हिजाब विवादः कर्नाटक में हड़ताल के आह्वान के बीच सांकेतिक विरोध प्रदर्शन

कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने 15 मार्च अपने फ़ैसले में यह कहते हुए कि इस्लाम में हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, पांच फरवरी के सरकार के उस आदेश को बरक़रार रखा, जिसमें उसने ऐसे परिधान पहनने पर रोक लगाई थी, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो.

कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब प्रतिबंध के फैसले के विरोध में प्रदर्शन करते छात्र (फोटो साभारः फेसबुक)

कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने 15 मार्च अपने फ़ैसले में यह कहते हुए कि इस्लाम में हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है, पांच फरवरी के सरकार के उस आदेश को बरक़रार रखा, जिसमें उसने ऐसे परिधान पहनने पर रोक लगाई थी, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो.

कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब प्रतिबंध के फैसले के विरोध में प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो साभारः फेसबुक)

नई दिल्लीः कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बनाए रखने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य के मुस्लिम धार्मिक गुरुओं के आह्वान पर गुरुवार को बंद जारी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के मुस्लिम दुकान मालिकों ने इस सांकेतिक प्रदर्शन के समर्थन में कथित तौर पर अपनी दुकानें बंद रखीं जबकि गैर मुस्लिमों की कई दुकानें खुली रहीं.

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कर्नाटक के मुस्लिम छात्रों ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद से कई तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया है. देश के अन्य हिस्सों के छात्रों ने भी हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया है.

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के छात्रों के एक समूह ने कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले के दिन (15 मार्च) सड़कों पर उतरकर विरोध किया.

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के एक दिन बाद विजयनगर जिले के होसपेट में कुछ सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक दीवारों पर ऐसी ग्रैफिटी (दीवार पर बनाई गई तस्वीर या शब्द) देखे गए, जिनमें  ‘हिजाब हमारी गरिमा है’ लिखा था.

हालांकि, बाद में नगर निगम के अधिकारियों ने इन ग्रैफिटी को हटवा दिया. इस संबंध में जिले में तीन पुलिस थानों में चार मामले दर्ज किए गए.

बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट की पीठ ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा था कि इस्लाम धर्म में हिजाब आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और पांच फरवरी के सरकार के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें राज्य सरकार ने ऐसे परिधान पहनने पर रोक लगाई थी, जिससे स्कूलों और कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित हो.

पीठ में चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी और जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पीठ ने सरकार के खिलाफ दायर मुस्लिम छात्रों की कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

इस फैसले के बाद मुस्लिम छात्राओं ने विरोधस्वरूप अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करना शुरू कर दिया और प्लेकार्ड लेकर सड़कों पर उतर आईं और नारेबाजी की.

उडुपी में गवर्मेंट प्री यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छह मुस्लिम छात्राएं बुधवार को कक्षाओं में नहीं पहुंची.

शिवमोगा में कमला नेहरू कॉलेज की 15 छात्राएं यह कहकर घर लौट आईं कि वे कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी.

उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल में व्यापारियों के एक वर्ग ने बंद रखा. भटकल में बर्मा बाजार, मेन रोड, मदीना कॉलोनी और नवायत कॉलोनी में भी 16 मार्च को बंद देखा गया.

निबा नाज़ जैसी कई मुस्लिम छात्राओं ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की मांग की है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने अधिवक्ता संजय हेगड़े को बताया कि अदालत होली के अवकाश के बाद ही मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा.

हेगड़े ने इस आधार पर सीजेआई रमना को मामले को 21 मार्च को सूचीबद्ध करने के लिए मनाने की कोशिश की थी कि छात्रों की 25 मार्च से परीक्षाएं हैं.

हालांकि, सीजेआई रमना ने कहा कि अवकाश के बाद अदालतों के फिर से काम करने के बाद ही मामले पर विचार किया जाएगा.