रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर गोलाबारी के बाद रूस का कब्ज़ा

यूक्रेन के सरकारी परमाणु नियामक ने बताया कि एनेर्होदार शहर में स्थित जपोरिजिया संयंत्र पर रूसी हमले के बाद विकिरण के स्तर में अब तक कोई बदलाव नहीं आया है. इस बीच रूस के साथ वार्ता कर रहे यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा कि दोनों पक्ष नागरिकों को निकालने तथा मानवीय मदद देने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने के अस्थायी समझौते पर पहुंच गए हैं.

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सर्विलांस कैमरा फुटेज में एनेर्होदार शहर में रूसी सेना की शेलिंग के बाद जपोरिजिया परमाणु संयंत्र में उठी लपटें. (फोटो: रॉयटर्स)

यूक्रेन के सरकारी परमाणु नियामक ने बताया कि एनेर्होदार शहर में स्थित जपोरिजिया संयंत्र पर रूसी हमले के बाद विकिरण के स्तर में अब तक कोई बदलाव नहीं आया है. इस बीच रूस के साथ वार्ता कर रहे यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा कि दोनों पक्ष नागरिकों को निकालने तथा मानवीय मदद देने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने के अस्थायी समझौते पर पहुंच गए हैं.

सर्विलांस कैमरा फुटेज में एनेर्होदार शहर में रूसी सेना की शेलिंग के बाद जपोरिजिया परमाणु संयंत्र में उठतीं लपटें. (फोटो: रॉयटर्स)

कीव/ जिनेवा/संयुक्त राष्ट्र/पेरिस/नई दिल्ली/मॉस्को/कोपेनहेगन: यूक्रेन के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि देश में स्थित यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र में रूसी गोलाबारी से लगी आग पर काबू पा लिया गया है और इस संयंत्र पर रूसी बलों ने कब्जा कर लिया है.

यूक्रेन के सरकारी परमाणु नियामक ने कहा कि एनेर्होदार शहर में स्थित जपोरिजिया संयंत्र में विकिरण के स्तर मे अब तक कोई बदलाव नहीं आया है. संयंत्र के कर्मचारी इसका निरीक्षण कर रिएक्टर संख्या-1 के कंपार्टमेंट को हुए नुकसान का पता लगा रहे हैं.

नियामक ने फेसबुक पर एक बयान में परमाणु ईंधन को ठंडा करने की क्षमता को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह के नुकसान से 1986 की चेर्नोबिल दुर्घटना या 2011 में जापान के फुकुशिमा हादसे से भी बदतर दुर्घटना हो सकती है.

नियामक ने यह भी कहा कि संयंत्र में इस्तेमाल किए जा चुके परमाणु ईंधन के भंडारण की सुविधा उपलब्ध है. हालांकि इस बात के कोई संकेत नहीं है कि संयंत्र पर गोलाबारी हुई.

इस घटना के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और दूसरे देशों के नेताओं से फोन पर बात हुई है.

अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने ऐहतियात के तौर पर अपनी परमाणु घटना प्रतिक्रिया टीम को सतर्क रहने के लिए कहा है .

इससे पहले, परमाणु संयंत्र के प्रवक्ता एंड्री तुज़ ने यूक्रेनी टेलीविजन को बताया कि गोले सीधे संयंत्र पर गिरे और इसके छह रिएक्टरों में से एक में आग लग गई. उन्होंने कहा कि रिएक्टर का नवीकरण चल रहा है और यह काम नहीं कर रहा.

जपोरिजिया के क्षेत्रीय सैन्य प्रशासन ने कहा कि शुक्रवार सुबह 7 बजे किए गए संयंत्र के निरीक्षण के दौरान पता चला है कि क्षेत्र में विकिरण के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है और इससे लोगों की जान और स्वास्थ्य को खतरा नहीं है.

एनेर्होदार के मेयर दिमित्रो ओरलोव ने शुक्रवार सुबह टेलीग्राम चैनल पर कहा, ‘संयंत्र में लगी आग को बुझा लिया गया है.’

इस बीच, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूस के हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का अनुरोध किया है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी.

परमाणु संयंत्र पर हमले से विकिरण स्राव नहीं: यूएन एजेंसी

यूक्रेन में रूसी हमले का शिकार हुए यूरोप के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र से विकिरण स्त्राव की कोई सूचना नहीं है और दमकल कर्मियों ने परिसर में लगी आग पर काबू पा लिया है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और यूक्रेन के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के महानिदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने बताया कि रूस ने यूक्रेन के जापोरिज्जिया पमाणु संयंत्र को निशाना बनाकर जो गोले दागे थे, वे रिएक्टर के बजाय परिसर में मौजूद प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र से टकराए थे.

ग्रॉसी के साथ-साथ स्वीडन से लेकर चीन तक के परमाणु अधिकारियों ने कहा कि संयंत्र से विकिरण स्त्राव की कोई खबर नहीं है.

यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा है कि रूसी सैनिकों ने पूरे परिसर पर कब्जा कर लिया था, लेकिन संयंत्र के कर्मचारी इसका संचालन सुनिश्चित करने की कोशिशों में जुटे हैं. ग्रॉसी ने कहा कि संयंत्र पूरी तरह से यूक्रेन के नियंत्रण में है.

रूसी हमले के बाद जब शुरुआत में विकिरण स्त्राव की बात स्पष्ट नहीं थी, तब दुनियाभर में यूक्रेन के चेरनोबिल में हुई सबसे भीषण परमाणु त्रासदी की यादें ताजा हो गईं.

पूरी दुनिया के हमले की निंदा करने के मद्देनजर रूस इससे पल्ला झाड़ते नजर आया. रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनाशेनकोव ने कोई सबूत पेश किए बिना रूसी गोलों के बजाय आगजनी को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया.

कोनाशेनकोव ने दावा किया कि एक यूक्रेनी ‘विध्वंसक समूह’ ने संयंत्र में मौजूद प्रशिक्षण केंद्र पर कब्जा करने के बाद रूसी गश्ती दल पर गोलीबारी की और उसके वहां से हटते ही इमारत में आग लगा दी.

हमले में जापोरिज्जिया पमाणु संयंत्र का कौन-सा हिस्सा प्रभावित हुआ है, इसे लेकर पहले अलग-अलग तरह की खबरें आ रही थीं.

एक अधिकारी ने कहा था कि रूसी गोले सीधे संयंत्र पर गिरे, जिससे वहां मौजूद एक निष्क्रिय रिएक्टर तथा प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र की इमारत में आग लग गई. हालांकि, बाद में ग्रॉसी ने स्पष्ट किया कि आग प्रशिक्षण केंद्र में लगी थी.

आईएईए प्रमुख के अनुसार, हमले के चलते जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र से विकिरण फैलने की कोई सूचना नहीं है और आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया है. उन्होंने बताया कि आग में घटनास्थल पर मौजूद दो लोग घायल हुए हैं.

ग्रॉसी के मुताबिक, जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र के छह रिएक्टर में से महज एक काम कर रहा है, वो भी लगभग 60 फीसदी क्षमता के साथ.

वहीं, यूक्रेन के सरकारी परमाणु संयंत्र संचालक एनरहोआतम ने कहा कि हमले में तीन यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं, जबकि दो अन्य घायल हुए हैं.

संयंत्र परिसर में आग तब लगी, जब रूसी सेना यूक्रेन को समुद्र मार्ग से काटने की कोशिश में नीपर नदी पर बसे एक रणनीतिक शहर की तरफ बढ़ी, जहां यह संयंत्र स्थित है.

यह कदम यूक्रेनी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका होगा और पहले से ही गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहे देश में स्थिति और बिगाड़ सकता है.

नॉर्वे के प्रधानमंत्री ने परमाणु संयंत्र पर हमले को ‘पागलपन’ कहा

नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने कहा कि रूसी गोलाबारी जिसके कारण यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र में आग लगी, वह ‘पागलपन का प्रमाण’ है.

गहर स्टोर ने नॉर्वे के प्रसारक एनआरके से कहा कि यदि संयंत्र में रिसाव हो जाए, ‘तो यह करीब 48 घंटे में नॉर्वे पहुंच जाएगा.’

लिथुआनिया में राष्ट्रपति गिटेनेस नौसेदा ने यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर रूसी सेनाओं द्वारा किए गए हमलों को ‘परमाणु आतंकवाद’ करार दिया और ‘रूस के परमाणु अपराधों’ के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का आह्वान किया.

अमेरिकी परमाणु सोसाइटी ने हमले की निंदा की 

अमेरिकी परमाणु सोसाइटी ने हमले की निंदा की है, लेकिन कहा कि वर्तमान विकिरण का स्तर सामान्य है.

अमेरिकी परमाणु सोसाइटी ने अध्यक्ष स्टीवन नेस्बिट और कार्यकारी निदेशक तथा सीईओ सी. पर्सी की ओर से जारी बयान में कहा, ‘यूक्रेनी जनता के जीवन में असली खतरा, हिंसक आक्रमण और देश पर हो रही बमबारी से है.’

इसबीच राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में हथियार नियंत्रण और अप्रसार के पूर्व वरिष्ठ निदेशक और तत्कालीन उपराष्ट्रपति जो बाइडन के पूर्व विशेष सलाहकार रहे जॉन बी. वोल्फस्टल ने कहा कि संयंत्र का रिएक्टर चेरनोबिल के रिएक्टर से अलग है और अगर उसे ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है तो खतरा कम है.

उन्होंने कहा, ‘सभी को संयम बरतने और तत्काल निष्कर्ष नहीं निकालने की जरूरत है.’

आईएईए ने टि्वटर पर कहा कि उसके महानिदेशक मारियानो ग्रॉसी जपोरिजिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की मौजूदा स्थिति को लेकर यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस श्मीगल और यूक्रेनी परमाणु ऊर्जा नियामक और संचालक के लगातार संपर्क में बने हुए हैं.

आईएईए के महानिदेशक ने दोनों पक्षों से गोलाबारी बंद करने की अपील करते हुए कहा कि यदि परमाणु ऊर्जा संयंत्र को निशाना बनाया गया तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के कार्यालय के एक अधिकारी ने पहचान गुप्त रखे जाने की शर्त पर कहा कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र अभी तक क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है और विकिरण का स्तर सामान्य है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने ‘जपोरिजिया परमाणु संयंत्र’ में आग लगने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से बातचीत की और रूस से प्रभावित क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने तथा आपात बचाव दल को वहां जाने की अनुमति देने की मांग की है. ह्वाइट हाउस ने यह जानकारी दी.

ह्वाइट हाउस ने एक बयान में कहा, ‘राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ मिलकर रूस से प्रभावित क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने तथा आपात बचाव दल को वहां जाने की अनुमति देने की मांग की है.’

इससे पहले एक सरकारी अधिकारी ने ‘द एसोसिएटेडेट प्रेस’ (एपी) को बताया कि ‘जपोरिजिया परमाणु संयंत्र’ के आस-पास के क्षेत्र में विकरण का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया है. इस स्थान पर देश की करीब 25 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है.

अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि सूचना को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.

रूसी सेना यूक्रेनी शहर एनेर्होदर पर नियंत्रण के लिए गुरुवार से लड़ाई लड़ रही है, जहां यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है और उन्होंने देश को समुद्र मार्ग से काटने के लिए भी काफी मशक्कत की है.

देश के नेताओं ने नागरिकों से आक्रमणकारियों के खिलाफ छापामार युद्ध करने का आह्वान किया है.

एनेर्होदर में देश का एक-चौथाई बिजली उत्पादन होता है. वहां लड़ाई ऐसे वक्त हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच दूसरे दौर की बातचीत में नागरिकों को निकालने और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक सुरक्षित गलियारा बनाने के संबंध में एक अस्थायी समझौता हुआ है.

कीव क्षेत्र के एक गांव में रूसी शेलिंग के बाद लगी आग बुझाता दमकलकर्मी. (फोटो: रॉयटर्स)

रूसी सेना ने यूक्रेन के प्रमुख बंदरगाह पर कब्जा किया

इससे पहले रूसी सेना ने यूक्रेन के एक प्रमुख बंदरगाह पर नियंत्रण कर लिया और देश को उसकी तटरेखा से अलग करने के प्रयासों के तहत एक अन्य की घेराबंदी कर ली है. वहीं, यूक्रेन ने अपने नागरिकों से आक्रमणकारियों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ने का आह्वान किया है.

डनाइपर नदी पर बसे शहर एनेर्होदर में लड़ाई तब हुई है जब दोनों पक्षों ने खूनखराबे को रोकने के उद्देश्य से एक और दौर की वार्ता के लिए बैठक की.

यूक्रेन को तटरेखा से अलग करने का देश की अर्थव्यवथा पर करारा असर पड़ेगा और रूस को क्रीमिया तक उसकी सीमा से एक जमीनी गलियारा बनाने में मदद मिलेगी.

रूसी सेना ने कहा कि उसके पास खेरसॉन का नियंत्रण था, और स्थानीय यूक्रेनी अधिकारियों ने पुष्टि की कि रूसी बलों ने काला सागर बंदरगाह में स्थानीय सरकारी मुख्यालय पर कब्जा कर लिया है, जिससे यह एक सप्ताह पहले आक्रमण शुरू होने के बाद से कब्जे में आने वाला पहला बड़ा शहर बन गया.

राजधानी कीव के बाहर भी टैंक और अन्य वाहन खड़े नजर आ रहे है. आजोव सागर, मारियुपोल पर एक और रणनीतिक बंदरगाह शहर के बाहरी इलाके में गुरुवार को जबरदस्त लड़ाई जारी रही. बिजली और फोन कनेक्शन काफी हद तक बंद हैं, और घरों तथा दुकानदारों को भोजन और पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

फोन कनेक्शन उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में चिकित्सकों को नहीं पता था कि घायलों को कहां ले जाना है.

यू्क्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि रूस की थल सेना को रोक दिया गया है और मॉस्को अब हवाई हमले कर रहा हे लेकिन खेरसॉन समेत अन्य क्षेत्रों में यूक्रेन की रक्षा प्रणालियां इन हमलों को रोक रही है.

उन्होंने कहा, ‘कीव ने एक और मिसाइल तथा बम हमले को झेला. हमारे वायु रक्षा प्रणालियों ने काम किया. खरेजॉन, लीयुम-अन्य सभी शहर जहां हवाई हमला किया गया, उन्होंने हार नहीं मानी.’

कीव के मयेर विताली क्लित्श्चको ने कहा कि राजधानी में रात भर धमाकों की आवाज सुनी गयी.

जेलेंस्की ने गुरुवार तड़के देश को दिए संबोधन में राष्ट्र के प्रतिरोध की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे लोग हैं जिन्होंने एक सप्ताह में दुश्मन की योजनाओं को धराशायी कर दिया है. उनकी यहां कोई जगह नहीं होगी. उनके पास कोई भोजन नहीं होगा. वे यहां एक पल भी शांति से नहीं रह पाएंगे.’

यूक्रेन, रूस नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने पर राजी

इस बीच रूस के साथ वार्ता कर रहे यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा कि दोनों पक्ष नागरिकों को निकालने तथा मानवीय मदद देने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने के अस्थायी समझौते पर पहुंच गए हैं.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के सलाहकार मिखाइलो पोदोलियाक ने कहा कि रूस और यूक्रेन एक प्रारंभिक समझौते पर पहुंच गए हैं कि उन इलाकों में संघर्ष विराम लागू किया जाएगा जहां सुरक्षित गलियारे बनाए गए हैं.

उन्होंने पोलैंड की सीमा के समीप बेलारूस में गुरुवार को हुई वार्ता में भाग लिया.

इसके बाद यूक्रेन और रूस के वार्ताकारों ने कहा कि युद्ध पर तीसरे दौर की वार्ता जल्द ही होगी.

पोलैंड की सीमा के समीप बेलारूस में गुरुवार को वार्ता में रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सलाहकार व्लादिमीर मेदिन्स्की ने कहा कि दोनों पक्षों की ‘स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है, संघर्ष के राजनीतिक समाधान से संबंधित मुद्दों समेत एक-एक बात लिखी गयी है.’

उन्होंने विस्तार से जानकारी दिए बिना कहा, ‘उनकी ओर से आपसी सहमति बनी है.’

रूस के वरिष्ठ सांसद लियोनिद स्लुत्स्की ने कहा कि अगली दौर की वार्ता में समझौते हो सकते हैं, जिन्हें रूस और यूक्रेन की संसदों द्वारा अनुमोदित किए जाने की आवश्यकता होगी.

यूक्रेन के लवीव में एक स्कूल की बेसमेंट में आश्रय लिए नागरिक. (फोटो: रॉयटर्स)

जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से अधिक सैन्य सहायता मांगी

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बातचीत के लिए बैठने का आह्वान करने के साथ ही पश्चिमी देशों से यूक्रेन को रूसी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए और मजबूत सैन्य सहायता मुहैया कराने आग्रह किया है.

पुतिन द्वारा विदेशी नेताओं और रूसी अधिकारियों के साथ हालिया बैठकों के लिए इस्तेमाल की गई एक लंबी मेज की ओर व्यंग्यात्मक रूप से इशारा करते हुए जेलेंस्की ने कहा, ‘मेरे साथ बातचीत करने के लिए बैठिए, 30 मीटर दूर नहीं. मैं काटता नहीं हूं. आप किस बात से भयभीत हैं?’

जेलेंस्की ने गुरुवार के समाचार सम्मेलन के दौरान कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच एक और दौर की वार्ता की संभावनाएं आशाजनक नहीं लगती. उन्होंने हालांकि यह कहते हुए वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया कि ‘कोई भी शब्द किसी गोली से अधिक महत्वपूर्ण हैं.’

उन्होंने कहा कि यूक्रेन को समर्थन देने में दुनिया की गति बहुत धीमी है. उन्होंने पश्चिमी देशों के नेताओं का आह्वान किया कि वे रूसी युद्धक विमानों को रोकने के लिए यूक्रेन पर ‘नो-फ्लाई ज़ोन’ लागू करें.

अमेरिका और नाटो सहयोगियों ने इस कदम से इनकार किया है क्योंकि इससे रूसी और पश्चिमी देशों की सेनाएं आमने-सामने आ जाएंगी.

जेलेंस्की ने कहा कि यदि पश्चिमी देश यूक्रेन पर ‘नो-फ्लाई ज़ोन’ घोषित करने को लेकर अनिच्छुक हैं, तो उन्हें कम से कम कीव को युद्धक विमान प्रदान करने चाहिए.

यूक्रेन को रक्षा आपूर्ति कर रहा है जापान

इस बीच रूस के हमलों के खिलाफ लड़ने में मदद पहुंचाने के लिए जापान यूक्रेन को बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट और अन्य रक्षा संसाधनों की आपूर्ति कर रहा है.

जापान ने युद्धग्रस्त देशों को रक्षा आपूर्ति नहीं भेजने के अपने सिद्धांत के विपरीत यह दुर्लभ कदम उठाया है.

मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाजू मातसूनो ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के फैसले के बाद अन्य साजो-सामान संबंधी विवरण को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

यूक्रेन के अनुरोध पर रक्षा सामग्री भेजी जा रही है. मातसूनो ने कहा कि अपने सिद्धांत के अनुरूप जापान केवल गैर-घातक सामग्री भेज रहा है.

पुतिन ने हमले रोकने से इनकार किया: मैक्रों

उधर, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन पर हमले रोकने के लिए एक बार फिर कहा है, लेकिन पुतिन अभी ऐसा नहीं करेंगे.

मैक्रों ने ट्वीट किया, ‘इस समय तो उन्होंने इससे इनकार किया है.’

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने पुष्टि की कि उन्होंने गुरुवार को पुतिन से फोन पर बात की थी और कहा कि वह संवाद जारी रखेंगे ताकि और अधिक मानवीय त्रासदी नहीं हो.

उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, ‘हमें हालात बदतर होने से रोकने चाहिए.’

यूक्रेन के चेर्निहिव में क्षतिग्रस्त हुई एक रिहायशी इमारत. (फोटो: रॉयटर्स)

मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच को यूनएचआरसी प्रस्ताव पर मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा

यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद कथित मानवाधिकार उल्लंघनों और संबंधित अपराधों की जांच के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में शुक्रवार को हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया.

संयुक्त राष्ट्र की 47 सदस्यीय परिषद में ‘रूसी आक्रमण से यूक्रेन में उपजी मानवाधिकारों की स्थिति’ पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ.

प्रस्ताव पारित कर दिया गया. प्रस्ताव के पक्ष में 32 मत पड़े जबकि दो वोट (रूस और इरित्रिया) इसके खिलाफ पड़े. वहीं भारत, चीन, पाकिस्तान, सूडान और वेनेजुएला सहित 13 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में फ्रांस, जर्मनी, जापान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं.

प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की गई.

इसमें कहा गया कि प्रस्ताव ‘यूक्रेन के खिलाफ रूसी संघ की आक्रामकता के संदर्भ में कथित सभी मानवाधिकारों उल्लंघनों और हनन और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और संबंधित अपराधों की जांच करने, साथ ही ऐसे किसी भी उल्लंघन और दुर्व्यवहार के तथ्यों, परिस्थितियों और मूल कारणों को स्थापित करने के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग की स्थापना करने का फैसला करता है.’

प्रस्ताव पारित होने के एक दिन पहले गुरुवार को भारत ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें सत्र में यूक्रेन में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में हुई तत्काल चर्चा में कहा था कि वह यूक्रेन में लगातार बिगड़ती मानवीय स्थिति पर बहुत चिंतित है.

भारत ने हिंसा और शत्रुता को समाप्त करने का आग्रह किया था. भारत ने कहा था, ‘मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. मतभेदों और विवादों के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.’

भारत ने यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण और संघर्ष क्षेत्रों में सुरक्षित मानवीय पहुंच का आह्वान किया.

मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष द्वारा जांच आयोग में एक वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए तीन मानवाधिकार विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे.

आयोग को ‘जहां संभव हो, उन व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान करने का अधिकार होगा जो उल्लंघनों और मानवाधिकारों उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार हैं या यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, या अन्य संबंधित अपराधों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए.’

प्रस्ताव ने यूक्रेन में जारी मानवाधिकारों और मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई और रूस से कहा गया कि वह ‘यूक्रेन में अपने मानवाधिकार उल्लंघनों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघनों को तुरंत रोके.’

प्रस्ताव में यूक्रेन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर से और यूक्रेन के पूरे क्षेत्र से रूसी सैनिकों और रूसी समर्थित सशस्त्र समूहों की ‘तेजी से और सत्यापन योग्य’ वापसी का भी आह्वान किया गया.

भारत ने पिछले एक सप्ताह के दौरान 15 देशों की सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर दो प्रस्तावों और 193 सदस्यीय महासभा में एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया है.

193 सदस्यीय महासभा ने इस सप्ताह यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की निंदा थी और मांग की थी कि मास्को यूक्रेन के क्षेत्र से अपने सभी सैन्य बलों को ‘पूरी तरह से और बिना शर्त’ वापस हटा ले.

भारत ने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था, जिसके पक्ष में 141 मत पड़े जबकि पांच वोट इसके खिलाफ डाले गए थे और कुल 35 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.

सूमी में फंसे छात्रों ने सोशल मीडिया के जरिये लगाई मदद की गुहार

यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच, उत्तरपूर्वी शहर सूमी में फंसे कुछ भारतीय छात्रों ने मदद के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है.

तेजी से खत्म होते भोजन और पानी को देखते हुए यह छात्र हर घंटे अपने बारे में जानकारी दे रहे हैं और सहायता के लिए सरकार से गुहार लगाते हुए कह रहे हैं कि इससे पहले कि स्थिति बदतर हो जाए और वे ‘शव में बदल जाएं’, सरकार को उन्हें बचाना चाहिए.

उन छात्रों में से एक महक शेख ने गुरुवार को आठ सेकेंड का एक वीडियो डाला और शहर में एक धमाके जैसी घटना के बारे में बताया. शेख ने एक पोस्ट में लिखा, ‘पूरे शहर में अंधेरा है, बिजली पानी कुछ नहीं है और पास में कई धमाके हो रहे हैं. नेटवर्क भी धीमा है.’

एक अन्य छात्रा राधिका सांगवान ने कहा कि सूमी में 700-800 छात्र फंसे हैं और उन्हें निकाले जाने का कोई पुष्ट समाचार नहीं है.

सांगवान ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘मैं यूक्रेन के सूमी में एक छात्र हूं. सूमी में 700 से 800 छात्र हैं. हमले का यह सातवां दिन है और हमें निकालने के प्रयास की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. तनाव, भय और परेशानी ने हमें घेरा हुआ है. कृपया मदद करें.’

यूकेन में भारत के दूतावास ने रविवार को कहा था कि खारकीव, सूमी और कीव में भीषण लड़ाई चल रही है. दूतावास ने इन शहरों में भारतीयों से आग्रह किया था कि जब तक कर्फ्यू नहीं हट जाता तब तक उन्हें रेलवे स्टेशन की ओर नहीं जाना चाहिए.

कई खबरों के अनुसार, सूमी में ट्रेन और बसें रुक गई हैं, सड़कें और पुल नष्ट हो गए हैं तथा सड़कों पर लड़ाई हो रही है.

एक छात्र ने सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो में कहा, ‘बिजली नहीं है. पानी नहीं है. एक बड़ा धमाका हुआ इसलिए हम बंकरों में चले आए. कृपया हमें निकालिए.’

शेख द्वारा गुरुवार को साझा किए गए एक अन्य वीडियो में कई सशत्र लोगों को उनके हॉस्टल के बाहर घूमते देखा जा सकता है.

अब भी खारकीव में फंसे हैं कई भारतीय छात्र

भारत सरकार द्वारा तत्काल यूक्रेन के शहर खारकीव को छोड़ने का परामर्श जारी किए जाने के एक दिन बाद भी वहां फंसे तमाम छात्र युद्ध ग्रस्त पूर्वी यूक्रेन से सुरक्षित क्षेत्र में जाने का प्रयास कर रहे हैं.

खारकीव में युद्ध तेज होने के बाद भारत ने बुधवार को अपने लोगों से कहा था कि वे तत्काल शहर से बाहर निकल जाएं, अगर उन्हें पैदल यात्रा करनी पड़े तब भी.

वहीं रूस ने संघर्ष वाले क्षेत्र से भारतीयों को बाहर निकलने के संबंध में ‘मानवीय कॉरिडोर’ बनाने का वादा किया है.

हालांकि, छात्रों का दावा है कि उन्हें अभी भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

खारकीव में मौजूद एक भारतीय मेडिकल छात्रा फिरदौस तरन्नुम ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए क्योंकि रात गुजर गई है और हम बच गए हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि संघर्ष समाप्त हो गया है. हम अभी भी सुरक्षित क्षेत्र में नहीं हैं. हमने चलना शुरू किया, लेकिन रेलवे स्टेशनों पर लोगों की बाढ़ आयी हुई है और अभी भी हम ट्रेन पर सवार नहीं हो पाये हैं.’

मेडिकल के पहले वर्ष के छात्र रेहम खान ने कहा, ‘हम खारकीव के पास पिसोचिन में एक सुरक्षित स्थान पर हैं. हमारे पास कंबल नहीं हैं और खाना भी लगभग समाप्त हो गया है. सरकार का परामर्श जारी होने के साथ ही हमने तत्काल चलना शुरू कर दिया. मैं आशा करता हूं कि वे हमारे लिए तत्काल बसों का इंतजाम करेंगे ताकि हम यहां से बाहर निकल सकें.’

राशन बचाएं, भरपेट भोजन करने से बचें: खारकीव में फंसे भारतीयों को रक्षा मंत्रालय का परामर्श

इसी बीच रक्षा मंत्रालय ने युद्धग्रस्त यूक्रेन के खारकीव शहर में फंसे भारतीयों के लिए गुरुवार शाम परामर्श की एक सूची जारी की क्योंकि वहां ‘संभवत: खतरनाक या मुश्किल स्थिति पेश आने की आशंका है.’

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीयों के प्रत्येक समूह या दस्ते को लहराने के लिए एक सफेद झंडा या सफेद कपड़ा रखना चाहिए.

इसमें कहा गया है कि भोजन और पानी बचाएं तथा उसे साझा करें, शरीर में पानी की मात्रा बनाएं रखें, भरपेट भोजन करने से बचें और राशन बचाने के लिए कम खाएं.

मंत्रालय ने कहा कि हवाई हमले, तोपों से गोलाबारी, छोटे हथियारों से गोलीबारी, ग्रेनेड विस्फोट जैसी कुछ संभावित खतरनाक या मुश्किल स्थिति हैं, जिनके खारकीव में पेश आने की आशंका है.

इसमें कहा गया है कि खारकीव में फंसे भारतीय चौबीसों घंटे अपने पास आवश्यक वस्तुओं की एक छोटी किट रखें.

मंत्रालय ने सुझाव दिया कि आपात स्थिति उपयोग किट में पासपोर्ट, पहचान पत्र, जरूरी दवा, जीवन रक्षक दवा, टॉर्च, दियासलाई, लाइटर, मोमबत्ती, नकदी, पावर बैंक, पानी, प्राथमिक उपचार किट, दस्ताने, गर्म जैकेट आदि चीजें होनी चाहिए.

मंत्रालय ने कहा, ‘यदि आप खुद को खुले स्थान या मैदान में पाएं तो बर्फ पिघालकर पानी बनाएं.’

रोमानिया, हंगरी और पोलैंड जैसे यूक्रेन के पश्चिमी पड़ोसी देशों से होकर 26 फरवरी से भारत अपने नागरिकों को निकाल रहा है. हालांकि, भारतीयों का एक वर्ग-विशेषकर छात्र-खारकीव में फंसे हुए हैं, जो रूसी सीमा के नजदीक पूर्वी यूक्रेन में है.

मंत्रालय ने सलाह दी है कि वहां भारतीय खुद को छोटे समूहों या 10 भारतीय छात्रों के दस्ते में रखें. साथ ही, हर 10 लोगों के समूह में एक समन्वयक और एक उप समन्वयक रखें.

मंत्रालय ने कहा कि मानसिक रूप से मजबूत रहें और दहशत में नहीं आएं. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाएं. विवरण, नाम, पता, मोबाइल नंबर और भारत में अपने संपर्क को संकलित करें.

मंत्रालय ने सुझाव दिया कि वॉट्सऐप पर अपनी भोगौलिक स्थिति को दूतावास या नयी दिल्ली में स्थित नियंत्रण कक्ष से साझा करें और हर आठ घंटे पर सूचना अद्यतन करें.

मंत्रालय ने खारकीव में फंसे भारतीयों से अपने मोबाइल फोन से अनावश्यक ऐप हटा देने और बैटरी बचाने के लिए फोन पर बात कम करने तथा उसकी ध्वनि कम रखने को कहा है.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीयों को निर्धारित क्षेत्र में, बेसमेंट या बंकर में रहना चाहिए. मंत्रालय ने कहा, ‘रूसी भाषा में दो या तीन वाक्य बोलना सीखें (उदाहरण के तौर पर: हम छात्र हैं, हम लड़ाके नहीं हैं, कृपया हमे नुकसान नहीं पहुंचाइए, हम भारत से हैं).’

इसने सुझाव दिया है कि संक्षिप्त नोटिस पर दूसरी जगह जाने के लिए तैयार रहें. मंत्रालय ने कहा कि सैन्य वाहनों या सैनिकों के साथ या जांच चौकी पर या मिलीशिया के साथ तस्वीरें या सेल्फी नहीं लें.

कीव में एक भारतीय छात्र गोली लगने से हुआ घायल : वीके सिंह

वहीं, नागर विमानन राज्य मंत्री वीके सिंह ने शुक्रवार को बताया कि यूक्रेन की राजधानी कीव में एक भारतीय छात्र कथित तौर पर गोली लगने से घायल हो गया है.

सिंह, इस समय युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए उसके पड़ोसी देश पोलैंड में हैं.

मंत्री ने पत्रकारों से कहा, ‘आज, हमें पता चला है कि कीव छोड़कर जा रहे एक छात्र को गोली लग गई है. उसे वापस कीव ले जाया गया है. युद्ध में ऐसा होता है.’

गौरतलब है कि एक मार्च को यूक्रेन के खारकीव में गोली लगने से कर्नाटक के छात्र नवीन एसजी की मौत हो गई थी. वह घटना के वक्त अपने और साथी छात्रों के लिए भोजन लेने बाहर निकला था.

सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रही है कि कम से कम नुकसान के साथ अधिक से अधिक छात्र यूक्रेन से बाहर आ सकें.

यूक्रेन से आए भारतीय छात्रों को पोलैंड से लाने वाली एक फ्लाइट में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह. (फोटो साभार: ट्विटर/@@DDNewslive)

यूक्रेन से 17,000 भारतीयों को अभी तक निकाला गया: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा

भारतीय उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से दाखिल उस प्रतिवेदन पर शुक्रवार को गौर किया, जिसमें उसने कहा है कि युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे 17,000 भारतीयों को अभी तक वहां से निकाला जा चुका है.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बेंगलुरु निवासी फातिमा अहाना और कई अन्य मेडिकल छात्रों को निकालने के लिए किए गए व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना की. ‘

रूस की 24 फरवरी को सैन्य कार्रवाई शुरू होने के बाद ये लोग रोमानिया सीमा के पास फंसे हुए थे. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे 17,000 भारतीयों को अभी तक वहां से निकाला जा चुका है.

पीठ ने कहा, ‘हम केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हैं. अभी उस पर कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन हम चिंतित भी हैं.’

पीठ ने यूक्रेन से भारतीय छात्रों और अन्य लोगों को निकालने के लिए दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा कि वह फंसे हुए लोगों के परिवारों के लिए एक ‘हेल्पडेस्क’ स्थापित करने पर विचार करे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)