मानवीय संकट को लेकर यूक्रेन द्वारा यूएन महासभा में लाए प्रस्ताव पर भारत अनुपस्थित रहा

युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पन्न मानवीय संकट की स्थिति को लेकर यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में अनुपस्थित रहा. यूक्रेन में रूसी आक्रमण पर भारत इससे पहले सुरक्षा परिषद में दो मौकों और महासभा में एक बार प्रस्तावों पर मतदान के समय अनुपस्थित रहा था.

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न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय. (फोटो: रॉयटर्स)

युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पन्न मानवीय संकट की स्थिति को लेकर यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में अनुपस्थित रहा. यूक्रेन में रूसी आक्रमण पर भारत इससे पहले सुरक्षा परिषद में दो मौकों और महासभा में एक बार प्रस्तावों पर मतदान के समय अनुपस्थित रहा था.

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय. (फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र: युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पन्न मानवीय संकट की स्थिति को लेकर पूर्वी यूरोपीय देश (यूक्रेन) और उसके सहयोगी देशों द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर भारत बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अनुपस्थित रहा.

संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने यूक्रेन पर अपना 11वां आपातकालीन विशेष सत्र फिर से शुरू किया और यूक्रेन तथा उसके सहयोगी पश्चिमी देशों ने ‘यूक्रेन पर आक्रमण के मानवीय परिणाम’ के मसौदा प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को मतदान किया.

इस प्रस्ताव को 140 मतों के साथ मंजूर किया गया. वहीं, 38 देश अनुपस्थित रहे और पांच सदस्य देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया.

बुधवार को भी भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 12 अन्य सदस्यों के साथ यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा एक प्रस्ताव लाए जाने पर अनुपस्थित रहा था. यूएनएससी प्रस्ताव पारित करने में विफल रहा, क्योंकि उसे इसके लिए आवश्यक नौ मत नहीं मिल सके. यूएनएससी के प्रस्ताव के पक्ष में केवल रूस और चीन ने वोट किया था.

बता दें कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना करने वाले कई प्रस्तावों पर मतदान से परहेज किया है.

यूक्रेन में रूसी आक्रमण पर भारत इससे पहले, सुरक्षा परिषद में दो मौकों पर और महासभा में एक बार प्रस्तावों पर मतदान से अनुपस्थित रहा था.

इससे पहले बीते 16 मार्च को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने रूस को आदेश दिया था कि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध रोके और कीव के आग्रह को मंजूरी दी थी.

अदालत के आदेश का 13 न्यायाधीशों ने समर्थन किया था, जबकि दो ने इसके खिलाफ मतदान किया था. आदेश के खिलाफ मतदान करने वालों में रूस से उपाध्यक्ष किरिल जेवोर्गियन और चीन से न्यायाधीश शीउ हांगिन शामिल थे. भारत से न्यायाधीश दलवीर भंडारी ने रूस के खिलाफ मतदान किया था.

इसके अगले दिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में न्यायाधीश निजी तौर पर वोट देते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)