छत्तीसगढ़: नवा रायपुर परियोजना से प्रभावित किसान की विरोध प्रदर्शन के दौरान मौत

छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में नई राजधानी के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित 27 गांवों के किसान पिछले दो महीने से बेहतर पुनर्वास और मुआवज़े समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

नई राजधानी के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान अपनी मांगों के लेकर पिछले दो महीने से धरना दे रहे हैं. (फोटो साभार: ट्विटर/@alokshuklacg)

छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में नई राजधानी के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित 27 गांवों के किसान पिछले दो महीने से बेहतर पुनर्वास और मुआवज़े समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

नई राजधानी के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान अपनी मांगों के लेकर पिछले दो महीने से धरना दे रहे हैं. (फोटो साभार: ट्विटर/@alokshuklacg)

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में नई राजधानी के लिए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल एक किसान की शुक्रवार को आंदोलन स्थल के पास मौत हो गई.

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि नवा रायपुर में किसान सियाराम पटेल (68) की मौत हो गई.

रायपुर जिले के नवा रायपुर (अटल नगर) में शामिल 27 गांवों के किसान नई राजधानी परियोजना प्रभावित किसान कल्याण समिति के बैनर तले जनवरी से बेहतर पुनर्वास और मुआवजे समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

अधिकारियों ने बताया कि किसान कल्याण समिति के द्वारा बुलाए गए धरना प्रदर्शन और अपनी मांगों के संदर्भ में आवेदन जमा करने के लिए आंदोलनकारी एकत्र हुए थे.

उन्होंने बताया कि आंदोलनकारियों से एक दिन पहले चर्चा कर उन्हें पूर्व निर्धारित स्थल पर बैरिकेडिंग लगाकर रोका गया तथा पूर्व सहमति अनुसार काउंटर लगाकर आवेदनों को प्राप्त किया गया.

उन्होंने बताया कि इस दौरान बरौदा गांव निवासी सियाराम पटेल आवेदन जमा करने के स्थल के समीप मूर्छित होकर गिर गए. घटना के बाद तत्काल उन्हें करीब के बालको अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

अधिकारियों ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद किसान के बेटे हीरालाल पटेल बालको अस्पताल पहुंचे. बाद में किसान के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. इस दौरान हीरालाल ने अधिकारियों को बताया कि उनके पिता पिछले करीब दो वर्ष से उच्च रक्तचाप के मरीज थे और उसकी दवाई ले रहे थे.

किसान कल्याण समिति के प्रवक्ता गिरधर पटेल ने बताया कि सियाराम पटेल अपनी जमीन के अधिग्रहण के कारण पुनर्वास की मांग कर रहे थे. वह पिछले दो महीनों से विरोध में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे.

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए राज्य सरकार ने एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया था, जिसने पिछले महीने उनकी आठ मांगों में से छह को स्वीकार कर लिया था.

राज्य के जनसंपर्क विभाग ने इस महीने की शुरुआत में एक विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण के संचालक मंडल ने किसानों के हित में छह बिंदुओं पर अमल करते हुए आदेश जारी किया है.

वहीं, किसान कल्याण समिति के प्रवक्ता गिरधर पटेल ने बताया कि राज्य सरकार ने अभी तक किसानों की विभिन्न मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है, जिसमें उनकी भूमि का चार गुना मुआवजा और उचित पुनर्वास शामिल है.

पटेल ने कहा कि राज्य सरकार कुछ मांगों को पूरा करने के लिए सहमत हो गई है, लेकिन विभिन्न नियम और शर्तें रखी गई हैं. इसलिए आंदोलन अभी भी जारी है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सरकार के साथ कई दौर की असफल वार्ता के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने नया रायपुर विकास प्राधिकरण कार्यालय के बाहर धरना दे रहे थे. हालांकि, गुरुवार (10 मार्च) को इलाके में धारा 144 लागू होने के बाद प्रदर्शन कर रहे किसानों को कार्यालय नहीं जाने दिया गया.

प्रदर्शनकारियों में से एक गिरधारी पटेल ने कहा, ‘पुलिस और बैरिकेड्स द्वारा हमारे मार्च को रोकने के बाद हम विरोध में बैठ गए. शाम करीब 4 बजे सियाराम पटेल, जो हमारे साथ प्रदर्शन में शामिल थे, अचेत होकर गिर गए.’

जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसान सियाराम पटेल के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

अधिकारियों ने बताया कि बघेल ने पटेल के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि प्रदान करने की घोषणा की है.

विरोध करने वाले प्रतिनिधियों के अनुसार, पटेल जो धूप में बैठे थे, उनका बकाया नहीं मिलने से तनाव थे.

प्रदर्शनकारी किसानों में से एक ने कहा, ‘यह प्राकृतिक मौत नहीं है, बल्कि सरकार की लापरवाही से हुई मौत है. हम पैसे और नौकरियों की मांग कर रहे हैं, जब हमसे जमीन ली गई थी, तो हमसे वादा किया गया था.’

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन जैसे नागरिक समूहों ने भी किसान विरोध को अपना समर्थन दिया है. इस संगठन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा, ‘यह दुखद है कि किसान हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार अपने राज्य के किसानों की सुनने को तैयार नहीं है. हम किसान विरोध का समर्थन करते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)