विधानसभा में धर्मांतरण रोधी विधेयक लाने वाला 11वां राज्य बना हरियाणा

शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार ने 'हरियाणा अवैध धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022' पेश किया, जिस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई. कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह कादियान ने सदन में विधेयक की एक प्रति फाड़ दी, जिसके बाद उन्हें सत्र से निलंबित कर दिया गया.

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विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर. (फोटो: पीटीआई)

शुक्रवार को बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार ने ‘हरियाणा अवैध धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022’ पेश किया, जिस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई. कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह कादियान ने सदन में विधेयक की एक प्रति फाड़ दी, जिसके बाद उन्हें सत्र से निलंबित कर दिया गया.

विधानसभा में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के खिलाफ प्रावधान वाला एक विधेयक शुक्रवार को विधानसभा में पेश किया, जिसके बाद सदन में हंगामा हो गया.

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह कादियान को सदन में विधेयक की एक प्रति फाड़ने की वजह से बजट सत्र से निलंबित कर दिया. कादियान के निलंबन के विरोध में कांग्रेस सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया.

रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्री अनिल विज ने यहां विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन हरियाणा अवैध धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 पेश किया. इसके साथ ही हरियाणा इस तरह का कानून लाने वाला ग्यारहवां राज्य बन गया है.

‘धर्म की स्वतंत्रता’ या ‘धर्मांतरण विरोधी’ कानून आमतौर पर  ‘लव जिहाद’ कानून के नाम से प्रचलित हैं. नवंबर 2020 में विज ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार ‘लव जिहाद’ के खिलाफ एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगी.

पिछले साल विधेयक में ‘लव जिहाद’ शब्द को शामिल करने से हरियाणा के सत्तारूढ़ गठबंधन में हलचल पैदा हो गई थी, जब उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि उनकी पार्टी ‘लव जिहाद’ शब्दावली से असहमत है और ऐसे किसी विधेयक का समर्थन नहीं करेगी जिसमें यह शब्दावली प्रयुक्त होगी. उसके बाद विज ने घोषणा की थी कि यह शब्द विधेयक में मौजूद नहीं होगा.

‘लव जिहाद’ संघ परिवार और हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल में लाई जाने वाली शब्दावली है, जिसमें कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है. अब कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाकर इन संगठनों के निराधार दावों को कानूनी रूप देने का प्रयास किया जा रहा है.

हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया है कि उसके पास ऐसे मामलों का कोई डेटा नहीं है. साथ ही जिन 10 राज्यों में यह कानून हाल ही में लाया गया है, उसके बारे में रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसने विभिन्न तरीकों से महिलाओं की स्वतंत्रता को प्रभावित किया है.

पिछले महीने ‘मसौदा समिति’ की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए अनिल विज ने कहा था कि ‘यह कानून अमल में आने पर राज्य में किसी भी व्यक्ति द्वारा बल, प्रलोभन, विवाह के झांसे या किसी अन्य अनैतिक तरीके से धर्म परिवर्तन के किसी भी प्रयास को रोक देगा और  दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’

हरियाणा से पहले दस अन्य राज्य- जिनमें से अधिकांश भाजपा शासित हैं, इसी तरह के कानून लाए थे. ये राज्य कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड हैं. इनमें से कई जगह इन कानूनों को अदालतों में चुनौती भी दी गई है.

मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा- विधेयक में किसी धर्म का उल्लेख नहीं

शुक्रवार को सदन में विधेयक पेश किए जाने के बाद, कादियान ने आरोप लगाया कि यह विभाजनकारी नीतियों को दर्शाता है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कांग्रेस विधायक कादियान ने विधेयक लाने के पीछे की तात्कालिकता पर सवाल उठाया और इसे पहले प्रवर समिति को भेजने की मांग की.

कादियान ने सत्तारूढ़ भाजपा-जननायक जनता पार्टी गठबंधन पर विभाजनकारी नीतियों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘आप राम और रहीम के बीच एक दीवार खड़ी कर रहे हैं.’

इस पर विज ने कहा कि विधेयक में किसी धर्म का उल्लेख नहीं है. हालांकि, कांग्रेस ने विरोध जारी रखा.

इस बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी हस्तक्षेप किया. इसी समय आवेश में खट्टर ने कांग्रेस नेताओं से कहा कि वे दूसरे धर्म में परिवर्तित होने के लिए स्वतंत्र हैं. इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस सदस्य आपत्ति जताते हुए अपनी सीटों से उठ खड़े हुए. हालांकि खट्टर ने खेद व्यक्त करते हुए अपनी टिप्पणी वापस ले ली.

इसके बाद मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, ‘विधेयक में किसी धर्म का उल्लेख नहीं है और इसमें केवल जबरन धर्मांतरण का जिक्र है. इसका मकसद जबरन धर्मांतरण को रोकना है. किसी भी व्यक्ति को जबरदस्ती, धमकी या विवाह के जरिये लोगों को धर्मांतरित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’

कांग्रेस सदस्य खट्टर की किसी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए अपनी सीटों से उठ खड़े हुए. कादियान ने विधेयक की प्रति फाड़ दी, जिससे विधानसभा अध्यक्ष नाराज हो गए. जब कादियान ने कहा कि यह एक साधारण कागज है, तो विधानसभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि विधेयक एक कानूनी दस्तावेज है.

विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस सदस्य से अपने कृत्य पर खेद व्यक्त करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि वह सदन में इस तरह के व्यवहार की अनुमति नहीं देंगे. इसके बाद गुप्ता ने कादियान को बजट सत्र से निलंबित कर दिया.

इस पहले खट्टर ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म बदलना चाहता है तो उसका प्रावधान बिल में लिखा है.’

विधेयक के अनुसार, अगर शादी करने के इरादे से धर्म छुपाया जाता है, तो व्यक्ति को तीन साल से लेकर दस साल तक की कैद की सजा होगी और जुर्माना भी देना होगा, जो विधेयक के अनुसार तीन लाख रुपये से कम नहीं होगा.

साथ ही विधेयक में उन विवाहों को अमान्य घोषित करने का प्रावधान भी है, जो केवल एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के उद्देश्य से किए गए थे.

इसके अलावा, प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए बड़े पैमाने पर होने वाले धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम पांच साल की जेल (जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है) और कम से कम चार लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा.

विहिप ने हरियाणा के धर्मांतरण पर रोक लगाने संबंधी विधेयक का स्वागत किया

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत करने के निर्णय का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि इसके कानूनी स्वरूप लेने पर ‘राष्ट्र विरोधी षड्यंत्र रचने वाले तत्वों’ एवं ऐसी ‘गैर कानूनी गतिविधियों’ पर रोक लगेगी.

विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा, ‘अगर यह विधेयक पारित होता है तब इससे अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद तथा इनके माध्यम से राष्ट्र विरोधी षड्यंत्र रचने वाले तत्वों पर इस कानून से अवश्य रोक लगेगी.’

उन्होंने कहा कि हरियाणा हमेशा से धर्म क्षेत्र रहा है जहां मानव सभ्यता हमेशा पुष्पित-पल्लवित होती रही है लेकिन पिछले समय में कई क्षेत्रों में अवैध धर्मांतरण एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बढ़ने की घटनाएं भी सामने आई हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)