बीते जनवरी महीने में जूनियर क्लर्क, ट्रेन सहायक, गार्ड, टाइम कीपर से लेकर स्टेशन मास्टर तक विभिन्न श्रेणियों में 35,281 ख़ाली पदों के लिए ग़ैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों (एनटीपीसी) के लिए भर्ती प्रक्रिया के विरोध में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में व्यापक प्रदर्शन हुए थे. भारतीय रेलवे ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए अब केवल एक परीक्षा कराने पर सहमति दी है.
नई दिल्लीः रेलवे भर्ती बोर्ड ने लेवल-1 और नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) परीक्षाओं में कथित अनियमितता के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों की बृहस्पतिवार को को सभी मांगें मानते हुए अधिसूचना जारी कर दी है.
रेलवे बोर्ड ने यह फैसला छात्रों की शिकायतों की जांच करने के लिए गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा बोर्ड को रिपोर्ट सौंपने के बाद लिया और इसे पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद चार में भाजपा की जीत सुनिश्चित होने के बाद सार्वजनिक किया गया.
भारतीय रेलवे ने ग्रुप-डी के कर्मचारियों की भर्ती के लिए लेवल-1 परीक्षा दो कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं (सीबीटी) के माध्यम से कराने की अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए अब केवल एक परीक्षा कराने पर सहमति दी है.
Railway Committee addresses the concerns of candidates for Non Technical Popular Categories.
20 times unique candidates will be shortlisted for Non Technical Popular Categories.
Revised results of all Pay Levels to be declared by the first week of April, 2022. pic.twitter.com/0dEDfUXiiX— Ministry of Railways (@RailMinIndia) March 10, 2022
बता दें कि बीते जनवरी महीने में जूनियर क्लर्क, ट्रेन सहायक, गार्ड, टाइम कीपर से लेकर स्टेशन मास्टर तक विभिन्न श्रेणियों में 35,281 खाली पदों के लिए गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों (एनटीपीसी) के लिए भर्ती प्रक्रिया के विरोध में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में व्यापक प्रदर्शन हुए थे.
छात्रों ने रेलवे द्वारा दो चरणों में परीक्षा आयोजित करने के फैसले का विरोध करते हुए दावा किया था कि दूसरा चरण उन लोगों के लिए अनुचित है, जिन्होंने पहले चरण की परीक्षा पास कर ली है, जिसके परिणाम 15 जनवरी को जारी किए गए थे.
इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1.25 करोड़ उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था, जिन्होंने लेवल-2 से लेवल 6 तक 35,000 से अधिक पदों का विज्ञापन किया था, जिसमें शुरुआती वेतन 19,900 से लेकर 35,400 रुपये प्रति माह था.
परीक्षा में करीब 60 लाख लोग शामिल हुए थे. हजारों रिक्तियों को भरने के लिए आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा 28 दिसंबर, 2020 और 31 जुलाई, 2021 के बीच सात चरणों में आयोजित की गई थी.
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि 2019 में जारी रेलवे भर्ती बोर्ड की अधिसूचना में केवल एक परीक्षा का उल्लेख किया गया था और उन्होंने बोर्ड द्वारा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था.
अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया था कि सात लाख से अधिक आवेदनों की छंटनी की गई, जबकि उम्मीदवारों की वास्तविक संख्या करीब 3.84 लाख थी और एक ही अभ्यर्थी की एक से अधिक पद के लिए छंटनी हुई हो सकती है.
रेलवे ने गुरुवार को कहा कि एनटीपीसी के लिए दूसरे स्तर की कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) के लिए वेतन स्तर के आधार पर चयनित ‘विशेष उम्मीदवारों’ की संख्या खाली पदों की तुलना में 20 गुना होगी.
रेलवे ने यह भी कहा कि सभी वेतन स्तर (पे लेवल) के संशोधित परिणाम अप्रैल के पहले सप्ताह तक घोषित किए जाएंगे, वहीं पे लेवल-6 के लिए दूसरे स्तर की परीक्षा मई में और अन्य वेतन स्तरों के लिए दूसरे चरण की परीक्षा एक निश्चित अंतराल के बाद आयोजित की जाएगी.
रेलवे बोर्ड का यह फैसला छात्रों की शिकायतों की जांच करने के लिए गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के एक दिन बाद आया है.
अधिसूचना के मुताबिक, आरआरबी एनटीपीसी के संशोधित नतीजे अप्रैल के पहले सप्ताह में जारी करेगी. रेलवे भर्ती बोर्ड ने कहा कि जिन उम्मीदवारों को पहले ही योग्य घोषित किया जा चुका है, वे योग्य बने रहेंगे.
Railway Committee addresses the concerns of candidates for Non Technical Popular Categories.
20 times unique candidates will be shortlisted for Non Technical Popular Categories.
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यह फैसला पांच में से चार राज्यों में भाजपा की जीत के बाद इस संबंध में उच्च अधिकार समिति द्वारा रेलवे बोर्ड को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद लिया गया है.
दरअसल इस समिति को चार मार्च तक रिपोर्ट देने को कहा गया था.
मालूम हो कि पिछले महीने रेलवे ने प्रदर्शनों की वजह से परीक्षा स्थगित कर दी थी और शिकायतों की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई थी.
ये अभ्यर्थी अंतिम चयन के लिए दो स्तरीय परीक्षा का विरोध कर रहे थे और अपने साथ धोखा किए जाने का दावा कर रहे हैं, जिन्होंने 15 जनवरी के जारी कंप्यूटर आधारित परीक्षा दी और उत्तीर्ण किया.
बता दें कि दो से छह स्तर के 35,000 पदों के लिए करीब 1.25 करोड़ उम्मीदवारों ने आवेदन किया है.
उम्मीदवारों का आरोप है कि परीक्षा का स्वरूप इस तरह से बनाया गया है जिससे उच्च शिक्षा वालों को लाभ मिले, जबकि पद के लिए कम अर्हता चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)