बीरभूम हिंसा: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के दिए आदेश

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल से मामले के काग़ज़ात और गिरफ़्तार लोगों को सीबीआई के सुपुर्द करने को कहा. बीरभूम ज़िले के बोगतुई गांव में 22 मार्च को पंचायत स्तर के टीएमसी नेता की कथित हत्या के कुछ घंटों के बाद क़रीब एक दर्जन मकानों में आग लगने से दो बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी.

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कलकत्ता हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/Kolkata Calling)

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल से मामले के काग़ज़ात और गिरफ़्तार लोगों को सीबीआई के सुपुर्द करने को कहा. बीरभूम ज़िले के बोगतुई गांव में 22 मार्च को पंचायत स्तर के टीएमसी नेता की कथित हत्या के कुछ घंटों के बाद क़रीब एक दर्जन मकानों में आग लगने से दो बच्चों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी.

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट में टीएमसी नेता की कथित हत्या के बाद कई घर जला दिए गए. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता/रामपुरहाट: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीरभूम हिंसा मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का शुक्रवार को आदेश दिया.

अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से मामले के कागजात और गिरफ्तार लोगों को सीबीआई के सुपुर्द करने को कहा.

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस आर. भारद्वाज की खंडपीठ ने सीबीआई को मामले में सात अप्रैल तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की आगे की सुनवाई सात अप्रैल को ही की जाएगी.

पीठ ने कहा कि न्याय के हित में सीबीआई जांच के आदेश दिए जा रहे हैं.

गौरतलब है कि बीरभूम जिले के रामपुरहाट कस्बे के पास बोगतुई गांव में 22 मार्च को तड़के कुछ मकानों में कथित तौर पर आग लगा देने से दो बच्चों सहित आठ लोगों की  झुलसकर मौत हो गई थी. माना जा रहा है कि यह घटना सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पंचायत अधिकारी की हत्या के प्रतिशोध स्वरूप हुई थी.

पीठ ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और बीते 23 मार्च को घटना की फॉरेंसिक जांच के लिए दिल्ली सीएफएसएल को घटनास्थल से आवश्यक नमूने इकट्ठा करने का आदेश दिया था. साथ ही पूर्वी बर्धमान के जिला जज की उपस्थिति में घटनास्थल पर सीसीटीवी लगाने और अगले आदेश तक रिकॉर्डिंग जारी रखने का निर्देश दिया था.

इस घटना की सीबीआई या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा जांच कराने की मांग वाली जनहित याचिकाओं पर भी अदालत ने स्वत: संज्ञान याचिका के साथ सुनवाई की.

हिंसा के सिलसिले में अब तक कम से कम 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. रामपुरहाट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सौविक डे ने घटना को ‘भयानक, भयावह और बर्बर’ बताते हुए 10 आरोपियों को रिमांड पर लेते हुए बाकी को 14 दिनों की पुलिस हिरासत भेज दिया था.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने अदालत के फैसले पर कहा, ‘हम भारतीय जनता पार्टी नहीं हैं, इसलिए हम अदालत के आदेश पर टिप्पणी नहीं करेंगे. हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि जनता की धारणा है कि केंद्रीय एजेंसी एक विशेष राजनीतिक दल द्वारा चलाई जा रही है. सीबीआई ने अभी तक कई मामलों को नहीं सुलझाया है, जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर के नोबेल पुरस्कार की चोरी भी शामिल है.’

पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता को गिरफ्तार किया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सख्त रुख अख्तियार करने और अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सहयोगियों सहित बीरभूम हत्याकांड के सभी संदिग्धों को पकड़ने का आदेश देने के कुछ घंटे बाद पुलिस ने बृहस्पतिवार को तीर्थनगरी तारापीठ स्थित एक होटल के पास से तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता अनारुल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया.

इससे पहले बृहस्पतिवार दिन में बनर्जी ने बोगतुई गांव का दौरा किया जहां आठ लोगों को कथित तौर पर जिंदा जलाकर मार दिया गया था. बनर्जी ने पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के साथ बात की और उन्हें मुआवजे के रूप में स्थायी सरकारी नौकरी और धनराशि की भी पेशकश की.

बनर्जी टीएमसी नेता भादु शेख के घर भी गईं, जिनकी हत्या के बारे में संदेह है, उसी के बाद यह घटना हुई. बनर्जी ने शेख के परिजनों को भी यही प्रस्ताव दिये.

बनर्जी ने कहा, ‘पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि रामपुरहाट हिंसा मामले के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. अदालत के समक्ष एक कड़ा मामला दायर किया जाएगा.’

बनर्जी ने कहा कि इस हत्याकांड के पीछे एक ‘बड़ी साजिश’ हो सकती है.

उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये और क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए दो-दो लाख रुपये के मुआवजे की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि घायलों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे.

मुख्यमंत्री बनर्जी ने पुलिस को टीएमसी नेता और रामपुरहाट-1 सामुदायिक ब्लॉक इकाई के अध्यक्ष अनारुल हुसैन को यह कहते हुए गिरफ्तार करने का निर्देश दिया कि उन्होंने इलाके में संभावित अशांति के बारे में स्थानीय लोगों की आशंका पर उचित ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद यह घटना हुई.

बनर्जी के निर्देश के बाद बृहस्पतिवार शाम बोगतुई गांव में सुरक्षा बढ़ा दी गई.

जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बोगतुई गांव में 50 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और ग्रामीणों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं.

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमलों और जवाबी हमलों के बाद पांच परिवारों के लगभग 69 लोग पड़ोसी गांवों में चले गए हैं.

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक तथ्यान्वेषी समिति और लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगतुई गांव का दौरा किया. इन्हें पहले जाने से रोका गया था.

भाजपा की समिति में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृज लाल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह और बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार शामिल थे. समिति ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पंचायत पदाधिकारी की हत्या के बाद हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया.

गांव का दौरा करने के बाद मजूमदार ने संवाददाताओं को बताया, ‘हम सामूहिक हत्या के बाद हालात का जायजा लेने के लिए यहां आए हैं. इस (टीएमसी) सरकार ने शासन करने का अपना नैतिक अधिकार खो दिया है. बोगतुई में जो हुआ वह मानवता के लिए शर्म की बात है.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘मुख्यमंत्री दावा कर रही थीं कि सभी दोषियों को दंडित किया जाएगा. दूसरी ओर पुलिस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)