केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि पेड़ों की कटाई की अनुमति विभिन्न क़ानूनों, नियमों और अदालती आदेश के मुताबिक़ दी जाती है. पूरे देश में 2020-21 में 30,97,721 पेड़ों की कटाई के प्रस्ताव को वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत मंज़ूरी दी गई.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि पूरे देश में आधारभूत अवसंरचना के विकास एवं निर्माण कार्यों के लिए साल 2020-21 में करीब 31 लाख पेड़ काटे गए, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में एक भी पेड़ नहीं काटा गया.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि वन संरक्षण कानून के तहत मिली अनुमति के साथ 2020-21 में 30,97,721 पेड़ काटे गए और इसके एवज में पौधारोपण पर 359 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
मंत्री के अनुसार, पेड़ों की कटाई के लिए संबंधित राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से पेड़ों की कटाई की अनुमति विभिन्न कानूनों, नियमों और अदालती आदेश के मुताबिक दी जाती है. बहरहाल, 2020-21 में 30,97,721 पेड़ों की कटाई के प्रस्ताव को मंजूरी वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत दी गई.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत डायवर्जन प्रस्तावों को मंजूरी एक सतत प्रक्रिया है और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गैर-वानिकी उपयोग के लिए अनुमत वन क्षेत्रों के बदले प्रतिपूरक वनरोपण करना आवश्यक है.
मंत्री ने सदन को बताया कि 30.97 लाख पेड़ काटे गए और उसके एवज में वनीकरण के हिस्से के रूप में 3.6 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे, जिसके लिए सरकार द्वारा 358.87 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
मंत्री ने कहा कि 2020-21 के दौरान दिल्ली में विकास परियोजनाओं के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा गया, लेकिन वनीकरण योजना के तहत 53,000 से अधिक पौधे लगाए गए, जिसके लिए 97 लाख रुपये खर्च किए गए.
मंत्री द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश (16,40,532) में सबसे अधिक पेड़ काटे गए, इसके बाद उत्तर प्रदेश (3,11,998) और ओडिशा में (2,23,375) पेड़ काटे गए.
हालांकि, वनरोपण के लिए सबसे अधिक राशि गुजरात (52 करोड़ रुपये), उत्तराखंड (48.2 करोड़ रुपये) और हरियाणा (45 करोड़ रुपये) ने खर्च की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)