पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी के माता-पिता तालिबान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत पहुंचे

अफ़ग़ानिस्तान के स्पिन बोल्डक में जान गंवाने वाले पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी के माता-पिता ने तालिबान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के समक्ष दर्ज कराई शिकायत में तालिबान के छह नेताओं के नामों का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि उनके बेटे की हत्या की जांच की जानी चाहिए.

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कोलकाता में फोटोग्राफरों द्वारा दानिश को श्रद्धांजलि देने के लिए हुआ एक कार्यक्रम. (फाइल फोटो: पीटीआई)

अफ़ग़ानिस्तान के स्पिन बोल्डक में जान गंवाने वाले पत्रकार दानिश सिद्दीक़ी के माता-पिता ने तालिबान के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के समक्ष दर्ज कराई शिकायत में तालिबान के छह नेताओं के नामों का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि उनके बेटे की हत्या की जांच की जानी चाहिए.

कोलकाता में फोटोग्राफरों द्वारा दानिश को श्रद्धांजलि देने के लिए हुआ एक कार्यक्रम. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी के माता-पिता- अख्तर सिद्दीकी और शाहिदा अख्तर ने तालिबान के खिलाफ एक शिकायत अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के समक्ष दर्ज कराई है.

शिकायत में तालिबान के छह नेताओं के नामों का भी जिक्र है और कहा गया है कि अफगानिस्तान के स्पिन बोल्डक में हुई उनके बेटे की हत्या की जांच की जानी चाहिए.

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि दानिश की हत्या ‘युद्ध अपराध’ और ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ दोनों ही है. परिवार की ओर से मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिवक्ता अवि सिंह पेश हुए.

उन्होंने स्पष्ट किया कि मानवता के खिलाफ अपराध संबंधी आरोप तालिबान के उस लंबे इतिहास को देखते हुए महत्वपूर्ण हैं, जिसमें सिर्फ पत्रकार ही नहीं आम नागरिकों को भी निशाना बनाया गया है.

बीते वर्ष 16 जुलाई को दानिश रॉयटर्स के लिए अफगान बलों के साथ संघर्ष का कवरेज कर रहे थे, उसी दौरान वे घायल हो गए थे. उन्हें इलाज के लिए एक मस्जिद ले जाया गया, जहां ‘गफलत के चलते’ वे पीछे छूट गए. बाद में कथित तौर पर तालिबान द्वारा उन्हें पकड़ लिया गया और प्रताड़ना देकर मार दिया गया.

सिंह ने पत्रकारों को बताया, ‘दानिश के पास उनकी स्पष्ट पहचान बताने वाली चीजें थीं, जैसे उनका प्रेस कार्ड, पासपोर्ट. उनकी पहचान एक लड़ाके के रूप में नहीं की जा सकती थी… ‘

उन्होंने आगे बताया कि उनके पास प्रमाण हैं कि दानिश को अवैध तौर पर पकड़कर तालिबान द्वारा प्रताड़नाएं दी गई थीं. उनकी बुलेटप्रूफ जैकेट तक सही-सलामत थी, जब वह उनके परिवार को लौटाई गई.

सिंह ने कहा, ‘हमने सिर्फ तालिबान के स्थानीय कमांडरों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व के खिलाफ भी जांच की मांग की है.’

सिंह ने आगे कहा कि इस तरह आम नागरिकों और पत्रकारों को निशाना बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और जो इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

अपनी शिकायत में सिद्दीकी के परिजनों ने लिखा है कि दानिश के साथ घटी घटना कोई एकमात्र घटना नहीं थी. लैहा के रूप में प्रकाशित तालिबान की सैन्य आचार संहिता में पत्रकारों समेत आम नागरिकों पर हमला करने की नीति शामिल है.

उन्होंने लिखा है कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने तालिबान के हाथों 70,000 से अधिक आम नागरिकों के हताहत होने का दस्तावेजीकरण किया है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में दानिश के भाई ओमर सिद्दीकी ने कहा, ‘ये महीने हमारे परिवार के लिए बेहद कष्टदायक रहे हैं. हम जानते हैं कि यह एक लंबा रास्ता है, लेकिन हमें लगता है कि यह हमारा दायित्व है कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए. परिवार के लिए यह जानना जरूरी है कि हमने वह सब किया जो हम न्याय के लिए कर सकते थे, साथ ही पत्रकार जिन खतरों का सामना कर रहे हैं, उस पर भी प्रकाश डाला है.’

सिंह ने कहा कि परिवार भारत सरकार से सिद्दीकी की हत्या की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच का समर्थन करने के लिए कहेगा.