केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने सेंसोडाइन के ‘दुनियाभर में दंत चिकित्सकों द्वारा रेकमेंडेड’ और ‘दुनिया का नंबर एक सेंसेटिविटी टूथपेस्ट’ का दावा करने वाले विज्ञापन को सात दिन के अंदर हटाने के लिए कहा है.
नई दिल्लीः केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने कुछ भ्रामक विज्ञापनों के लिए ‘सेंसोडाइन’ टूथपेस्ट पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीसीपीए ने साथ ही कंपनी को सात दिन के भीतर भ्रामक विज्ञापनों को हटाने का भी निर्देश दिया है.
मंगलवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में सेंसोडाइन के ‘दुनियाभर में दंत चिकित्सकों द्वारा रेकमेंडेड’ और ‘दुनिया का नंबर एक सेंसेटिविटी टूथपेस्ट’ का दावा करने वाले विज्ञापन को सात दिन के अंदर हटाने के लिए कहा है. इसके साथ ही 10 लाख का जुर्माना लगाने का भी निर्देश दिया है.
विदेशी दंत चिकित्सकों द्वारा समर्थन दिखाने वाले विज्ञापनों को सीसीपीए द्वारा पूर्व में पारित आदेश के अनुसार बंद करने का आदेश दिया गया है.
बता दें कि निधि खरे की अध्यक्षता वाले सीसीपीए ने हाल में सेंसोडाइन उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ आदेश पारित किया था.
इस विज्ञापन में टूथपेस्ट के ‘दुनियाभर में दंत चिकित्सकों द्वारा रेकमेंडेड’ और ‘दुनिया का नंबर एक सेंसेटिविटी टूथपेस्ट’ होने का दावा किया गया था.
इससे पहले नौ फरवरी 2022 को सीसीपीए ने एक आदेश पारित कर सेंसोडाइन के उस उत्पाद के विज्ञापन को बंद करने का निर्देश दिया था, जिसमें देश के बाहर के एक दंत चिकित्सक इस टूथपेस्ट को अपनाने की सलाह दे रहे हैं.
सीसीपीए ने टेलीविज़न, यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर समेत विभिन्न मंचों पर सेंसोडाइन उत्पादों के विज्ञापन के खिलाफ स्वत: कार्रवाई शुरू की थी.
इन विज्ञापनों में भारत के बाहर (ब्रिटेन) प्रैक्टिस कर रहे चिकित्सक सेंसेटिविटी से दांतों को बचाने के लिए ‘सेंसोडाइन रैपिड रिलीफ’ और ‘सेंसोडाइन फ्रेश जेल’ नाम से सेंसोडाइन के उत्पादों के इस्तेमाल की सलाह देते नजर आ रहे हैं.
बयान के मुताबिक, ‘इन विज्ञापनों में दावा किया गया है कि दुनियाभर के दंत चिकित्सक सेंसोडाइन का समर्थन करते हैं और यह दुनिया का नंबर एक सेंसिटिविटी टूथपेस्ट है और यह चिकित्सकीय रूप से सिद्ध हो चुका है और 60 सेकेंड के भीतर काम करना शुरू कर देता है.’
कंपनी की ओर से इस पर दी गई प्रतिक्रिया की जांच के बाद सीसीपीए को पता चला कि कंपनी द्वारा अपने विज्ञापनों में किए गए दावों के समर्थन में पेश किए गए बाजार के दो सर्वेक्षण भारत में सिर्फ दंत चिकित्सकों के साथ किए गए हैं.
मंत्रालय ने कहा, ‘कंपनी द्वारा विज्ञापनों में किए गए अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए कंपनी ने कोई अध्ययन या सामग्री पेश नहीं की या फिर दुनियाभर में सेंसोडाइन उत्पादों की प्रमुखता का कोई संकेत नहीं दिया. इस तरह यह दावे बिना किसी औचित्य के पाए गए.’
इन उत्पादों के क्लिनिकली सिद्ध होने या 60 सेकेंड में काम करना शुरू करने के दावों के संबंध में सीसीपीए ने भारत के औषधि महानियंत्रक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को पत्र लिखकर कंपनी के दावों की सत्यता पर अपनी राय रखने को कहा.
सीडीएससीओ ने असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर, लाइसेंसिंग अथॉरिटी, सिल्वासा से कंपनी के इन दावों की जांच करने के निर्देश दिए क्योंकि कंपनी के ये उत्पाद स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी (सिल्वासा) द्वारा जारी किए गए कॉस्मेटिक लाइसेंस के अधीन हैं.
असिस्टिंग ड्रग कंट्रोलर ने सीसीपीए को पत्र लिखकर कहा कि कंपनी द्वारा किए गए दावों की जांच की जा रही है और यह इस प्रक्रिया होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)