवाई से जुड़ी खबरें चलाने के लिए रेडियो स्टेशन ‘एखो मॉस्किवी’ और टीवी चैलन ‘दोज्द’ पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.
‘तास’ की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एखो मॉस्किवी तक पहुंच बाधित करने की रूसी अभियोजक जनरल कार्यालय की सिफारिश पर विचार करने के बाद ‘एखो मॉस्किवी संयुक्त स्टॉक कंपनी’ के निदेशक मंडल ने तीन मार्च को फैसला किया कि उसके रेडियो चैनल सहित अन्य सभी मीडिया आउटलेट को बंद कर दिया जाएगा.’
इस बीच, अमेरिका के विदेश विभाग ने ‘मीडिया की आजादी पर प्रहार’ करने और ‘यूक्रेन पर क्रूर आक्रमण की सच्चाई को दबाने’ के कथित प्रयासों के लिए रूस की आलोचना की है.
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक बयान जारी कर कहा कि मीडिया संस्थानों पर ‘चरमपंथी गतिविधियों और हिंसा को बढ़ावा देने’ और ‘यूक्रेन में रूसी बलों के कार्यों के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी साझा करने’ का बेबुनियाद आरोप लगाया गया था.
बयान के मुताबिक, रूस की सरकार ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों की भी आवाज दबा रही है, जिन पर रूस के लाखों नागरिक स्वतंत्र जानकारी तक पहुंच हासिल करने और एक-दूसरे के साथ-साथ बाहरी दुनिया से भी संपर्क बनाए रखने के लिए निर्भर हैं.
गौरतलब है कि रूस में मीडिया संस्थानों को आधिकारिक सूत्रों द्वारा मुहैया कराई जाने वाली जानकारियों को ही प्रसारित-प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं.
रूस ने ‘आक्रमण’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई है. मॉस्को का कहना है कि उसने यूक्रेन के खिलाफ विशेष सैन्य अभियान शुरू किया है.
किसी भारतीय छात्र को बंधक बनाने को लेकर कोई खबर नहीं: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास अपने नागरिकों से सतत सम्पर्क बनाये हुए है और किसी छात्र के बंधक बनाए जाने की स्थिति का सामना करने जैसी कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूक्रेन में भारतीय छात्रों को बंधक बनाये जाने की खबरों को लेकर मीडिया के सवालों पर यह बात कही.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, ‘यूक्रेन में भारतीय दूतावास अपने नागरिकों से सतत सम्पर्क बनाये हुए है . हम इस बात का संज्ञान लेते हैं कि यूक्रेन प्रशासन के सहयोग से कल कई छात्र खारकीव से बाहर निकल सके.’
उन्होंने कहा, ‘हमें किसी भारतीय छात्र को बंधक बनाने जैसी स्थिति का सामना करने की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है.’
बागची ने कहा कि हमने यूक्रेन प्रशासन से आग्रह किया है कि खारकीव एवं आसपास के क्षेत्रों से छात्रों को बाहर निकालकर देश के पश्चिमी हिस्से में ले जाने के लिये विशेष ट्रेन की व्यवस्था करें .
गौरतलब है कि रूस ने बुधवार को कहा था कि उसके सशस्त्र बल यूक्रेन के खारकीव शहर से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिहाज से सभी जरूरी कदम उठाने को तैयार हैं.
भारत में रूसी दूतावास के एक अधिकारी ने रूस के रक्षा मंत्रालय की ब्रीफिंग का ब्योरा साझा किया था.
मॉस्को में रक्षा मंत्रालय ने एक मीडिया ब्रीफिंग में यह आरोप भी लगाया था यूक्रेन में भारतीय छात्रों के एक समूह को उनकी बेलगोरोद जाने की इच्छा के विपरीत खारकीव में जबरदस्ती रोक कर रख रहे हैं.
हालांकि भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि यूक्रेन जो अपना खून बहा रहा है, वह वहां फंसे हुए विदेशी छात्रों की मदद कर रहा है.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम इस क्षेत्र में रूस, रोमानिया, हंगरी, स्लोवाकिया, माल्डोवा सहित अन्य देशों से प्रभावी ढंग से समन्वय कर रहे हैं .
नागर विमानन मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि अगले दो दिनों में विशेष उड़ानों से यूक्रेन के पड़ोसी देशों से 7,400 से अधिक भारतीयों को वापस लाए जाने की उम्मीद है.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय परिवाहक एयर इंडिया एक्सप्रेस, एयर इंडिया, स्पाइसजेट, इंडिगो, विस्तारा और गो फर्स्ट के शुक्रवार को कुल 17 उड़ानों का संचालन करने की उम्मीद है.
भारत, रूस के सैन्य हमले के कारण 24 फरवरी से यूक्रेन के अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने के कारण युद्धग्रस्त देश के पड़ोसियों जैसे कि रोमानिया, हंगरी और पोलैंड से विशेष विमानों के जरिये अपने नागरिकों को निकाल रहा है.
मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘नागरिकों को लाने वाली उड़ानों की संख्या बढ़ायी जा रही है और अगले दो दिनों में विशेष उड़ानों के जरिये 7,400 से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है.’
इसमें कहा गया है कि 3,500 लोगों के शुक्रवार को और 3,900 से अधिक लोगों के शनिवार को भारत वापस लाए जाने की उम्मीद है.
इससे पहले रूस के एक शीर्ष सैन्य जनरल ने बताया कि युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकोव और सूमी शहरों में फंसे हुए भारतीय छात्रों और अन्य विदेशियों को निकालने के लिए 130 बसों की व्यवस्था की गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुधवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करने और यूक्रेन के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों से भारतीयों की सुरक्षित निकासी पर चर्चा करने के एक दिन बाद रूसी राष्ट्रीय रक्षा नियंत्रण केंद्र के प्रमुख कर्नल-जनरल मिखाइल मिजिन्त्सेव की यह टिप्पणी सामने आई है.
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा था कि लगभग 8,000 भारतीय, मुख्य रूप से छात्र, यूक्रेन में फंसे हुए हैं.
कर्नल-जनरल मिजिन्त्सेव के हवाले से सरकारी समाचार एजेंसी ‘तास’ ने अपनी खबर में कहा, ‘भारतीय छात्रों और अन्य विदेशी नागरिकों को निकालने के लिए कुल 130 बस आज सुबह छह बजे से बेलगोरोद क्षेत्र में नेखोतयेवका और सुदझा चौकियों से खारकोव और सूमी शहरों के लिए रवाना होने के वास्ते तैयार हैं.’
मिजिन्त्सेव ने कहा कि अस्थायी रूप से ठहरने और विश्राम के लिए चौकियों पर जगह बनाई गई है. उन्होंने कहा कि शरणार्थियों को गर्म भोजन उपलब्ध कराया जाएगा और दवाओं के भंडार के साथ वहां मोबाइल क्लीनिक भी स्थापित किए गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद इन लोगों को बेलगोरोद शहर ले जाया जाएगा, जो बाद में रूसी सैन्य विमानों सहित हवाई मार्ग से अपने वतन के लिए रवाना होंगे.’
बाइडन तय करेंगे सीएएटीएसए के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं: अमेरिकी अधिकारी
रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर भारत पर सीएएटीएसए कानून के तहत प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं, इस पर फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन करेंगे. बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों को यह जानकारी दी.
‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) के तहत अमेरिकी प्रशासन के पास ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का अधिकार है.
सीएएटीएसए एक सख्त अमेरिकी कानून है, जो 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में पुतिन के कथित हस्तक्षेप के जवाब में वाशिंगटन को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत करता है, जो मॉस्को से प्रमुख रक्षा साजो-सामान की खरीदारी करते हैं.
भारत के खिलाफ संभावित सीएएटीएसए प्रतिबंधों से जुड़े एक सवाल पर दक्षिण एवं मध्य एशिया में अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने बुधवार को सीनेट की निकट पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद निरोधी मामलों की विदेशी संबंध उपसमिति के सदस्यों को बताया कि नयी दिल्ली पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं, इस पर फैसला राष्ट्रपति बाइडन लेंगे.
लु ने कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि बाइडन प्रशासन सीएएटीएसए कानून का पालन करेगा और इसे पूरी तरह से लागू करेगा. प्रशासन इसके किसी भी पहलू पर आगे बढ़ने से पहले कांग्रेस के साथ राय-मशविरा करेगा.’
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से मैं यह नहीं कह पा रहा हूं कि भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के मामले में राष्ट्रपति या विदेश मंत्री के फैसले को लेकर कोई अंदाजा लगाएं. मैं यह भी नहीं बता पा रहा हूं कि क्या यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई का इस फैसले पर कोई असर होगा.’
लु ने स्पष्ट किया कि बाइडन प्रशासन ने भारत पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है.
उन्होंने कहा, ‘भारत वाकई हमारा एक बेहद अहम सुरक्षा साझेदार है. हम इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के पक्षधर हैं. मुझे उम्मीद है कि रूस को जिस तरह से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है, उससे भारत को समझ आएगा कि अब मॉस्को से दूरी बनाने का समय आ गया है.’
लु ने दावा किया कि रूसी बैंकों पर लगाए गए व्यापक प्रतिबंधों के चलते किसी भी देश के लिए रूस से प्रमुख हथियार प्रणाली की खरीदारी करना बेहद कठिन होगा.
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ हफ्तों में हमने देखा है कि भारत ने कैसे मिग-29 का ऑर्डर रद्द किया, रूसी हेलीकॉप्टर और टैंक रोधी हथियार का ऑर्डर रद्द किया.’
लु की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारत को यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में बुधवार को हुए मतदान से दूर रहने को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेट, दोनों ही दलों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)