कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों समेत कई बड़े नाम आम आदमी पार्टी के लगभग अनजान से चेहरों से चुनाव हारे हैं. वहीं, भाजपा भी अपनी दो ही सीटें बचा सकी.
चंडीगढ़: पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की ऐतिहासिक विजय के चलते कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राज्य के गठन के बाद से चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी हारों में से एक का सामना करना पड़ा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद से हुए 13 विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल का यह सबसे बुरा प्रदर्शन है कि वह दहाई की संख्या में भी सीटें नहीं जीत सका.
100 साल पुराने शिअद को केवल 3 सीटों पर जीत मिली, जबकि पिछले चुनावों में वह 117 सदस्यीय विधानसभा में 15 सीट जीतने में कामयाब रहा था. शिरोमणि अकाली दल से बिक्रम सिंह मजीठिया की पत्नी गुनीव कौर मजीठा, मनप्रीत सिंह अयाली दखा और डॉ. सुखविंदर सिंह सुखी बंगा सीट से जीत सके.
शिअद को माझा, मालवा और दोआबा क्षेत्रों में केवल एक-एक सीट हासिल हुईं.
आलम यह रहा कि कांग्रेस और अकाली दल के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार समेत कई बड़े नाम आम आदमी पार्टी के अनजान चेहरों से चुनाव हार गए. पांच बार मुख्यमंत्री रहे और अकाली दल के संरक्षक 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल भी चुनाव हार गए, जो इस चुनाव से पहले तक कभी कोई चुनाव नहीं हारे थे.
उन्हें आम आदमी पार्टी के गुरदीप सिंह खुदियां ने 11,396 वोटों के अंतर से हराया. आप की लहर का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि शिअद के अध्यक्ष सुखवीर सिंह बादल भी अपने गढ़ जलालाबाद में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जगदीप कांबोज से 30,930 मतों के बड़े अंतर से हार गए.
कांग्रेसी मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब और भदौर, दो सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों ही जगह हार गए. भदौर में उन्हें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार लाभ सिंह उगो के हाथों 37,558 मतों से बड़ी हार मिली है, तो वहीं चमकौर साहिब में उन्हीं के हमनाम चरनजीत सिंह ने उन्हें 7,942 मतों से हराया.
दूसरी तरफ, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हार गए. उन्होंने कांग्रेस से अलग होने के बाद पंजाब लोक कांग्रेस नामक पार्टी बनाई थी. उन्हें आम आदमी पार्टी के अजीत पाल सिंह कोहली ने पटियाला सीट पर 19,873 मतों से हराया.
अमृतसर पूर्व सीट पर पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के बीच मुकाबला था, लेकिन दोनों ही आम आदमी पार्टी उम्मीदवार जीवन ज्योत कौर से हार गए. सिद्धू दूसरे पायदान पर रहे और उन्हें 6,750 मतों से हार मिली.
कांग्रेस नेता और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल आम आदमी पार्टी उम्मीदवार जगरूप सिंह गिल के हाथों भटिंडा शहरी सीट पर 63,581 मतों के बड़ा भारी अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस की सीट संख्या में पिछले चुनावों की अपेक्षा जमीन-आसमान का अंतर देखा गया है. 2017 में जहां उसे 77 सीटों पर जीत मिली थी, वह संख्या अब 18 रह गई है. 1977 के चुनावों से महज एक अधिक. तब 104 विधानसभा सीटें हुआ करती थीं और कांग्रेस 17 पर जीती थी.
भाजपा के हाथ भी बड़ी हार लगी है. केवल दो सीटों पर उसे जीत मिली है. पंजाब के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी शर्मा को पठानकोट से और जंगीलाल महाजन को मुकेरियां से जीत मिली है.
शिअद की गठबंधन सहयोगी बसपा ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ एक सीट पर उसे जीत मिली. हालांकि, सबसे बड़ा झटका शिअद को ही लगा है.
2012 में जब शिअद ने राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी, तब से लगातार पार्टी की सीट संख्या में गिरावट देखी जा रही है. 2012 में अकाली दल को 56 सीटों पर जीत मिली थी और उसकी सहयोगी भाजपा को 12 सीटों पर सफलता हाथ लगी थी.