वाईएसआर सरकार ने पिछली चंद्रबाबू सरकार द्वारा पेगासस स्पायवेयर की कथित खरीद और अवैध उपयोग की जांच के लिए एक समिति गठित करने का फ़ैसला किया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा चंद्रबाबू नायडू के पेगासस खरीदने के दावे के बाद से इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है.
अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछली चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा पेगासस स्पायवेयर की कथित खरीद और अवैध उपयोग की जांच के लिए सोमवार को सदन की एक समिति गठित करने का फैसला किया है.
विधान परिषद और विधानसभा ने इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त चर्चा में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने आरोप लगाया गया कि पिछली तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सरकार ने निजी व्यक्तियों की टेलीफोन पर बातचीत को टैप (रिकॉर्ड) करने के लिए स्पायवेयर खरीदा था.
वहीं, तेदेपा ने कहा है कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार है, चाहे वह सदन की समिति हो, न्यायिक जांच हो या सीबीआई जांच.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा स्पायवेयर को लेकर आरोप लगाए जाने के बाद हंगामा शुरू हो गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, विधानसभा में बनर्जी के खुलासे का हवाला देते हुए आंध्र प्रदेश के मंत्रियों और वाईएसआरसीपी विधायकों ने पिछली तेदेपा सरकार द्वारा कथित तौर पर स्पायवेयर के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई.
मंत्री बुगना राजेंद्रनाथ और आदिमुलापु सुरेश ने कहा कि इस मुद्दे की व्यापक जांच की जरूरत है क्योंकि स्पायवेयर का इस्तेमाल लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरा है.
राजेंद्रनाथ ने आरोप लगाया कि तत्कालीन इंटेलिजेंस प्रमुख एबी वेंकटेश्वर राव ने केवल स्पायवेयर खरीदने के लिए इज़राइल का दौरा किया था.
उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस प्रमुख ने तत्कालीन डीजीपी से माओवादियों और अन्य चरमपंथियों की गतिविधियों की निगरानी के लिए उन्नत तकनीक हासिल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था.
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया और निविदाएं आमंत्रित कीं. उनका दावा है कि चार फर्मों ने शुरुआती बोलियां लगाई थीं, लेकिन एक को छोड़कर बाकी पीछे हट गईं. फिर इस सफल बोलीदाता ने अपने भारतीय फ्रैंचाइज़ी के तौर पर एबी वेंकटेश्वर राव के बेटे की फर्म को चुना।
मंत्री ने कहा, ‘दिलचस्प बात यह है कि वेंकटेश्वर राव के बेटे चेतन ने टेंडर जारी होने से एक महीने पहले ही फर्म शुरू की थी.’
उधर, तेदेपा एमएलसी और महासचिव नारा लोकेश ने इन आरोपों का खंडन किया है. उन्होंने कहा, ‘इजरायली फार्म ने स्पष्ट कहा है कि वह अपना स्पायवेयर केवल सरकारों को बेचती है किसी निजी एजेंसी को नहीं। हम सरकार को चुनौती देते हैं कि संबंधित दस्तावेजों को सामने लाकर वह इन आरोपों को साबित करे. तेदेपा किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है, यह सदन की समिति द्वारा हो, न्यायिक समिति द्वारा या फिर सीबीआई द्वारा।
लोकेश यह भी कहा, ‘ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहा या नहीं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है. मेरे एक बंगाली मित्र ने कहा कि उन्होंने जो बांग्ला में कहा, उसमें पेगासस शब्द का भी उल्लेख नहीं था. फिर भी, वाईएसआरसी के कार्यकर्ता इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि हालांकि इसे परिषद के कामकाज के एजेंडा में सूचीबद्ध नहीं किया गया था फिर भी सरकार ने पेगासस पर चर्चा की. पूर्व पुलिस महानिदेशक डीजी सवांग ने खुद स्पष्ट किया था कि सरकार द्वारा कभी ऐसा कोई सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा गया था. यहां तक कि इजरायल के राजदूत ने भी कहा कि सॉफ्टवेयर व्यक्तियों या निजी फर्मों को नहीं बेचा गया था जैसा कि वाईएसआरसी द्वारा आरोप लगाया जा रहा था.
लोकेश ने कहा, ‘हम किसी भी जांच के लिए तैयार हैं.’
दूसरी ओर, पुलिस महानिदेशक स्तर के आईपीएस अधिकारी एबी वेंकटेश्वर राव, जिनके खिलाफ जगन सरकार ने पेगासस को लेकर आरोप लगाए थे, ने कहा कि ऐसी कोई खरीद कभी नहीं की गई थी.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘जब तक मैं इंटेलिजेंस प्रमुख (अप्रैल 2019 तक) था, पेगासस या ऐसा कोई स्पायवेयर नहीं खरीदा गया था. वह अंतिम है. आपको वर्तमान सरकार से पूछना होगा कि क्या मई 2019 के बाद कुछ खरीदा गया था.’
मालूम हो कि हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि उनकी सरकार को 25 करोड़ रुपये में एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पेगासस खरीदा था.
गौरतलब है कि इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का पेगासस एक अत्याधुनिक स्पायवेयर है, जो फोन को अपने नियंत्रण में ले लेता है. एक बार इंस्टॉल करने पर पेगासस डिवाइस के कैमरे, उसके मैसेज और फोन में स्टोर अन्य सभी डेटा को अपने नियंत्रण में ले लेता है.
मालूम हो कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल था, ने 2021 में पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये दुनियाभर में नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई 2021 से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
इस एक पड़ताल के मुताबिक, इजरायल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.
यह खुलासा सामने आने के बाद देश और दुनियाभर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था.
बता दें कि एनएसओ ग्रुप मिलिट्री ग्रेड के इस स्पायवेयर को सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)