उत्तर प्रदेश: मतदान ख़त्म होने के अगले दिन सपा नेता आज़म ख़ान को ज़मानत मिली

समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर सीट से प्रत्याशी आज़म ख़ान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में ज़मानत दे दी है, लेकिन दो अन्य लंबित मामलों के चलते उन्हें जेल में ही रहना होगा. फरवरी 2020 से जेल में बंद ख़ान के ख़िलाफ़ कुल 87 आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 81 केस साल 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले या बाद में दर्ज हुए थे.

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आजम खान. (फोटो साभार: एएनआई)

समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर सीट से प्रत्याशी आज़म ख़ान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में ज़मानत दे दी है, लेकिन दो अन्य लंबित मामलों के चलते उन्हें जेल में ही रहना होगा. फरवरी 2020 से जेल में बंद ख़ान के ख़िलाफ़ कुल 87 आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 81 केस साल 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले या बाद में दर्ज हुए थे.

आजम खान. (फोटो साभार: एएनआई)

प्रयागराज: समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आज़म ख़ान को एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी.

एबीपी न्यूज की एक खबर के मुताबिक, आज़म खान को जमानत जिस मामले में मिली है वह ज़मीन कब्जाने से संबंधित था. उनके खिलाफ दो और मामले लंबित हैं, जिसके चलते जमानत मिलने के बावजूद भी वे फिलहाल जेल में ही रहेंगे.

बता दें कि वे 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं. उन्होंने जेल में ही रहकर रामपुर सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा है. उनकी पत्नी तज़ीन फ़ातिमा व बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी.

हिंदुस्तान के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के जस्टिस रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने आजम खान को जमानत देने का का निर्देश दिया है. इस मामले में आजम खान के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (2) में चार्जशीट दाखिल हुई है.

आज़म खान, जो फरवरी 2020 से जेल में बंद हैं, पर बिजली चोरी, भैंस-बकरी चुराने से लेकर जमीन हथियाने तक के 87 मामले दर्ज हैं.

गौरतलब है कि 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से आज़म ख़ान को अंतरिम जमानत नहीं मिल सकी थी. इससे पहले उन्हें उन पर दर्ज 87 मामलों में से 84 में जमानत मिल गई थी, तब चुनावों को देखते हुए तीन मामलों में अंतरिम जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी.

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संबंधित अदालतों के समक्ष फिर से पेश करने के लिए कहा था. कोर्ट ने आशा व्यक्त की थी कि अदालतें जमानत याचिकाओं का शीघ्र निपटान करेंगी.

याचिका में इस ओर ध्यान आकर्षित कराया गया था कि उनके खिलाफ चल रहे मुकदमों में जानबूझकर कार्रवाई धीमे की जा रही है, जिससे उन्हें लंबे समय तक जेल में रखा जा सके.

इन दावों के पीछे पुख्ता कारण भी रहे हैं. द वायर  ने बीते महीने एक रिपोर्ट में बताया था कि जिन तीन मामलों में उन्हें जमानत नहीं मिल सकी थी, उनमें जमानत प्रक्रिया ऐसी अंतहीन बाधाओं का शिकार बनी कि कभी सुनवाई का आवेदन रहस्यमय ढंग से गलत कोर्ट में पहुंच गया तो कभी सुनवाई वाले दिन केस की फाइल ही खो गई.

ज्ञात हो कि आज़म ख़ान के खिलाफ कुल 87 आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 84 एफआईआर 2017 में भाजपा की सरकार बनने के अगले दो सालों में दर्ज की गई थीं. 84 में 81 मामले 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले और बाद में दर्ज किए गए.