पंजाब पुलिस ने 122 पूर्व मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा वापस लेने का आदेश दिया है. इस फैसले के एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव से मिले थे.
चंडीगढ़: पंजाब की पुलिस ने 122 पूर्व मंत्रियों और विधायकों की सुरक्षा वापस लेने का आदेश दिया है. आम आदमी पार्टी (आप) के नेता भगवंत मान के राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के मद्देनजर इस फैसले को बेहद अहम माना जा रहा है.
पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) ने 11 मार्च को एक पत्र के जरिये पुलिस आयुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और अन्य पुलिस अधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं.
हालांकि, अदालत के विशेष निर्देशों पर जिन मंत्रियों, विधायकों और नेताओं को सुरक्षा प्रदान की गई है, उनकी सुरक्षा वापस नहीं ली जाएगी.
जिन लोगों की सुरक्षा छिनने वाली है, उनमें पूर्व मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, राज कुमार वेरका, भारत भूषण आशु, ब्रह्म मोहिंद्रा, संगत सिंह गिलजियान और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केपी सिंह प्रमुख हैं.
जिन नेताओं की सुरक्षा वापस ली जाएगी, उस सूची में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस नेता परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग, राणा गुरजीत सिंह, तृप्त राजेंद्र सिंह बाजवा, सुखबिंदर सरकारिया और बरिंदरमीत सिंह पाहरा के नाम भी शामिल हैं.
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू की सुरक्षा भी वापस ली जाएगी.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख नेताओं में दलजीत सिंह चीमा, तोता सिंह, सिकंदर सिंह मलूका, चुन्नी लाल भागा, मनोरंजन कालिया, अनिल जोशी, दिनेश बब्बू, आदेश प्रताप सिंह कैरों और पूर्व विधायक शरणजीत ढिल्लों और पवन कुमार टीनू भी पुलिस सुरक्षा गंवाने वालों की सूची में शामिल हैं.
इस सूची में आप के पूर्व विधायक जगतार सिंह जग्गा, कंवर संधू, अमरजीत सिंह संदोआ और एचएस फुल्का के नाम भी शामिल हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब पुलिस के इस फैसले के एक दिन पहले आप के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव से मिले थे.
पंजाब पुलिस के अनुसार, गिद्दड़बाहा से जीते पूर्व परिवहन मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वारिंग की सुरक्षा में 21 जवान तैनात हैं, बठिंडा शहरी सीट से हारने वाले पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की सुरक्षा 19 सुरक्षाकर्मी कर रहे हैं, जबकि भारत भूषण आशु की सुरक्षा 16 सुरक्षाकर्मी कर रहे हैं. पिछली सरकार के एक और लो-प्रोफाइल मंत्री परगट सिंह की सुरक्षा में 17 पुलिसकर्मी लगे हैं.
ब्रह्म मोहिंद्रा की सुरक्षा में 14, संगत सिंह गिलजियान और रणदीप नाभा 15-15, सुखविंदर सरकारिया, अरुणा चौधरी, राणा गुरजीत सिंह और तृप्त राजिंदर बाजवा की सुरक्षा में 14-14 जवान तैनात हैं. राणा केपी सिंह की सुरक्षा में तैनात सभी 14 गनमैन भी हटा दिए गए हैं.
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू भी अपनी सुरक्षा खो देंगी. उसकी सुरक्षा में सात जवान लगे हुए हैं. सुखजिंदर रंधावा एकमात्र ऐसे पूर्व मंत्री हैं, जिनके नाम का उल्लेख इस आदेश में नहीं है.
अब तक कि जानकारी में सामने आया है कि पूर्व मंत्री जो चुनाव में अपनी-अपनी विधानसभा सीटों पर जीतने में सफल रहे हैं, उनकी सुरक्षा में दो सुरक्षाकर्मी छोड़ दिए गए हैं. सूची में उन कांग्रेस विधायकों के नाम भी शामिल हैं, जो इस बार भी अपनी सीटों से जीतने में सफल रहे हैं, लेकिन अब मंत्री नहीं रहेंगे.
कंवर संधू, जगतार सिंह जग्गा हिस्सोवाल, अमरजीत सिंह संदोआ और हरविंदर सिंह फुल्का समेत पिछली विधानसभा में पार्टी छोड़ चुके या अन्य दलों में शामिल होने वाले आप विधायकों की सुरक्षा भी वापस ले ली गई है. इनमें से ज्यादातर के पास दो से तीन गनमैन थे.
भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख नेताओं में दलजीत सिंह चीमा, तोता सिंह, सिकंदर सिंह मलूका, चुन्नी लाल भागा, मनोरंजन कालिया, अनिल जोशी, दिनेश बब्बू, आदेश प्रताप सिंह कैरों और पूर्व विधायक शरणजीत ढिल्लों और पवन कुमार टीनू शामिल हैं. इनके अलावा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रमुख और पूर्व विधायक गोबिंद सिंह लोंगोवाल का नाम भी सुरक्षा गंवाने वालों में शामिल है.
लोक इंसाफ पार्टी के बैंस बंधु, सिमरजीत बैंस और बलविंदर बैंस, भी अपनी सुरक्षा खो देंगे,
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मनोनीत मुख्यमंत्री और डीजीपी के बीच मौखिक चर्चा के बाद सुरक्षाकर्मियों को हटाया गया है.
पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई मंत्रियों के सुरक्षा में तो 40 जवान तैनात थे.
बता दें कि 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह का सरकार ने भी सुरक्षा कवर हटाने की इसी तरह की कवायद की थी और इसे राजनेताओं के वीआईपी दर्जे को कम करने का नाम दिया था. हालांकि, फिर कुछ ही दिनों के अंदर कांग्रेस नेताओं और विधायकों को भारी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)