मतगणना की पूर्व संध्या पर निर्वाचन आयोग ने वाराणसी में ईवीएम से संबंधित नोडल अधिकारी सहित तीन अधिकारियों को हटाने की घोषणा की. यह क़दम समाजवादी पार्टी के इस आरोप से उठे विवाद के बाद उठाया गया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अनधिकृत तरीके से स्थानांतरित की जा रही थीं.
नई दिल्ली/लखनऊ/पणजी: राजनीतिक दल बृहस्पतिवार को होने जा रही उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव की मतगणना का बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं.
मतगणना की पूर्व संध्या पर निर्वाचन आयोग ने वाराणसी में ईवीएम से संबंधित नोडल अधिकारी सहित तीन अधिकारियों को हटाने की घोषणा की. यह कदम समाजवादी पार्टी (सपा) के इस आरोप से उत्पन्न भारी विवाद के बाद उठाया गया कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) अनधिकृत तरीके से स्थानांतरित की जा रही थीं.
निर्वाचन आयोग ने मतगणना की निगरानी के लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मेरठ में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया.
उत्तर प्रदेश को भाजपा और मोदी सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह राज्य सबसे अधिक 80 सांसद लोकसभा भेजता है और विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन का 2024 के आम चुनाव पर असर पड़ने की उम्मीद है.
बहुकोणीय मुकाबले के कारण चूंकि चुनाव के बाद का परिदृश्य आश्चर्य पैदा कर सकता है, इसलिए राजनीतिक दलों ने अपने वरिष्ठ नेताओं को राज्यों में भेज दिया है और वे अन्य दलों को भी लुभा रहे हैं, ताकि यदि बाहरी समर्थन की आवश्यकता हुई तो वे सरकार बनाने में अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ें.
कांग्रेस ने अपनी कर्नाटक इकाई के प्रमुख डीके शिवकुमार को गोवा में विशेष पर्यवेक्षक के रूप में तथा पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक एवं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के साथ साथ विंसेंट पाला को भी मणिपुर भेजा है.
पार्टी 2017 में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद दोनों राज्यों में सरकार बनाने की दौड़ हार गई थी.
कांग्रेस की गोवा इकाई के प्रमुख गिरीश चूडांकर ने संवाददाताओं से कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ‘पहले से ही कांग्रेस नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं.’ उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) भी उनकी पार्टी का समर्थन करेगी.
कांग्रेस ने मतगणना से पहले तटीय राज्य के सभी उम्मीदवारों को पणजी के पास बम्बोलिम गांव में एक लग्जरी रिसॉर्ट में स्थानांतरित कर दिया है.
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत मंगलवार को अपने राज्य में उभरती स्थिति पर भाजपा नेतृत्व के साथ चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे.
अधिकारियों के अनुसार, पांच राज्यों में लगभग 1,200 हॉल में मतगणना के लिए 50,000 से अधिक अधिकारियों को तैनात किया गया है और कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह आठ बजे शुरू होने वाली कवायद के दौरान कोविड-9 रोधी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में 750 से अधिक मतगणना हॉल होंगे जहां अधिकतम 403 विधानसभा सीट हैं. इसके बाद पंजाब में 200 से अधिक मतगणना हॉल होंगे.
प्रक्रिया की निगरानी के लिए पांच राज्यों में 650 से अधिक मतगणना पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं.
इस संबंध में एक अधिकारी ने लखनऊ में बताया कि यूपी के सभी मतगणना केंद्रों पर वीडियो एवं स्थिर कैमरे लगाए गए हैं.
पुलिस ने कहा कि 10 मार्च के लिए उत्तर प्रदेश के सभी जिलों और आयुक्तालयों को सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की कुल 250 कंपनी प्रदान की गई हैं. अधिकारियों के मुताबिक, सीएपीएफ की एक कंपनी में आम तौर पर करीब 70-80 कर्मी होते हैं.
अगर भाजपा को 403 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत मिलता है तो वह पिछले तीन दशक में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने वाली पहली पार्टी होगी.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की यूपी इकाई के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, ‘यूपी भाजपा कार्यालय में कोई खास तैयारी नहीं है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह है.’
मंगलवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि वाराणसी में एक ट्रक में ईवीएम को ‘चोरी छिपे’ ले जाया जा रहा था, लेकिन निर्वाचन आयोग ने कहा था कि मशीन मतगणना ड्यूटी पर प्रशिक्षण अधिकारियों के लिए थीं.
उत्तराखंड में भाजपा महासचिव और रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय ने पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य नेताओं के साथ बैठक की.
विजयवर्गीय पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के समय राज्य की राजनीति में सक्रिय रहे थे, जिसके कारण उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक दीपेंद्र हुड्डा, उत्तराखंड के लिए पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव, चुनाव प्रचार प्रमुख हरीश रावत और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गणेश गोदियाल के बैठकें करने के साथ ही कांग्रेस खेमा भी स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है.
चुनाव बाद हुए कई सर्वेक्षणों में से कुछ में भाजपा तो कुछ में कांग्रेस को बहुमत मिलता बताया गया है. इनमें से कई में कहा गया कि इन दोनों प्रमुख दलों में कड़ी टक्कर है और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन सकती है.
यह एक ऐसा परिदृश्य होगा जिसमें निर्दलीय और क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका अहम हो जाएगी जैसे कि सरकार गठन में आप, सपा, बसपा और उत्तराखंड क्रांति दल महत्वपूर्ण हो जाएंगे.
उत्तराखंड में 70 सदस्यीय विधानसभा है. प्रमुख दल उन बागियों पर भी नजर रख रहे हैं, जो अपने आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरे थे.
इस बार भाजपा के तेरह और कांग्रेस के छह बागी चुनाव मैदान में थे.
कांग्रेस महासचिव अजय माकन और प्रवक्ता पवन खेड़ा को पंजाब भेजा गया है.
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को कहा कि पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस विधायक दल की पहली बैठक बृहस्पतिवार को ही होगी.
अरविंद केजरीवाल की आप सात साल तक दिल्ली में शासन करने के बाद पंजाब में भी सत्ता में आकर इतिहास रचने की उम्मीद कर रही है.
हालांकि विभिन्न एग्जिट पोल में कहा गया है कि कांग्रेस लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाएगी लेकिन कांग्रेस की पंजाब इकाई के नेताओं ने जोर देकर कहा है कि उनकी पार्टी जीत हासिल करेगी.
वहीं, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने दावा किया था कि उनकी पार्टी, जिसने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, 80 से अधिक सीट जीतेगी.
भाजपा ने कहा है कि उसे बहुत लाभ होगा जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है.
एग्जिट पोल में मणिपुर में भाजपा की जीत की भविष्यवाणी के साथ इंफाल में पार्टी के राज्य कार्यालय में उत्साह का माहौल है और कार्यकर्ता परिसर की सफाई करने तथा चारदीवारी पर पार्टी के नए झंडे लगाने में व्यस्त हैं. पार्टी ने सभी 60 सीट पर चुनाव लड़ा है.
वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस राज्य में अपनी विरोधी को सत्ता में वापसी करने से रोक लेगी।
राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में अगले कुछ दिनों तक दो मुख्य दलों में से किसी एक के संभावित दबदबे की उम्मीद के बीच दोनों में से किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), जद(यू) अहम भूमिका निभा सकते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)