झारखंड: राज्यपाल ने दो आपत्तियों के साथ मॉब लिंचिंग बिल सरकार को वापस भेजा

झारखंड में भीड़ हिंसा का मामला 2019 में उस समय सुर्ख़ियों में आया था, जब 24 साल के तबरेज़ अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में कथित तौर पर पोल से बांधकर भीड़ ने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस घटना के वीडियो में भीड़ अंसारी से कथित तौर पर ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगाने को मजबूर करती दिख रही थी.

हेमंत सोरेन. (फोटो: पीटीआई)

झारखंड में भीड़ हिंसा का मामला 2019 में उस समय सुर्ख़ियों में आया था, जब 24 साल के तबरेज़ अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में कथित तौर पर पोल से बांधकर भीड़ ने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इस घटना के वीडियो में भीड़ अंसारी से कथित तौर पर ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगाने को मजबूर करती दिख रही थी.

हेमंत सोरेन. (फोटो: पीटीआई)

रांचीः झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने लगभग तीन महीने पहले विधानसभा में पारित मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल, 2021 को दो आपत्तियों के साथ राज्य सरकार को वापस लौटा दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि इन आपत्तियों को अभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संज्ञान में नहीं लाया गया है.

राज्य में भीड़ हिंसा का मामला 2019 में उस समय सुर्खियों में आया था, जब 24 साल के तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में कथित तौर पर पोल से बांधकर भीड़ ने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.

इस घटना के वीडियो में भीड़ अंसारी से कथित तौर पर ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगाने को मजबूर करती दिख रही थी.

पिछले साल दिसंबर में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक अमित कुमार मंडल ने भीड़ शब्द की परिभाषा और इसके संभावित दुरुपयोग का मुद्दा उठाया था.

भाजपा नेताओं का आरोप था कि मुख्यमंत्री तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं. हालांकि, सोरेन ने यह कहते हुए भाजपा पर पलटवार किया था कि वह लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है.

सोरेन ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था, ‘वे (भाजपा) बुद्धिजीवी हैं, जो आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं. अगर हम मॉब लिंचिंग एक्ट की बात करें तो मुझे बताइए क्या यह मुस्लिम लिंचिंग एक्ट है, आदिवासी लिंचिंग एक्ट है या हिंदू लिंचिंग एक्ट है. भीड़ तो भीड़ होती है.’

बता दें कि मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल को 21 दिसंबर 2021 को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित किया गया था और राज्यपाल की सहमति के लिए इसे उनके पास भेजा गया था.

इसके तहत दोषी पाए जाने पर जुर्माना और संपत्ति जब्त किए जाने के अलावा तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा पीड़ितों के लिए प्रतिकूल माहौल बनाने के लिए जुर्माने और तीन साल तक की सजा का भी प्रावधान है.

इसमें पीड़ितों, उनके परिवार के सदस्यों, प्रत्यदक्षदर्शियों और पीड़ित एवं गवाहों को सहायता मुहैया कराने वाले किसी भी शख्स को धमकाने या उनके खिलाफ माहौल तैयार करना भी शामिल हैं.

इसमें कहा गया है कि इन घटनाओं में पीड़ित की मौत होने पर आजीवन कारावास और कम से कम 25 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है.

इसके साथ ही प्रावधानों में कहा गया है कि आरोपियों की चल और अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा. साजिश या उकसाने का दोषी पाए जाने पर भी लिंचिंग के समान ही दंडित किया जाएगा.