लोकपाल को जनवरी तक 4,244 शिकायतें मिलीं, 2020-21 की तुलना में 80 प्रतिशत ज़्यादा

लोकपाल ने सूचना का अधिकार के तहत पूछे गए सवाल पर बताया है, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 4,244 शिकायतें ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक है. वहीं, 2020-21 के दौरान ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से कुल 2,355 शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

लोकपाल का आधिकारिक लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

लोकपाल ने सूचना का अधिकार के तहत पूछे गए सवाल पर बताया है, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 4,244 शिकायतें ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक है. वहीं, 2020-21 के दौरान ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से कुल 2,355 शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

लोकपाल का आधिकारिक लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: भ्रष्टाचार रोधी निकाय लोकपाल को अप्रैल 2021 से 31 जनवरी 2022 के बीच भ्रष्टाचार की 4,244 शिकायतें मिली हैं, जो 2020-21 से 80 प्रतिशत अधिक है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान इसे 1,427 शिकायतें मिली थीं. लोकपाल ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल पर बताया है, ‘वित्तीय वर्ष 2021-22 (31 जनवरी 2022 तक) के दौरान कुल 4,244 शिकायतें (प्रारूप और गैर-प्रारूप सहित) ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं.’

वहीं, 2020-21 के दौरान ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से कुल 2,355 शिकायतें (प्रारूप और गैर-प्रारूप सहित) प्राप्त हुई थीं. सरकार ने मार्च 2020 में लोक सेवकों के खिलाफ लोकपाल में भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करने के लिए एक प्रारूप जारी किया था.

सभी शिकायतकर्ताओं को अनिवार्य रूप से गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर एक शपथ-पत्र देना होता है, जिसमें अन्य चीजों के अलावा उल्लेख किया जाता है, ‘कोई भी झूठी और तुच्छ या परेशान करने वाली शिकायत करना दंडनीय है, जिसमें एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और एक लाख रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है.’

किसी शिकायत में लोक सेवक द्वारा किसी अपराध के किए लगाए गए आरोपों का विवरण होना चाहिए. लोकपाल संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित हिंदी, गुजराती, असमिया और मराठी सहित 22 भाषाओं में से किसी में भी दी गई शिकायतों पर विचार कर सकता है.

एक ऑनलाइन प्रणाली की शुरुआत पिछले साल दिसंबर में की गई थी, जिसके जरिये लोग लोकपाल के समक्ष भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज करा सकते हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 मार्च 2019 को लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को पद की शपथ दिलाई थी. लोकपाल के पास प्रधानमंत्री सहित लोक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार है और यह जांच करने के लिए शीर्ष निकाय है.

लोकपाल के आठ सदस्यों को 27 मार्च, 2019 को जस्टिस घोष ने पद की शपथ दिलाई. लोकपाल के आठ सदस्यों को 27 मार्च, 2019 को जस्टिस घोष ने पद की शपथ दिलाई.  इनमें चार न्यायिक और बाकी गैर न्यायिक सदस्य थे. वर्तमान में लोकपाल में न्यायिक सदस्यों के लिए दो रिक्तियां हैं.

आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में प्राप्त 1,427 शिकायतों में से 613 राज्य सरकार के अधिकारियों से संबंधित थीं और चार केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ थीं.

लोकपाल की वेबसाइट के मुताबिक अप्रैल और जुलाई 2021 के बीच केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ 30 शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

द प्रिंट के मुताबिक, 30 शिकायतों में से 18 शिकायतें समूह ‘ए’ या ‘बी’ के अधिकारियों के खिलाफ थीं. 12 शिकायतें केंद्र के पूर्ण या आंशिक नियंत्रण वाले विभिन्न बोर्ड, निगम, प्राधिकरण,  कंपनी,  ट्रस्ट, स्वायत्त निकाय में अध्यक्ष, सदस्य,  अधिकारी, कर्मचारी के खिलाफ थीं.

आकड़ों के मुताबिक, भ्रष्टाचार रोधी निकाय लोकपाल को साल 2020-21 के दौरान (मार्च 2021 तक) लोकसेवकों के खिलाफ कुल 110 शिकायतें मिली थीं. इनमें से चार मामले सांसदों से जुड़े थे.

उसके बाद लोकपाल को अप्रैल-जून 2021 के बीच भ्रष्टाचार की 12 शिकायतें आईं, जिनमें से आठ शिकायतें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ थीं. आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में प्राप्त 12 शिकायतों में से आठ समूह ‘ए’ अथवा ‘बी’ स्तर के अधिकारियों के खिलाफ थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)