यूक्रेन में मृत भारतीय छात्र: भाजपा विधायक बोले- शव जितनी जगह घेरेगा, उतने में 10-12 लोग आ सकते हैं

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जान गंवाने वाले भारतीय छात्र नवीन के शव को भारत लाने के सवाल पर हुबली धारवाड़ पश्चिम से भाजपा विधायक अरविंद बेल्लाड का कहना है कि ऐसी स्थिति में जब जीवित लोगों को लाना मुश्किल साबित हो रहा है तब शव लाना और भी मुश्किल होगा, क्योंकि यह अधिक जगह घेरेगा. इतनी जगह में 10 से 12 लोगों को लाया जा सकता है.

///
नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर. (फोटो: पीटीआई)

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जान गंवाने वाले भारतीय छात्र नवीन के शव को भारत लाने के सवाल पर हुबली धारवाड़ पश्चिम से भाजपा विधायक अरविंद बेल्लाड का कहना है कि ऐसी स्थिति में जब जीवित लोगों को लाना मुश्किल साबित हो रहा है तब शव लाना और भी मुश्किल होगा, क्योंकि यह अधिक जगह घेरेगा. इतनी जगह में 10 से 12 लोगों को लाया जा सकता है.

कर्नाटक के हावेरी स्थित नवीन शेखरप्पा के आवास पर उनकी तस्वीर लगाकर शोक व्यक्त करने के दौरान की तस्वीर. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरु: कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अरविंद बेल्लाड का कहना है कि यूक्रेन में एक मार्च को गोलाबारी में जान गंवाने वाले नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर का शव वापस लाने के दौरान ज्यादा जगह घेरेगा और इतने स्थान का इस्तेमाल युद्ध ग्रस्त देश में फंसे 10-12 लोगों को निकालने के लिए किया जा सकता है.

हुबली धारवाड़ पश्चिम से विधायक ने कहा कि भारत सरकार के साथ-साथ कर्नाटक सरकार यूक्रेन के खारकीव से नवीन के पार्थिव देह को लाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जिस स्थान पर शव रखा है, वह एक युद्ध क्षेत्र है और मौजूदा परिस्थितियों में शव वापस भारत लाना मुश्किल है.

बेल्लाड ने गुरुवार को कहा, ‘यह एक युद्ध क्षेत्र है. आप सभी चैनलों के माध्यम से जमीनी हालात को टेलीविजन पर देख रहे हैं. पार्थिव शरीर को उड़ान सेवाएं शुरू होने के बाद लाया जाएगा.’

भाजपा विधायक ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में जब जीवित लोगों को लाना मुश्किल साबित हो रहा है तब शव लाना और भी मुश्किल होगा क्योंकि यह अधिक जगह घेरेगा. इतनी जगह में 10 से 12 लोगों को लाया जा सकता है.’

सत्तारूढ़ दल के विधायक ने यह भी कहा कि छात्र भारत में मोटी फीस के कारण विदेश में मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के अपने सपने को साकर करने के लिए पलायन करते हैं.

राज्य के हावेरी जिले के चालगेरी के रहने वाले 22 वर्षीय नवीन खारकीव में अन्य लोगों के साथ एक बंकर में थे. वह एक मार्च को खाने-पीने का सामान लेने और मुद्रा बदलवाने के लिए बंकर से बाहर निकले थे और गोलाबारी की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई थी.

उनका पार्थिव शरीर खारकीव के शवगृह में रखा है. उनके माता-पिता ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि अंतिम संस्कार के लिए उनके बेटे की पार्थिव देह स्वदेश वापस लाई जाए.

इस बीच चालगेरी के वेंकटेश वैश्यार ने कहा है कि उनका 23 वर्षीय बेटा और 24 वर्षीय भतीजा सुमन यूक्रेन में हैं और उन्हें खारकीव से करीब 20 किलोमीटर दूर एक स्कूल में रखा गया है जहां तकरीबन 1700 अन्य भारतीय हैं.

उन्होंने कहा कि अमित और सुमन सुरक्षित क्षेत्र में जाने के लिए ट्रेन में नहीं चढ़ सके, क्योंकि यूक्रेन के अधिकारियों ने महिलाओं और अपने देश के नागरिकों को प्राथमिकता दी.

बहरहाल, नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौड़ा ने बुधवार को एनडीटीवी को बताया था कि उन्हें सरकार ने आश्वासन दिया है कि नवीन का शव दो दिन के भीतर ले आया जाएगा. उन्होंने बताया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अपने बेटे का शव घर लाने के लिए मदद की गुहार लगाई थी.

नवीन शेखरप्पा खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष का मेडिकल छात्र थे.

बीते दिनों उनके पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने दावा किया था कि महंगी मेडिकल शिक्षा और ‘जातिवाद’ कुछ ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से भारतीय विद्यार्थी डॉक्टर बनने का ख्वाब पूरा करने के लिए यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं.

नवीन के शोक संतप्त पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने कहा था कि निजी नियंत्रण वाले कॉलेजों में भी मेडिकल की एक सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं और यही वजह है कि मेडिकल पेशा बहुत ही कठिन विकल्प बन गया है.

उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि उनके बेटे को 10वीं में 96 प्रतिशत और 12वीं में 97 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे और उसने डॉक्टर बनने का सपना 10वीं कक्षा में देखा था.

उन्होंने कहा था, ‘शिक्षा प्रणाली और जातिवाद के कारण उसे सीट नहीं मिल सकी, जबकि वह मेधावी छात्र था. यहां एक मेडिकल सीट हासिल करने के लिए एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक घूस देने पड़ते हैं.’

ज्ञानगौदर ने कहा था कि वह देश की राजनीतिक प्रणाली, शिक्षा व्यवस्था और जातिवाद से दुखी हैं, क्योंकि सब कुछ निजी संस्थानों के नियंत्रण में है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)