रूस-यूक्रेन युद्ध: सूमी से भारतीय छात्रों को निकाला गया, 20 लाख से अधिक यूक्रेनियों ने देश छोड़ा

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने युद्ध के दौरान सुरक्षित निकासी की कोशिश कर रहे यूक्रेनी नागरिकों के लिए मानवीय गलियारों के विस्तार और रेड क्रॉस से अधिक सहयोग का आह्वान किया है. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि सूमी शहर से सभी भारतीय छात्रों को निकाल लिया गया है और वे सभी बसों के ज़रिये पोलतावा शहर के लिए रवाना हो गए हैं.

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सूमी शहर से बस के ज़रिये निकलते नागरिक. (फोटो: रॉयटर्स)

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने युद्ध के दौरान सुरक्षित निकासी की कोशिश कर रहे यूक्रेनी नागरिकों के लिए मानवीय गलियारों के विस्तार और रेड क्रॉस से अधिक सहयोग का आह्वान किया है. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि सूमी शहर से सभी भारतीय छात्रों को निकाल लिया गया है और वे सभी बसों के ज़रिये पोलतावा शहर के लिए रवाना हो गए हैं.

सूमी शहर से बस के ज़रिये निकलते नागरिक. (फोटो: रॉयटर्स)

कीव/लवीव/लंदन/जिनेवा/कैनबरा/नई दिल्ली: यूक्रेन के पूर्वी शहर सूमी में रूस के हमलों से नागरिकों को बचाने के मकसद से सुरक्षित गलियारे को लेकर  (कॉरिडोर) यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरिना वेरेश्चुक ने मंगलवार को कहा कि दोनों पक्ष पूर्वी शहर सूमी शहर से नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के समयानुसार सुबह 9 से रात 9 बजे तक संघर्ष-विराम के लिए सहमत हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि सूमी से निकाले जाने वाले लोगों में भारत और चीन के विदेशी छात्र भी शामिल हैं.

हालांकि नए सिरे से हमलों के बीच निकासी मार्ग बनाने के प्रयास विफल होते दिखे और स्पष्ट नहीं है कि यह अभियान शुरू हुआ तो कितना लंबा चलेगा.

उप प्रधानमंत्री ने बताया कि रूस के रक्षा मंत्रालय ने इंटरनेशनल रेडक्रॉस को लिखे एक पत्र में इस बारे में सहमति जताई है.

उन्होंने कहा कि इस गलियारे का इस्तेमाल सूमी में मानवीय सहायता लाने के लिए भी किया जाएगा.

जेलेंस्की ने ज्यादा मानवीय गलियारों की अपील की

उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने युद्ध के दौरान सुरक्षित निकासी की कोशिश कर रहे यूक्रेनी नागरिकों के लिए मानवीय गलियारों के विस्तार और रेड क्रॉस से अधिक सहयोग का आह्वान किया है.

एक अज्ञात जगह से मंगलवार को दिए गए वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि दक्षिणी समुद्री बंदरगाह शहर मारियुपोल में नाकेबंदी के बीच शरीर में पानी की कमी होने से एक बच्चे की मौत हो गई, यह इस बात का संकेत है कि शहर के लोग कितने हताश हो गए हैं.

उन्होंने एक बार फिर पश्चिमी देशों से हवाई मदद मांगी है. उन्होंने कहा कि निकासी बसों का मारियुपोल भेजा गया है लेकिन रास्तों को लेकर कोई ठोस सहमति नहीं बनी, इसलिए ‘रूसी बल रास्ते में इन्हें आसानी से निशाना बना सकते हैं.’

जेलेंस्की ने आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस ने ‘हमारी कारों पर इसके प्रतीक के उपयोग को मना कर’ दिया है, हालांकि उन्होंने इस बारे में विवरण नहीं दिया.

सूमी से निकलकर मारियुपोल की ओर जाने वाली बसों के वीडियो में बसों के साइड में ‘रेड क्रॉस’ के संकेत बने थे लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें वहां किसने चिपकाया था.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की. (फोटो: रॉयटर्स)

हाउस ऑफ कॉमंस को संबोधित करेंगे जेलेंस्की

राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की को मंगलवार को ब्रिटिश संसद के सदस्यों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है. संसद के निचले सदन हॉऊस ऑफ कॉमंस के स्पीकर सर लिंडसे होयले ने इसकी पुष्टि की.

जेलेंस्की के ऐतिहासिक संबोधन को कॉमंस कक्ष में लगाए गए स्क्रीन पर दिखाया जाएगा.

इसके बाद, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन क्षेत्र में संकट पर चर्चा करने और मध्य यूरोप में सुरक्षा प्रयास बढ़ाने की जरूरत पर जोर देने के लिए पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और चेक गणराज्य के नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे.

होयले ने कहा, ‘हर सांसद राष्ट्रपति से प्रत्यक्ष रूप से सुनना चाहता है, इसलिए यह सदन के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है.’

जेलेंस्की, जॉनसन के साथ नियमित रूप से टेलीफोन पर संपर्क में रहे हैं जिन्होंने यूक्रेन में रूसी कार्रवाई के खिलाफ एक गठबंधन बनाने के लिए एक कूटनीतिक सप्ताह की शुरूआत की है.

हमारे 400 से अधिक नागरिक मारे गए :यूक्रेन

यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने रूस के हमलों से हुए नुकसान और लोगों के हताहत होने के संबंध में नया अनुमान जारी किया है. उन्होंने कहा कि रूस की सेना के हमलों में 38 लोग मारे गए और 70 से अधिक घायल हो गए.

रेजनिकोव ने एक वीडियो संदेश में कहा कि अब तक कुल मिलाकर कम से कम 400 असैन्य नागरिकों की मौत हो गई और 800 घायल हो गए. उन्होंने कहा, ‘हालांकि ये आंकड़े निश्चित रूप से अधूरे हैं.’

आंकड़ों की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है. उन्होंने कहा कि रूस के हमलों में 200 से ज्यादा यूक्रेनी स्कूल, 34 अस्पताल और 1,500 आवासीय भवन तबाह हो गए हैं.

रेजनिकोव ने अनुमान व्यक्त किया कि हमलों में करीब 10,000 विदेशी छात्र फंसे हो सकते हैं जिनमें अधिकतर भारत, चीन और फारस की खाड़ी से हैं.

उन्होंने यह दावा भी किया कि यूक्रेन की सेना ने 11,000 से अधिक रूसी सैनिकों को मार गिराया है.

रूसी विमानों ने रातभर शहरों पर बम बरसाए: यूक्रेनी अधिकारी

रूसी विमानों ने रातभर पूर्वी और मध्य यूक्रेन के शहरों पर बम गिराए. यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया कि राजधानी कीव के उपनगरों में भी गोलाबारी हुई.

क्षेत्रीय नेता दमित्रो झिवित्स्की ने बताया कि रूसी सीमा के समीप कीव के पूर्व में सूमी और ओखतिरका शहरों में रिहायशी इमारतों पर बम गिराए गए और एक परमाणु संयंत्र नष्ट कर दिया गया.

उन्होंने बताया कि कुछ लोगों की मौत हुई है और कुछ घायल भी हुए हैं लेकिन उन्होंने संख्या नहीं बतायी.

कीव के पश्चिम में झितोमिर और पड़ोसी शहर चेर्नियाखीव में तेल डिपो पर भी बम गिराए गए. कीव के उपनगर बुचा में मेयर ने बताया कि भारी गोलाबारी हुई है.

मेयर अनातोल फेदोरुक ने कहा, ‘हम भारी हथियारों से दिन-रात हो रही गोलाबारी के कारण शवों को एकत्रित भी नहीं कर पाए. शहर की सड़कों पर कुत्ते शवों को खींच रहे हैं. यह एक दुस्वप्न है.’

वहीं, लवीव के मेयर ने कहा कि पश्चिमी यूक्रेन में यह शहर भोजन और हजारों लोगों को शरण देने के लिए जूझ रहा है जो देश के युद्धग्रस्त क्षेत्रों से भागकर यहां आए हैं. मेयर आंद्रे सदोवी ने कहा, ‘हमें वाकई सहयोग की जरूरत है.’

रूसी हमले के बीच कीव के इरपिन शहर से एक वृद्ध को लेकर जाता व्यक्ति. (फोटो: रॉयटर्स)

अपने घरों से विस्थापित हुए 2,00,000 से अधिक यूक्रेनी नागरिक अब लवीव में हैं, जिससे उनके रहने के लिए खेल के सभागार, स्कूल, अस्पताल और गिरजाघर की इमारतें कम पड़ रही हैं. पर्यटकों के बीच लोकप्रिय रहे इस ऐतिहासिक शहर में युद्ध से पहले 7,00,000 लोग रहते थे.

मेयर ने कहा कि शहर को रसोई से लैस बड़े टेंट्स की आवश्यकता है ताकि भोजन पकाया जा सके. अगर रूसी सेना के हमलों वाले शहरों से मानवीय गलियारा खोला जाता है तो हजारों और लोग आ सकते हैं.

अमेरिका और यूरोपीय देशों के दूतावास हमले से पहले कीव से लवीव स्थानांतरित हो गए थे. लवीव पोलैंड की सीमा पार करने वाले लोगों के लिए मुख्य ट्रांजिट केंद्र है. अब विदेश में रह रहे यूक्रेन के 17 लाख से अधिक लोग इस शहर से होकर गुजरे थे.

संयुक्त राष्ट्र ने इस स्थिति को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से यूरोप में सबसे तेजी से बढ़ता शरणार्थी संकट बताया है.

यूक्रेन के सबसे बड़े शहर खारकीव के आसपास लड़ाई में रूस का एक जनरल की मौत हो गई. रूसी सेना हमला शुरु होने के बाद से ही इस शहर पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है. यूक्रेन की सैन्य खुफिया एजेंसी ने यह जानकारी दी.

उसने मृतक जनरल की पहचान मेजर जनरल विताली गेरासिमोव (45) के रूप में की और कहा कि उन्होंने सीरिया और चेचन्या में रूसी सेना के साथ लड़ाई में भाग लिया और 2014 में क्रीमिया पर कब्जा जमाने के दौरान भी लड़ाई का हिस्सा रहे.

अभी स्वतंत्र रूप से जनरल की मौत की पुष्टि नहीं की गई है. रूस ने इस पर टिप्पणी नहीं की है.

इससे पहले लड़ाई में रूस का एक और जनरल मारा गया था. रूस में स्थानीय अधिकारियों के संगठन ने यूक्रेन में रूस में 7वीं एयरबोर्न डिवीजन के कमांडिंग जनरल मेजर जनरल आंद्रे सुखोवेत्स्की की मौत की पुष्टि की थी.

सुखोवेत्स्की ने सीरिया में रूसी सेना के अभियान में भी भाग लिया था.

उधर, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने कहा है कि वह मॉस्को के ‘दुष्प्रचारकों और दुष्प्रचार के पैरोकारों’ पर प्रतिबंध लगा रही है जिन्होंने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को वैध ठहराया है.

विदेश मंत्री मारिस पायने ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि उनकी सरकार यूक्रेन के प्रति शत्रुता को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए ‘रूस के प्रति सामरिक हित रखने वाले 10 लोगों’ पर प्रतिबंध लगा रही है.

जापान ने रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगाए

जापान ने रूस और बेलारूस के 32 और व्यक्तियों की संपत्ति पर रोक लगा दी है.

जापान ने मंगलवार को रूस के जिन 20 व्यक्यिों की संपत्ति पर रोक लगाई उनमें चेचेन रिपब्लिक के प्रमुख रमजान कादिरोव, उप सेना प्रमुख, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार के प्रेस सचिव और स्टेट पार्लियामेंट के उपाध्यक्ष शामिल हैं.

इसके अलावा जापान ने बेलारूस के जिन 12 अधिकारियों और व्यापार कार्यकारियों पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें बेलारूस की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष विक्टर लुकाशेंको भी शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि जापान रूस के लिए तेल रिफाइनरी उपकरण और बेलारूस के लिए सामान्य प्रयोजन के सामान के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा रहा है जिसका इस्तेमाल देश की सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है.

संयुक्त राष्ट्र ने रूस में दमन बढ़ने की चेतावनी दी

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि सशस्त्र बलों के बारे में कथित फर्जी सूचना फैलाने पर कड़ी सजा का प्रावधान करने वाला एक नया रूसी कानून रूस में दमनकारी कानून के बारे में चिंता बढ़ा रहा है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ (रूसी सैन्य कार्रवाई) सहित जन नीतियों के बारे में चर्चा या आलोचना की गुंजाइश घटाई जा रही है.

उन्होंने कहा कि करीब 12,700 लोगों को युद्ध विरोधी शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने को लेकर मनमाने तौर पर गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही, इस बात का जिक्र किया कि मीडिया को सिर्फ आधिकारिक सूचना एवं सदर्भ का उपयोग करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि वह दमनकारी और अस्पष्ट विधान को लेकर चिंतित हैं.

उल्लेखनीय है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को नए विधान पर हस्ताक्षर किए, जो 15 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करता है. इसके चलते कुछ विदेशी मीडिया ने रूस के भीतर अपना कामकाज बंद कर दिया है.

यूक्रेन से पलायन करने वाले लोगों की संख्या 20 लाख हुई

यूक्रेन के दो संकटग्रस्त शहरों से लोगों की निकासी के लिए बसें मंगलवार को सुरक्षित गलियारों से निकलीं, वहीं अधिकारियों ने कहा कि रूस के हमलों के बाद यूक्रेन छोड़कर जाने वाले लोगों की संख्या मंगलवार को 20 लाख पहुंच गई.

रूस के हमलों के बाद यूक्रेन के कुछ इलाकों में लोग फंस गए हैं जहां उनके पास खाना, पानी और दवाओं की कमी हो रही है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह यूरोप में सबसे बड़ा युद्ध चल रहा है.

नए सिरे से हमलों के बीच निकासी मार्ग बनाने के पहले के प्रयास विफल होते दिखे थे. लेकिन यूक्रेन के अधिकारियों ने मंगलवार को कुछ वीडियो पोस्ट किए जिनमें लोगों से खचाखच भरी बसों को देखा जा सकता है.

ये बसें पूर्वी शहर सूमी और अन्य इलाकों से बर्फ से ढकी एक सड़क पर चलती देखी जा सकती हैं. हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि अभियान कितना लंबा चलेगा.

मारियुपोल से निकाले गए लोग एक रिफ्यूजी कैंप में. (फोटो: रॉयटर्स)

यूक्रेन की सरकारी संवाद एजेंसी ने ट्वीट किया, ‘यूक्रेन के सूमी शहर को ग्रीन कॉरिडोर प्रदान किया गया है, पहले चरण की निकासी शुरू.’

ये बसें यूक्रेन के दूसरे शहरों की ओर रवाना हुई हैं, लेकिन अधिकतर लोग देश छोड़कर ही जाना चाहते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय विस्थापन संगठन की प्रवक्ता सफा मसेहली ने ट्वीट किया कि 20 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं जिनमें कम से कम एक लाख लोग वो हैं जो यूक्रेन के नहीं हैं.

यूक्रेन में मानवीय प्रयासों के लिए रूस के समन्वय केंद्र और यूक्रेन की उप प्रधानमंत्री इरिना वेरेश्चुक दोनों ने कहा कि कुछ नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए मंगलवार की सुबह से संघर्ष-विराम शुरू होने पर सहमति बनी, लेकिन यह साफ नहीं है कि ये सभी कॉरिडोर कहां जाएंगे.

रूस के समन्वय केंद्र ने कहा कि एक से अधिक गलियारे होंगे, लेकिन अधिकतर प्रत्यक्ष रूप से या बेलारूस के रास्ते रूस की तरफ जाएंगे.

हालांकि संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत ने सुझाया कि अनेक शहरों से कॉरिडोर खोले जा सकते हैं और लोग उनमें से चुन सकते हैं कि किस दिशा में जाएंगे.

वेरेश्चुक ने इस बीच केवल इतना कहा कि दोनों पक्षों ने पूर्वी शहर सूमी से नागरिकों को यूक्रेन के पोल्तावा शहर की ओर भेजने पर सहमति जता दी है. उन्होंने कहा कि सूमी से निकाले जाने वाले लोगों में भारत और चीन के विदेशी छात्र भी शामिल होंगे.

वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि यूक्रेनी बल अभूतपूर्व साहस दिखा रहे हैं. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘समस्या यह है कि यूक्रेन के एक सैनिक के सामने रूस के 10 सैनिक हैं और एक यूक्रेनी टैंक के सामने 50 रूसी टैंक हैं.’

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रांडी ने ट्विटर पर लिखा, ‘आज यूक्रेन छोड़कर जाने वाले शरणार्थियों की संख्या 20 लाख हो गई है.’

यूक्रेन के सूमी से सभी भारतीय छात्रों को निकाल लिया गया, पोलतावा रवाना हुए: विदेश मंत्रालय

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि युद्धग्रस्त यूक्रेन के सूमी शहर से सभी भारतीय छात्रों को निकाल लिया गया है और छात्र बसों में सवार हो कर पोलतावा शहर के लिए रवाना हो गए हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, ‘यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि हमने सूमी से सभी भारतीय छात्रों को निकाल लिया है. वे अभी पोलतावा शहर के लिए रास्ते में हैं जहां से वे पश्चिमी यूक्रेन के लिए रेलों पर सवार होंगे. ‘

उल्लेखनीय है कि भारत 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले शुरू होने के बाद से, पूर्वी यूरोपीय देश में फंसे 17,100 से अधिक भारतीय छात्रों को अब तक वापस ले आया है. सूमी में रूसी और यूक्रेनी सैनिकों के बीच कई दिनों से जंग चल रही है.

इससे पहले, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन के सूमी शहर से भारतीय छात्रों को निकालना शुरू कर दिया गया है.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मैंने नियंत्रण कक्ष में बात की है, बीती रात तक सूमी में 694 भारतीय छात्र थे. वे सभी बसों से पोलतावा के लिए रवाना हो गए हैं.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बात की थी और सूमी से भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के तरीकों पर चर्चा की थी, जो पूर्वी यूरोपीय देश पर रूस के हमले के बाद वहां फंस गए हैं.

यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने सोमवार को कहा था कि सूमी में फंसे भारतीय छात्रों की पोलतावा से होते हुए पश्चिमी सीमाओं तक सुरक्षित निकासी में समन्वय के लिए मिशन का एक दल पोलतावा शहर में तैनात है.

सूमी में रूसी सेना का एक क्षतिग्रस्त टैंक. (फोटो: रॉयटर्स)

भारतीय दूतावास ने माइकोलाइव बंदरगाह में फंसे 52 भारतीय नाविकों को निकाला

यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को कहा कि उसने युद्धग्रस्त देश में माइकोलाइव बंदरगाह पर फंसे 75 भारतीय नाविकों में से 52 को निकाल लिया है.

उसने यह भी बताया कि बाकी के 23 नाविकों को निकालने का मंगलवार को प्रयास किया जाएगा.

यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, ‘दूतावास ने माइकोलाइव बंदरगाह पर फंसे 75 भारतीय नाविकों को निकालने के लिए हस्तक्षेप किया. कल दूतावास ने बसों की व्यवस्था की जिससे लेबनान के दो और सीरिया के तीन नाविकों समेत कुल 57 नाविकों को निकाला गया.’

उसने कहा, ‘मार्ग संबंधी अड़चनों से बाकी के 23 नाविकों को निकालने में बाधा आई. दूतावास इन्हें आज निकालने की कोशिश कर रहा है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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