रूस के रक्षा अधिकारियों ने यूक्रेन के दो शहरों- मारियूपोल और वोलनोवाखा में अस्थायी तौर पर संघर्ष विराम की घोषणा की है, ताकि लोगों को वहां से निकाला जा सके. हालांकि एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि शनिवार को भी इन इलाकों में गोलाबारी जारी रही. उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि रूस का यह हमला यूरोप और वैश्विक शांति पर हमला है.
लवीव/कीव/मॉस्को/वाशिंगटन/ब्रसेल्स/जिनेवा/सिंगापुर/नई दिल्ली/मुंबई: रूस के रक्षा अधिकारियों ने यूक्रेन के दो शहरों में अस्थायी तौर पर संघर्ष विराम की घोषणा की है, ताकि लोगों को वहां से निकाला जा सके. लेकिन एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि शनिवार को उनके इलाके में गोलाबारी जारी रही.
रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह दक्षिण पूर्व में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह मारियूपोल और पूर्व में स्थित वोलनोवाखा शहर में लोगों को निकालने के लिए रास्ता देने को सहमत है.
पिछले कई दिनों से मारियूपोल में रूसी सेनाएं गोलाबारी कर रही हैं और बर्फीली सर्दी में वहां फंसे सैकड़ों लोगों के लिए बिजली, फोन, भोजन और पानी का संकट पैदा हो गया है. डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने कहा कि शहर में दवाओं की भी कमी हो गई है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि स्थानीय समयानुसार शाम चार बजे तक संघर्ष विराम लागू रहना है और पूर्वाह्न 11 बजे लोगों को निकालने का कार्य शुरू किया गया.
मारियूपोल, दोनेत्स्क सैन्य-नागरिक प्रशासन के तहत आता है. दोनेत्स्क प्रशासन के प्रमुख पाव्लो किरिलेंको ने कहा कि मानवीय सहायता गलियारा, शहर से जाफोरिझिया तक होगा, जो कि लगभग 140 किलोमीटर दूर है.
मारियूपोल के उप महापौर सेरही ओरलोव ने बाद में बीबीसी को बताया कि रूसी सेना ने मारियूपोल पर गोलाबारी और रॉकेट से हमला करना जारी रखा है.
उन्होंने कहा कि इसलिए लोग डरे हुए हैं और वे तीन स्थानों पर पर जा रहे हैं जहां से उन्हें बसों द्वारा निकाला जाएगा.
संघर्ष विराम का पालन नहीं करने से यूक्रेन से लोगों को निकलना हुआ मुश्किल
हालांकि यूक्रेन के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि रूस द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा करने के कुछ घंटे बाद ही गोलाबारी शुरू हो गई जिससे दो शहरों से लोगों को निकालने की प्रक्रिया बाधित हुई.
इससे पहले रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि वह दक्षिण पूर्व में स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बंदरगाह मारियूपोल और पूर्व में स्थित वोलनोवाखा शहर में लोगों को निकालने के लिए रास्ता देने को सहमत है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के कार्यालय के उप प्रमुख किरिलो तिमोशेंको ने कहा, ‘रूस संघर्ष विराम नहीं कर रहा है और मारियूपोल तथा आसपास के इलाकों में गोलाबारी जारी है.’
उन्होंने कहा, ‘संघर्ष विराम और सुरक्षित मानवीय गलियारा स्थापित करने के लिए रूस महासंघ से बातचीत जारी है.’
उप प्रधानमंत्री इरिना वेरेशचुक ने संवादाताओं से कहा, ‘हम रूस से गोलाबारी बंद करने की अपील करते हैं’ उन्होंने कहा कि रूस ने वोलनोवाखा में भी संघर्ष विराम की घोषणा के विपरीत कार्रवाई की.
इस बीच मास्को की एक समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने रूस के रक्षा मंत्रालय के हवाले से बताया कि उक्त दोनों शहरों के भीतर से रूस की सेनाओं पर हमला किया गया.
पिछले कई दिनों से मारियूपोल में रूसी सेनाएं गोलाबारी कर रही हैं और बर्फीली सर्दी में वहां फंसे सैकड़ों लोगों के लिए बिजली, फोन, भोजन और पानी का संकट पैदा हो गया है.
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स नामक संस्था ने कहा कि शहर में दवाओं की भी कमी हो गई है. मारियूपोल, दोनेत्स्क सैन्य-नागरिक प्रशासन के तहत आता है.
दोनेत्स्क प्रशासन के प्रमुख पाव्लो किरिलेंको ने कहा कि मानवीय सहायता गलियारा, शहर से जाफोरिझिया तक होगा, जो लगभग 140 किलोमीटर दूर है.
मारियूपोल के महापौर वादिम बॉयचेंको ने यूक्रेन के टीवी चैनल पर कहा कि हजारों लोग शहर से सुरक्षित बाहर निकलने के लिए एकत्र हुए हैं और गोलाबारी शुरू होते ही बसें उन्हें लेकर रवाना हुईं.
यूक्रेन पर रूस का हमला यूरोप और वैश्विक शांति पर हमला है: जो बाइडन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि यूक्रेन पर रूस का हमला महज एक देश पर हमला नहीं है, बल्कि यह यूरोप और वैश्विक शांति पर हमला है.
बाइडन ने पूर्वी यूरोपीय देश के खिलाफ रूस की आक्रामकता बढ़ने के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सहयोगी देशों की सुरक्षा के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता रेखांकित की.
शुक्रवार को फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान बाइडन ने संवाददाताओं से कहा कि दोनों देश कुछ वक्त से लगातार संपर्क में हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि नाटो में साथ मिलकर रूसियों के खिलाफ प्रतिक्रिया दी है और यूक्रेन के खिलाफ अकारण तथा गैर उकसावे वाले आक्रमण के लिए रूस की जवाबदेही तय कर रहे हैं.
बाइडन ने ह्वाइट हाउस के ओवल ऑफिस में कहा, ‘और हम सहमत हैं कि यह सिर्फ यूक्रेन पर हमला नहीं है, बल्कि यूरोप की सुरक्षा और वैश्विक शांति तथा स्थिरता पर भी हमला है.’
ह्वाइट हाउस ने बैठक के बारे में कहा कि बाइडन और निनिस्तो ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और उत्तरी यूरोप में रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.
दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने नाटो की ‘ओपन डोर नीति’ के महत्व पर भी चर्चा की. इसके अलावा, उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों पर भी चर्चा की.
इससे पहले दिन में बाइडन ने पोलैंड के राष्ट्रपति एंद्रेज डुडा से बातचीत की और यूक्रे पर रूस के हमले के खिलाफ देशों की कार्रवाई पर भी बातचीत की.
ह्वाइट हाउस ने एक बयान में कहा, ‘बाइडन ने पोलैंड की सुरक्षा और सभी नाटो सहयोगियों की रक्षा की अमेरिका की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.’
बयान में कहा गया कि उन्होंने नाटो के खिलाफ रूस के किसी भी हमले को रोकने और गठबंधन की मजबूती के लिए 9,000 अमेरिकी सैनिकों की तैनाती के लिए पोलैंड की साझेदारी का आभार जताया, जिसमें हाल के हफ्तों में वहां तैनात किए गए 4,700 अतिरिक्त जवान शामिल हैं.
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ब्रसेल्स में शुक्रवार को कहा कि अमेरिका ने यूरोप में अतिरिक्त 7,000 सैनिक भेजे हैं और नाटो के पूर्वी पक्ष को मजबूत करने के लिए अपने बलों की तैनाती में बदलाव किए हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम रूस के खिलाफ अपने कड़े आर्थिक प्रतिबंधों को और सख्त कर रहे हैं.’
नाटो यूक्रेन में उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र लागू नहीं करेगा
इससे पहले नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा कि सैन्य संगठन यूक्रेन में ‘उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र’ को लागू नहीं कराएगा, क्योंकि इस तरह के कदम से यूरोप की परमाणु हथियारों से लैस रूस के साथ व्यापक जंग भड़क जाएगी.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन और नाटो के अन्य सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद स्टॉल्टेनबर्ग ने यूक्रेन की पीड़ा को स्वीकार करते हुए कहा कि रूस की फौज ने यूक्रेन में हमले तेज़ कर दिए हैं और वे शहरों तथा अन्य स्थलों पर भारी बमबारी कर रहे हैं जिससे 10 लाख से अधिक लोग देश छोड़ने को मजबूर हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन में जो हो रहा है, वह भयावह है. यह दर्दनाक है हम जो मानव पीड़ा और जिस स्तर पर तबाही देख रहे हैं, वह हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में नहीं देखी है.’
मगर स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा, ‘हम यूक्रेन नहीं जा रहे हैं, न जमीन पर और न ही यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में.’
नाटो की सुरक्षा गारंटी 30 सदस्य देशों को लेकर है और संधि का अनुच्छेद पांच कहता है कि अगर किसी एक सदस्य पर हमला होता है तो सारे सदस्य उसकी रक्षा के लिए आगे आएंगे. अगर रूस नाटो का कोई जंगी जहाज़ मार गिरा दे तो यह स्थिति आ सकती है.
नाटो महासचिव ने कहा, ‘ उड़ान प्रतिबंध क्षेत्र लागू करने का सिर्फ एक तरीका है. वह यह है कि नाटो यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान भेजे और रूस के विमानों को मार गिराकर उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र लागू करे.’
उन्होंने कहा कि सहयोग देशों का मानना है, ‘ अगर हम यह (यूक्रेन के हवाई क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान भेजते हैं तो) इससे यूरोपी में व्यापक युद्ध छिड़ जाएगा.’
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से अपील की थी कि वे उनके देश में उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र लागू कराएं. यह अपील यूक्रेन के परमाणु संयंत्र में रात में लगी आग के बाद की गई है. यह संयंत्र यूरोप में सबसे बड़ा है.
स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा, ‘ हम इस संघर्ष का हिस्सा नहीं हैं और हमारी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि यह (युद्ध) न बढ़े और यूक्रेन से आगे न जाए, क्योंकि ऐसा होने पर यह अधिक विनाशकारी और खतरनाक होगा.’
सिंगापुर ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की
सिंगापुर सरकार ने यूक्रेन पर हमला करने को लेकर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की है और वह दक्षिण पूर्व एशिया में ऐसा करने वाली कुछ सरकारों में शामिल हो गई है.
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘सभी देशों, चाहे वे बड़े हों या छोटे, की संप्रभुता, राजनीतिक स्वतंत्रता एवं क्षेत्रीय अखंडता का अवश्य ही सम्मान किया जाना चाहिए.’ इसमें कहा गया है कि इन प्रतिबंधों का लक्ष्य युद्ध छेड़ने या ‘साइबर आक्रमण’ की रूस की क्षमता को कमजोर करना है.
इसके साथ ही होनोलुलु में हवाई की प्रतिनिधि सभा ने एक के मुकाबले 47 मतों से यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा एवं रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.
यूक्रेन छोड़कर जाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 14.5 लाख हुई
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी संगठन ने कहा है कि युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन छोड़कर जाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 14.5 लाख पहुंच गई है.
यूक्रेन से लोग जिन देशों में पहुंचे हैं, वहां की सरकारों से प्राप्त आंकड़ों का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने शनिवार को कहा कि उनमें से 7,87,300 लोग पोलैंड गए हैं.
इसके अलावा करीब 2,28,700 लोग मोल्डोवा, 1,44,700 लोग हंगरी, 1,32,600 लोग रोमानिया और 1,00,500 लोग स्लोवाकिया गए हैं.
एजेंसी ने कहा कि 138 देशों के नागरिक यूक्रेन की सीमा पार कर पड़ोसी राष्ट्रों में गए हैं.
यूक्रेन के माइकोलाइव बंदरगाह पर 21 भारतीय नाविक फंसे
युद्ध प्रभावित यूक्रेन में माइकोलाइव बंदरगाह पर एक व्यापारिक जहाज पर कम से कम 21 भारतीय नाविक कुछ समय से फंसे हुए हैं, लेकिन वे सभी ‘सुरक्षित’ हैं और अपने परिवारों एवं जहाज प्रबंधन एजेंसी के साथ ‘नियमित संपर्क’ में हैं.
यह जानकारी एजेंसी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) संजय पराशर ने दी.
पराशर ने कहा कि 24 अन्य जहाज भी बंदरगाह पर हैं और उन पर भी भारतीय नाविक हैं. उन्होंने कहा कि वीआर मैरीटाइम (जहाज प्रबंधन एजेंसी) स्थिति पर नजर रखे हुए है.
वहीं, विदेश मंत्रालय, भारतीय दूतावास तथा क्षेत्र नियामक जहाजरानी महानिदेशक सहित सभी संबंधित अधिकारियों को स्थिति से अवगत करा रहा है. जहाजरानी महानिदेशक अमिताभ कुमार से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका.
पराशर ने कहा कि पिछले महीने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद से चालक दल जहाज से बाहर नहीं आया है और जहाज पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
पराशर ने कहा, ‘वर्तमान में जहाज पोर्ट माइकोलाइव पर ही खड़ा है. हमारे जहाज सहित कुल 25 जहाज वहां हैं. अन्य जहाज पर भी भारतीय नाविक हैं. जहां तक हमारे जहाज का संबंध है, चालक दल और जहाज दोनों वर्तमान में सुरक्षित हैं.’
पराशर ने कहा, ‘जहाज पर इंटरनेट और उपग्रह संचार काम कर रहा है. हम फिलहाल चालक दल के सभी सदस्यों और उनके परिवारों के संपर्क में हैं. साथ ही चालक दल खुद भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ संपर्क में है.’
उन्होंने कहा कि कंपनी के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, रूसी सेना शायद काला सागर तट पर बंदरगाह के बहुत करीब है.
उन्होंने कहा, ‘यदि रूसी सेना बंदरगाह पर आती है और वह कुछ जहाजों को जाने की अनुमति देती है तो ठीक है. अन्यथा, हमें बंदरगाह प्राधिकरण से कुछ सहायता की आवश्यकता होगी, जिसमें कुछ टग बोट और अन्य प्रकार की सेवाएं शामिल हैं ताकि जहाज सुरक्षित रूप से प्रस्थान कर सकें.’
पराशर ने कहा कि आपात स्थिति में, अगर कंपनी को अपने चालक दल को निकालना पड़ा, तो निकटतम पोलैंड सीमा 900 किलोमीटर दूर है और कीव में किसी सुरक्षित स्थान पर जाने का मतलब बंदरगाह शहर से 500 किमी की यात्रा करना होगा, ‘इसलिए उनके लिए पहुंचने के लिए अभी इन दोनों जगहों में से कोई भी संभव नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘हम बहुत सतर्क हैं. इसलिए, बंकर में या यूक्रेन के अंदर कहीं और रहने के बजाय, जहाज पर रहना ही बेहतर है.’
उन्होंने कहा कि फिर भी कंपनी हर दिन भारतीय दूतावास को स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत कर रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ अन्य एजेंसियां जैसे कि अंतरराष्ट्रीय जल परिवहन महासंघ (आईडब्ल्यूटीएफ) और नेशनल यूनियन ऑफ सीफार्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) भी इस मुद्दे में शामिल हैं.
आईडब्ल्यूटीएफ के कार्यकारी बोर्ड के सदस्य और एनयूएसआई के महासचिव अब्दुलगनी सेरांग के अनुसार, उनका संघ इस मुद्दे पर अपने यूक्रेनी समकक्ष के साथ लगातार संपर्क में है.
रूस ने यूक्रेनी नागरिकों पर 3,700 से अधिक भारतीयों को जबरन बंधक बनाने का आरोप लगाया
रूस ने शुक्रवार को यूक्रेन के नागरिकों पर आरोप लगाया कि उन्होंने विभिन्न शहरों में 3,700 से अधिक भारतीय नागरिकों को जबरन बंधक बनाकर रखा है. रूस ने कहा कि उसकी सेना विदेशी नागरिकों की शांतिपूर्ण निकासी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.
यूक्रेन स्थित जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में रूसी स्थायी प्रतिनिधि वासिली नेबेंजिया ने कहा कि यूक्रेन में कट्टरपंथियों और चरमपंथियों को पश्चिमी देशों का संरक्षण हासिल है.
उन्होंने कहा, ‘यूक्रेनी राष्ट्रवादियों द्वारा जबरन बंधक बनाए जा रहे विदेशी नागरिकों की संख्या चौंकाने वाली है. खारकीव में भारत के 3,189 नागरिक, वियतनाम के 2,700 नागरिक, चीन के 202 नागरिक इसमें शामिल हैं. सूमी में 576 भारतीय नागरिक, 101 घाना के नागरिक और 121 चीनी नागरिक शामिल हैं.’
नेबेंजिया ने कहा कि रूसी सेना विदेशी नागरिकों की शांतिपूर्ण निकासी सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ कर रही है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न चौकियों पर 130 आरामदायक बसें भारतीय छात्रों और अन्य विदेशी नागरिकों को बचाने के लिए खारकीव और सूमी के लिए रवाना होने को तैयार हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)