गोधरा ट्रेन नरसंहार: हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की सज़ा-ए-मौत को उम्रक़ैद में बदला

27 फरवरी, 2002 को हुए गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में 20 अन्य को सुनाई गई उम्रक़ैद की सज़ा बरक़रार.

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साबरमती एक्सप्रेस के जले हुए कोच के सामने खड़े पुलिसकर्मी. (फोटो: पीटीआई)

27 फरवरी, 2002 को हुए गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में 20 अन्य को सुनाई गई उम्रक़ैद की सज़ा बरक़रार.

साबरमती एक्सप्रेस के जले हुए कोच के सामने खड़े पुलिसकर्मी. (फोटो: पीटीआई)
साबरमती एक्सप्रेस के जले हुए कोच के सामने खड़े पुलिसकर्मी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में सोमवार को 11 दोषियों की सज़ा-ए-मौत को उम्रक़ैद में बदल दिया जबकि 20 अन्य दोषियों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरक़रार रखा.

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और रेलवे दोनों कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहे हैं और दोनों पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा देंगे.

गोधरा स्टेशन के करीब 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के शयनयान एस-6 को जला दिया गया था. इस घटना में 59 लोग मारे गए थे. मरने वालों में ज़्यादातर कारसेवक थे जो उत्तर प्रदेश में अयोध्या से लौट रहे थे.

इस घटना के कारण गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए जिनमें करीब 1200 लोग मारे गए. मरने वालों में ज़्यादातर मुसलमान थे.

न्यायमूर्ति अनंत एस. दवे और न्यायमूर्ति जीआर उधवानी की खंडपीठ ने सोमवार के फैसले में कहा कि वह निचली अदालत द्वारा 11 लोगों को दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरक़रार रखती है लेकिन उन्हें सुनाई गई मौत की सज़ा को सश्रम उम्रक़ैद में बदल रही है.

अदालत ने इसी मामले में विशेष एसआईटी अदालत द्वारा 20 अन्य को सुनाई गई उम्रक़ैद की सज़ा को बरक़रार रखा.

राज्य सरकार और रेलवे को हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 10-10 लाख रुपये की मुआवज़ा राशि देने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि शासन कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहा, रेलवे भी असफल रहा.

अदालत ने कहा कि घटना में घायल हुए लोगों को उनकी विकलांगता के आधार पर मुआवज़ा दिया जाना चाहिए. खंडपीठ ने कहा कि वह फैसला सुनाने में हो रही देरी पर खेद जताते हैं, क्योंकि अपील पर सुनवाई बहुत पहले पूरी हो गई थी.

विशेष एसआईटी अदालत ने एक मार्च, 2011 को 31 लोगों को इस मामले में दोषी क़रार दिया था. इनमें से 11 लोगों को मौत की सज़ा और 20 लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई थी. अदालत ने 63 लोगों को बरी कर दिया था.

अदालत ने 63 लोगों को बरी करने और दोषियों की सज़ा बढ़ाने के लिए विशेष जांच दल की अपील अस्वीकार कर दी.

क्या है गोधरा ट्रेन नरसंहार कांड?

27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस एक कोच एस6 में आग लगा दी गई थी. इस कोच में यात्रा कर रहे 59 यात्रियों की जलकर मौत हो गई थी. मरने वालों में 27 महिलाएं और 10 बच्चे थे. इसके अलावा 48 यात्री घायल हुए थे.

इस कोच समेत ट्रेन में कारसेवक यात्रा कर रहे थे जो कि अयोध्या से लौट रहे थे. इस घटना के बाद गुजरात में भयानक दंगे हुए थे. उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. घटना के बाद जांच के लिए गुजरात सरकार ने जस्टिस जीटी नानावटी आयोग गठित किया. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आगजनी की घटना में मारे गए 59 लोगों में ज्यादातर कारसेवक थे जो कि अयोध्या से लौट रहे थे.

ट्रेन में आगजनी की घटना के बाद गुजरात भर में फैला दंगा करीब तीन महीने तक चलता रहा. 2005 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि इन दंगों में 254 हिंदू और 790 मुसलमान मारे गए, 223 लोग गायब हो गए. हजारों लोग दंगों की वजह से विस्थापित हुए थे.