74 वर्षीय शरद यादव पिछले दिनों स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनके इस क़दम को उनके सहयोगियों के पुनर्वास के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा.
नई दिल्ली: वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने रविवार को अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में विलय कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों में एकता पर बल दिया.
दोनों नेताओं (लालू और शरद) के अलग होने के 25 साल बाद यह विलय हुआ है.
राजद नेता तेजस्वी यादव ने दिग्गज नेता का अपनी पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि यह भाजपा विरोधी दलों के लिए सरकार के खिलाफ एकजुट होने का संदेश है. शरद यादव विगत में तेजस्वी के पिता व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.
74 वर्षीय शरद यादव पिछले दिनों स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनके इस कदम को उनके सहयोगियों के पुनर्वास के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी, लेकिन उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा.
उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा था, वहीं उनकी बेटी ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. उस समय कांग्रेस राजद नीत गठबंधन में शामिल थी.
शरद यादव ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी दलों की एकता उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने बिहार में भाजपा नीत राजग के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए तेजस्वी यादव की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को देश भर में हाथ मिलाना चाहिए.
शरद यादव ने कहा, ‘वह (तेजस्वी) भविष्य हैं. आज युवाओं की जरूरत है. राजद आपकी पार्टी है, आपको इसे मजबूत करना होगा. उसके हाथ मजबूत करो. मैं पहले की तरह सक्रिय नहीं हो सकता, लेकिन मैं उसे मजबूत करने की पूरी कोशिश करूंगा.
उन्होंने कहा, ‘हम अपनी लड़ाई को मजबूत करने के लिए अखिलेश (यादव) से बात करेंगे. मेरा मानना है कि लालू प्रसाद यादव एक दिन आजाद होकर चलेंगे. वह जेल में नहीं होते अगर उन्होंने सांप्रदायिक ताकतों से समझौता किया होता.’
राजद नेता और बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा, ‘देश भर में नफरत फैलाई जा रही है, भाईचारा खतरे में है, मूल्य वृद्धि एक कच्ची वास्तविकता है और संवैधानिक संस्थानों को पार्टी सेल में सिमट कर रखा जा रहा है. बेरोजगारी, महंगाई पर सवाल उठा रहे लोगों को कुचला जा रहा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘शरद यादव का फैसला (अपनी पार्टी का राजद में विलय) हमें ताकत और आत्मविश्वास देता है और मददगार साबित होगा. आगे बढ़ते हुए सभी विपक्षी दलों को एक संदेश भी भेज रहा है कि हम पहले ही देर से चल रहे हैं. हमें 2019 के बाद ही साथ आना चाहिए था.’
तेजस्वी ने कहा, ‘समाजवादी ताकतों के हाथ मिलाने पर हम सांप्रदायिक ताकतों को खदेड़ने में सक्षम होंगे. अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित करने की मांग उठाई जा रही है. हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे.’
पहली बार 2018 में गठित होने के बाद से एलजेडी चुनाव मैदान में नहीं उतरी थी. शरद ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजद के टिकट पर मधेपुरा से असफल चुनाव लड़ा था.
इससे पहले अपने दोस्त से प्रतिद्वंद्वी बने दोस्त (लालू प्रसाद) की राजनीतिक पार्टी में विलय के अपने फैसले की घोषणा करते हुए शरद ने कहा था कि यह तत्कालीन जनता दल के विभिन्न अलग-अलग संगठनों को एक साथ लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा होगा.
उन्होंने कहा था, ‘देश में मजबूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है. मैं इस दिशा में पूर्व जनता दल के साथ-साथ अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा हूं. इसलिए, मैंने अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय करने का फैसला किया है.’
देश में मजबूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है।मैं इस दिशा में न केवल बिखरी हुई तत्कालीन जनता दल बल्कि अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा हूं और इसीलिए अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय करने का फैसला किया।
— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) March 16, 2022
तेजस्वी ने शरद को ‘पिता-तुल्य और समाजवादी आइकन’ के रूप में वर्णित किया है. उन्होंने हाल ही में कहा था, ‘हर कोई भारतीय राजनीति में अनुभवी समाजवादी शरद यादव के महत्व को जानता है. वह पिता तुल्य हैं और हमारा मार्गदर्शन करेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)