लखीमपुर हिंसा: आशीष मिश्रा की ज़मानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अब 15 मार्च को

लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस बीच बृहस्पतिवार रात मामले के प्रमुख गवाहों में से एक पर हमला भी किया गया.

आशीष मिश्रा. (फाइल फोटो: एएनआई)

लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस बीच बृहस्पतिवार रात मामले के प्रमुख गवाहों में से एक पर हमला भी किया गया.

आशीष मिश्रा. (फोटो: एएनआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे एवं मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अब 15 मार्च को सुनवाई करेगा. इस हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ को वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि याचिका शुक्रवार 11 मार्च के लिए सूचीबद्ध की गई थी, लेकिन आज सुनवाई वाली याचिकाओं की सूची में इसका जिक्र नहीं आया. इस बीच, बृहस्पतिवार की रात मामले के प्रमुख गवाहों में से एक पर हमला भी किया गया.

पीठ ने कहा, ‘कोई गलती हो गई है. वे (रजिस्ट्री अधिकारी) मंगलवार को इसे सूचीबद्ध कर रहे हैं. हम मंगलवार (15 मार्च) को मामले पर सुनवाई करेंगे.’

भूषण ने चार मार्च को याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था, जिसके बाद अदालत ने इसे 11 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया था.

भूषण ने तब दलील दी थी कि मामले के अन्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी गई राहत का हवाला देते हुए जमानत के लिए अदालत का रुख कर रहे हैं.

इसके बाद पीठ ने वकील से कहा था कि वह उच्च न्यायालय को इस बात से अवगत कराएं कि शीर्ष अदालत जमानत खारिज करने की याचिका पर सुनवाई कर रही है.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के तीन सदस्यों ने मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी. इससे पहले वह चार महीने तक हिरासत में रहे थे.

गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर 2021 को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.

तीन अक्टूबर 2021 को यानी घटना के दिन लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.

आरोप है कि इस दौरान जिले के तिकुनिया में अजय कुमार मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकुनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.

मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.

गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी ​के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय राज्य मंत्री की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.

इस संबंध में पहली प्राथमिकी एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.

हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया था.

दूसरी प्राथमिकी दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)