यूपी: कैराना सीट पर चुनाव के दौरान लापरवाही के आरोप में ज़ोनल मजिस्ट्रेट निलंबित

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: यूपी में अंतिम चरण के मतदान से पहले नौ ज़िलों की 54 विधानसभा सीटों पर प्रचार थमा. वहीं, मणिपुर में दूसरे चरण के मतदान में शाम पांच बजे तक 76.04 प्रतिशत वोट पड़े. इसके अलावा राज्य में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को करोड़ों रुपये के 'भुगतान' को चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन न मानने के बाद अब कोर्ट जाएगी कांग्रेस.

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यूपी में पहले चरण के मतदान से पूर्व ईवीएम जांचते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: यूपी में अंतिम चरण के मतदान से पहले नौ ज़िलों की 54 विधानसभा सीटों पर प्रचार थमा. वहीं, मणिपुर में दूसरे चरण के मतदान में शाम पांच बजे तक 76.04 प्रतिशत वोट पड़े. इसके अलावा राज्य में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को करोड़ों रुपये के ‘भुगतान’ को चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन न मानने के बाद अब कोर्ट जाएगी कांग्रेस.

यूपी में पहले चरण के मतदान से पूर्व ईवीएम जांचते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

मुजफ्फरनगर/नई दिल्ली/गाजीपुर/जौनपुर/लखनऊ/इंफाल: चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के कैराना विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान जोनल मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात एक अधिकारी को कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण में 10 फरवरी को शामली जिले की कैराना विधानसभा सीट के लिए मतदान हुआ था.

शामली की जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर कैराना निर्वाचन क्षेत्र में जोनल मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त वाणिज्यिक सहायक कर आयुक्त नरेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है.

दरअसल, निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के बाद उनके वाहन में ईवीएम मशीनें लावारिस पाए जाने की शिकायत के आधार पर जिला प्राधिकारियों ने नरेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी.

इसकी शिकायत समाजवादी पार्टी ने की थी. इस सिलसिले में एक पुलिसकर्मी और एक होमगार्ड को पहले ही निलंबित कर दिया गया है.

चुनाव आयोग ने सुभासपा प्रत्याशी अब्बास अंसारी के प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगाई

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) उम्मीदवार अब्बास अंसारी पर उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी.

आयोग ने अंसारी पर यह रोक सरकारी अधिकारियों के साथ ‘हिसाब बराबर’ करने की धमकी देने वाले एक भाषण को लेकर लगाई.

मऊ से उम्मीदवार अब्बास अंसारी पर 24 घंटे की रोक शुक्रवार शाम सात बजे से शुरू हो गई. अब्बास जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे हैं.

चुनाव आयोग के आदेश में अब्बास अंसारी द्वारा हिंदी में दिए गए भाषण के एक वीडियो क्लिप का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों के साथ ‘हिसाब बराबर करने’ की धमकी दी.

आदेश में कहा गया है, ‘आयोग ने गौर किया कि उपरोक्त बयान में विभिन्न अधिकारियों को धमकी दी गई है जिसमें वे अधिकारी भी शमिल हैं जिन्हें शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसलिए बयान में मतदाताओं के चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करने की क्षमता है….’

आदेश में कहा गया है कि उम्मीदवार के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है.

आदेश में कहा गया, ‘आयोग … उन्हें (अंसारी को) जारी चुनाव के संबंध में 04.03.2022 (शुक्रवार) को शाम 07:00 बजे से 24 घंटे के लिए कोई भी सार्वजनिक सभा, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैली, रोडशो करने और मीडिया में साक्षात्कार और भाषण (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया आदि) देने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देता है.’

अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिसका अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है.

उत्तर प्रदेश चुनाव में 26 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को घोषणा की: एडीआर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे कुल 4,406 उम्मीदवारों में से 26 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

चुनावों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में शुक्रवार को यह दावा किया गया.

वर्ष 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में उतरे कुल 4,823 उम्मीदवारों में से 859 यानी 18 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे.

एडीआर के अनुसार इस वर्ष 889 यानी 20 प्रतिशत ने अपने खिलाफ ‘‘गंभीर’’ आपराधिक मामले घोषित किए हैं. वर्ष 2017 में यह संख्या 704 यानी 15 प्रतिशत थी.

एडीआर ने कहा कि कुल 4,406 उम्मीदवारों में से 1,142 यानी 26 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

प्रमुख दलों में समाजवादी पार्टी के कुल 347 उम्मीदवारों में 224 यानी 65 प्रतिशत, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19 में से 11 यानी 58 प्रतिशत, और राष्ट्रीय लोक दल के 33 में से 19 यानी 58 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

अन्य दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 374 में से 169 उम्मीदवार यानी 45 प्रतिशत ने, कांग्रेस के 397 में से 160 यानी 40 प्रतिशत ने, बहुजन समाज पार्टी के 399 में से 153 यानी 38 प्रतिशत ने, अपना दल के 17 में छह यानी 35 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी के 345 में से 62 यानी 18 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं.

एडीआर ने कहा कि 69 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की घोषणा की है और इनमें से 10 बलात्कार से संबंधित हैं.

एडीआर के मुताबिक 37 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ हत्या जैसे संगीन अपराध के मामलों की घोषणा की है जबकि 159 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले हैं.

एडीआर ने कहा कि राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 226 यानी 56 प्रतिशत सीटों को ‘‘रेड अलर्ट विधानसभा’’ की श्रेणाी मे रखा है. इस श्रेणी में वह विधानसभा सीटें आती हैं जहां तीन से अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हों.

वर्ष 2017 में ऐसे विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 152 थी.

एडीआर ने कहा कि देश के चुनावों में धनबल की भूमिका सर्वविदित है और पार्टियों द्वारा नेताओं को टिकट दिए जाने में इसका ख्याल भी रखा जाता है.

एडीआर के मुताबिक राष्ट्रीय लोक दल के 33 में 31, भाजपा के 374 में 335, समाजवादी पार्टी के 347 में 302 की संपत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है. बहुजन समाज पार्टी के 399 में से 315, अपना दल (सोनेलाल) के 17 में से 12 उम्मीदवार करोड़पति हैं.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19 में से 13, कांग्रेस के 397 में से 198 और आम आदमी पार्टी के 345 में से 112 उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़पति हैं.

यूपी की राजनीति में बदलाव तक लड़ाई जारी रखूंगी: प्रियंका गांधी

वाराणसी में हुई चुनावी रैली में प्रियंका गांधी. (फोटो साभार: फेसबुक/यूपी कांग्रेस)

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने शनिवार को अपने प्रतिद्वंद्वियों पर जनता से जुड़े मुद्दे नहीं उठाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ‘ये लोग विकास की बात नहीं करते, जनता से जुड़े मुद्दे नहीं उठाते. यूपी की राजनीति में जब तक सकारात्मक बदलाव नहीं आता, तब तक मैं प्रदेश के लोगों के हक की लड़ाई जारी रखूंगी.’

गाजीपुर में कांग्रेस की चुनावी सभा में प्रियंका ने कहा कि तीन साल पहले जब मैं प्रभारी बनकर उत्तर प्रदेश आई थी, तब पार्टी के कुछ बड़े नेता जो आज कांग्रेस छोड़ चुके हैं, मेरे पास आए और कहा कि अरे यहां से निकल जाइए, उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं मिलने वाला है, यहां तो संघर्ष ही संघर्ष है.

प्रियंका ने कहा, ‘मैंने अपने भाई तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रियंका उत्तर प्रदेश जाओ और संघर्ष करो, याद रखो जहां लोग दुख में हैं, उन पर अत्याचार हो रहा है, वहां जाकर उनसे जुड़े मुद्दों को उठाना जरूरी है.’

सोनभद्र, हाथरस, उन्नाव समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में घटी आपराधिक घटनाओं का जिक्र करते हुए कांग्रेस महासचिव ने आरोप कहा कि ‘मैंने देखा कि सोनभद्र में नरसंहार के बाद पुलिस-प्रशासन ने भू-माफिया की मदद की, लेकिन आदिवासियों को बचाने कोई नहीं आया.’

उन्होंने कहा, ‘इसी तरह उन्नाव, हाथरस, लखीमपुर हर जगह पीड़ितों ने यही शिकायत की कि पुलिस तो हम पर दबाव डाल रही है, हमारी लड़ाई कौन लड़ेगा?’

उन्‍होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में जहां भी अन्याय हुआ है, कांग्रेस ने न्याय की लड़ाई लड़ी है और मैं समझ चुकी हूं कि यहां की राजनीति कहीं भटक गई है.

कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि यह कैसा राष्ट्रवाद है, जिसमें किसान का बेटा सीमा पर तैनात है और आप उसके साथ विश्वासघात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह खोखला राष्ट्रवाद है, यह राजनीतिक मंचों का राष्ट्रवाद है.

प्रियंका ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने रोजगार देने वाले जितने संस्थान बनाए थे, भाजपा सरकार ने सब अपने मित्रों को बेच डाले. उन्होंने कहा कि जो सरकार देश के नौजवानों को रोजगार नहीं दे सकती, वह अपने को राष्ट्रवादी नहीं कह सकती.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि मेरे पिता प्रधानमंत्री थे, लोग उनसे सवाल करते थे, अपनी समस्याओं के समाधान के बारे में उनसे बात करते थे, लेकिन भाजपा ने लोकतंत्र को पलट दिया है.

प्रियंका ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री सिर्फ चुनावी मंचों पर जनता को दिखते हैं और कहते हैं कि आप पर उन्होंने बहुत बड़ा एहसान किया है, आप को एक बोरा राशन पकड़ा दिया है, एक गैस सिलिंडर दे दिया है.

कांग्रेस महासचिव ने दोहराया कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद रिक्त सरकारी पदों को भरा जाएगा.

गाजीपुर की जनसभा के बाद प्रियंका ने जौनपुर में कांग्रेस उम्मीदवार नदीम जावेद के समर्थन में आयोजित रोड शो में हिस्सा लिया और लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की.

अंतिम चरण के मतदान से पहले नौ जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर प्रचार थमा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश के नौ जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर सातवें और अंतिम चरण का प्रचार शनिवार शाम को समाप्त हो गया. इन क्षेत्रों में सोमवार को सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान होना है.

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए चल रहा प्रचार अभियान शनिवार शाम छह बजे थम गया. राज्‍य के मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ल ने बताया कि शनिवार को सातवें चरण की 54 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार थम गया और अब निष्पक्ष मतदान कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं.

शनिवार को वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ और जौनपुर जिलों के 54 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार पर रोक लग गई. इन क्षेत्रों में कुल 613 उम्मीदवार अपनी तकदीर आजमा रहे हैं.

सातवें चरण की 54 सीटों में 11 अनुसूचित जाति, जबकि दो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. सातवें चरण में लगभग 2.06 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.

शुक्ल ने बताया कि सातवें चरण के लिए तीन विधानसभा क्षेत्रों चकिया (अजा), राबर्ट्सगंज और दूधी (अजजा) में शनिवार दोपहर चार बजे, जबकि बाकी 51 विधानसभा क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों द्वारा किए जा रहे प्रचार-प्रसार पर शाम छह बजे से प्रभावी रूप से रोक लग गई.

उन्होंने बताया कि सातवें चरण में प्रदेश के उपरोक्‍त नौ जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर सोमवार सुबह सात बजे से मतदान की प्रक्रिया प्रारंभ होगी और शाम छह बजे तक चलेगी.

जौनपुर के मल्हनी में अमित शाह. (फोटो साभार: फेसबुक/भाजपा यूपी)

उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सातवें चरण की इन 54 सीटों में भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को 36 सीटें मिली थीं. इनमें भाजपा की 29, अपना दल (एस) की चार और सुभासपा की तीन सीटें शामिल हैं.

वहीं, दूसरी तरफ सपा को 11, बसपा को छह और निषाद पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. 2017 में अपने दम पर लड़ी निषाद पार्टी इस बार भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में है, जबकि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया है.

जनवरी में यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राज्‍य में पहले चरण का मतदान दस फरवरी से हुआ था और सात मार्च को अंतिम चरण का मतदान समाप्त होने के बाद 10 मार्च को मतगणना की जाएगी.

अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में विधानसभा चुनाव की अपनी आखिरी जनसभा को संबोधित किया. वहीं, सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव तीसरे चरण की मैनपुरी की करहल सीट पर चुनाव प्रचार के बाद दूसरी बार सातवें चरण में जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर सभा को संबोधित करते आए.

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वाराणसी में सपा गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया. उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी ने भी वाराणसी में कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया.

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ तथा उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस क्षेत्र में भाजपा नीत गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार किया.


मणिपुर विधानसभा चुनाव


विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में शाम पांच बजे तक 76.04 प्रतिशत मतदान

मणिपुर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के दौरान सेनापति जिले में वोट डालने के लिए आईं महिलाएं. (फोटो: पीटीआई)

मणिपुर में शनिवार को विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में 22 सीटों पर 76.04 प्रतिशत मतदान हुआ. चुनाव से पहले और बाद में कुछ स्थानों पर हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

कड़ी सुरक्षा और कोविड-19 प्रोटोकॉल के सख्त पालन के बीच राज्य के छह जिलों के 1,247 मतदान केंद्रों पर सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ. इस चरण में कुल 8.38 लाख मतदाता हैं.

अधिकारियों ने बताया कि सेनापति जिले में सबसे अधिक 82.02 प्रतिशत मतदान हुआ. इसके बाद थौबल जिले में 78 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला. थौबल में 10 विधानसभा सीट हैं. तीन विधानसभा सीटों वाले तामेंगलोंग जिले में सबसे कम 66.40 प्रतिशत मतदान हुआ.

पुलिस ने बताया कि सेनापति जिले के करोंग विधानसभा क्षेत्र के नगामजू मतदान केंद्र पर तैनात सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर दो लोगों पर गोलियां चलाईं, जिससे कुछ स्थानों पर हिंसा के कारण मतदान प्रभावित हुआ.

भाजपा उम्मीदवार के चुनाव एजेंट ने मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी के पास दर्ज शिकायत दर्ज कराकर घटना की मजिस्ट्रेट जांच की मांग की.

निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि नगामजू मतदान केंद्र पर मतदान रोक दिया गया.

शुरुआती मतदाताओं में कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी सिंह ने थौबल जिले में अपना वोट डाला.

मतदान करने के बाद इबोबी सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस निश्चित रूप से पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल करेगी, लेकिन अगर हमें बहुमत के लिए आवश्यक सीटों से एक या दो सीटें कम मिलती हैं, तो पार्टी गठबंधन के लिए तैयार है.’

अंतिम चरण में 22 सीटों पर कुल 92 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी के 12, कांग्रेस के 18, नेशनल पीपुल्स पार्टी के 11, जनता दल यूनाइटेड और नगा पीपुल्स फ्रंट के दस-दस उम्मीदवार शामिल हैं.

दूसरे चरण का मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले भाजपा कार्यकर्ता की हत्या

मणिपुर के कुछ स्थानों पर शनिवार को विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले उस समय हिंसा भड़क उठी, जब भाजपा के एक समर्थक की कथित तौर पर कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने गोली मारकर हत्या कर दी. पुलिस ने यह जानकारी दी.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि 25 वर्षीय एल. अमुबा सिंह को गोली लगने के बाद शनिवार तड़के यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी मौत हो गई.

मणिपुर में विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए शनिवार सुबह छह जिलों की 22 सीटों के लिए सात बजे मतदान शुरू हुआ.

पुलिस अधिकारी के मुताबिक अमुबा सिंह, भाजपा के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ थौबल जिले में तड़के कांग्रेस कार्यकर्ता के आवास पर गए थे ताकि उन्हें प्रचार बंद करने के लिए कहा जा सके क्योंकि इसके लिए निर्धारित समय समाप्त हो गया था.

अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर विवाद के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता ने कथित तौर पर सिंह पर गोली चला दी.

उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से घायल भाजपा कार्यकर्ता सिंह को पहले जिले के एक अस्पताल में ले जाया गया और बाद में उन्हें इंफाल में एक अन्य स्वास्थ्य केन्द्र के लिए रेफर कर दिया गया.

भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से किए गए पथराव में कांग्रेस कार्यकर्ता घायल हो गया. उसे अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

एक अन्य घटना में मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल इलाके में कुछ अज्ञात बदमाशों ने भाजपा से निष्कासित नेता सी. बिजॉय के आवास पर देसी बम फेंका. पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी.

पुलिस ने बताया कि यह घटना राज्य में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान शुरू होने से कुछ घंटे पहले शुक्रवार रात की है.

पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि दोपहिया वाहन पर आए दो नकाबपोश बदमाशों द्वारा किए गए विस्फोट में कोई घायल नहीं हुआ है.

भाजपा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पिछले महीने बिजॉय को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. बिजॉय ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे राजनीतिक रूप से चुप कराने के लिए यह हमला मेरे लिए एक चेतावनी हो सकती है.’

पुलिस इस मामले की विस्तृत जांच कर रही है.

प्रतिबंधित संगठनों को ‘भुगतान’ के मामले में कानूनी कदम उठाएगी कांग्रेस

कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि मणिपुर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य सरकार द्वारा ‘प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को करोड़ों रुपये का भुगतान किए जाने’ को निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करार दिया है और ऐसे में वह अब कानूनी कदम उठाएगी.

मणिपुर के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक जयराम रमेश ने यह भी कहा कि वह उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘निर्वाचन आयोग ने गत एक फरवरी और एक मार्च को मणिपुर सरकार की ओर से प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों को किए गए भुगतान को आश्चर्यजनक ढंग से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं ठहराया है. मैं उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर रहा हूं.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि लंबे अंतराल के बाद चुनाव के समय भुगतान किया गया और इससे राज्य की 11 विधानसभा सीटों पर चुनाव को प्रभावित किया गया है.

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस विषय पर संवाददाताओं से कहा, ‘जयराम रमेश जी ने चुनाव आयोग के समक्ष मणिपुर में आचार संहिता का उल्लंघन का मामला उठाया था. मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अपने एक आदेश में कहा है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है. हम इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. हम इसे लेकर कानूनी कदम उठाएंगे.’

कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को आयोग के पास इस मुद्दे और कुछ अन्य विषयों को लेकर शिकायत की थी. प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद भी शामिल थे.

आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने के बाद रमेश ने कहा था कि ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन’ (गतिविधि के निलंबन) के तहत गत एक फरवरी को उग्रवादी संगठनों को लगभग 15 करोड़ रुपये और एक मार्च को लगभग 95 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जो आचार संहिता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है.

मणिपुर विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 फरवरी को हुआ था. दूसरे एवं आखिरी चरण का मतदान शनिवार को संपन्न हुआ. मतगणना 10 मार्च को होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)