कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ की हिरासत अवधि 50 दिनों के लिए बढ़ाई गई

एनआईए की एक विशेष अदालत ने जांच अवधि की सीमा बढ़ाए जाने संबंधी एनआईए के एक आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है, इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. एनआईए ने बीते साल 22 नवंबर को टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में ख़ुर्रम परवेज़ और दो अन्य को गिरफ़्तार किया था.

खुर्रम परवेज़ (फोटो साभारः ट्विटर)

एनआईए की एक विशेष अदालत ने जांच अवधि की सीमा बढ़ाए जाने संबंधी एनआईए के एक आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है, इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. एनआईए ने बीते साल 22 नवंबर को टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में ख़ुर्रम परवेज़ और दो अन्य को गिरफ़्तार किया था.

ख़ुर्रम परवेज़ (फोटो साभारः ट्विटर)

नई दिल्ली: एनआईए की एक अदालत ने बृ​हस्पतिवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज संबंधित मामले की जांच अवधि को बढ़ा दिया है. खुर्रम परवेज और दो अन्य को कश्मीर में टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था.

बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने परवेज के कार्यालय पर छापेमारी के बाद बीते साल 22 नवंबर को उन्हें यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था. जिसको लेकर संयुक्त राष्ट्र समेत कई वैश्विक संगठनों ने आपत्ति जताई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, विशेष एनआईए जज प्रवीण सिंह ने बृ​हस्पतिवार को एजेंसी के आवेदन को अनुमति देते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि क्योंकि जांच अभी जारी है, इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.’

एनआईए के अनुसार, जांच से पता चला है कि एनआईए के कुछ आधिकारिक खुफिया दस्तावेज आरोपी आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय सिंह नेगी द्वारा आरोपी मुनीर अहमद कटारिया के साथ एनक्रिप्टेड संचार माध्यमों के जरिये साझा किए गए थे. जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि आरोपी मुनीर, खुर्रम और अर्शीद अहमद टोंक के अलावा आरोपी अरविंद दिग्विजय सिंह नेगी को भी पुलिस हिरासत में लिया गया था.

हिरासत में इन आरोपियों से लगातार पूछताछ की गई.

रिपोर्ट के अनुसार, जब्त की गई कुल 71 सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाले सीईआरटी-इन (CERT-In : इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम) और 21 डिजिटल गैजेट त्रिवेंद्र स्थित सी-डैक (C-DAC – सेंटर फॉर डेवलवमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग) को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था. अभी सीईआरटी-इन से 48 डिजिटल उपकरणों के विश्लेषण की रिपोर्ट मिलनी बाकी है.

अदालत ने कहा, ‘इन सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते और रिपोर्ट में दर्ज तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, जिनमें से कई का खुलासा नहीं किया जा सकता है, मुझे लगता है कि यह एक उपयुक्त मामला है, जहां मांग के मुताबिक जांच की अवधि को और बढ़ाया जाना चाहिए.’

साथ ही अदालत ने आरोपी मुनीर अहमद कटारिया, अर्शीद अहमद टोंक और खुर्रम परवेज की हिरासत जांच के उद्देश्य से 50 दिनों के लिए और बढ़ा दी.

एनआईए ने अदालत को बताया था कि सह-आरोपी मुनीर अहमद, अर्शीद अहमद टोंक और जफर, भारत के विभिन्न राज्यों में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के जुड़े लोगों का और उनकी भर्ती करने का एक नेटवर्क चला रहे हैं.

आरोपियों के वकीलों ने एनआईए की याचिका का विरोध किया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत आरोपी के अधिकारों का स्पष्ट हनन है और कहा कि जब (जांच अवधि में) पिछला विस्तार दिया गया था तो अदालत ने स्वयं कहा था कि 90 दिन का विस्तार नहीं दिया जा सकता है और अगर जांच एजेंसी अपनी जांच में तेजा लाती है तो जांच को पहले खत्म करना संभव हो सकता है.