हाल में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रचा और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य में सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं. इसके साथ ही भाजपा 1985 के बाद से उत्तर प्रदेश में सत्ता बरक़रार रखने वाली पहली पार्टी बन गई है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत पाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. वहीं केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
हाल में संपन्न हुए राज्य विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रचा और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राज्य में सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं. इसके साथ ही भाजपा 1985 के बाद से उत्तर प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने वाली पहली पार्टी बन गई है.
पिछली योगी सरकार में मंत्री रहे श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना, आशुतोष टंडन, सिद्धार्थ नाथ सिंह को चुनाव जीतने के बाद भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम केंद्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री योगी और उनके कैबिनेट मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह के साक्षी बने.
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi उत्तर प्रदेश में नवगठित भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में सम्मिलित हुए। pic.twitter.com/Jyp0zwxYNt
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) March 25, 2022
लखनऊ के शहीद पथ के निकट स्थित ‘भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम’ में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 49 वर्षीय योगी आदित्यनाथ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
गौरतलब है कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों अमित शाह और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास की उपस्थिति में बीते बृहस्पतिवार को लोकभवन में योगी को सर्वसम्मति से उत्तर प्रदेश विधायक दल का नेता चुना गया, जिसके बाद भाजपा ने योगी के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश किया.
ढाई दशक के अपने राजनीतिक सफर में गोरखपुर से पांच बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने 2017 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद 2022 के विधानसभा चुनावों में फिर से पार्टी को पूर्ण बहुमत से जीत दिलाने में सफल रहे हैं.
मार्च में संपन्न 403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को कुल 273 सीटों पर जीत मिली है.
विधायक दल के नेता के चुनाव में बतौर पर्यवेक्षक शामिल हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को लोक भवन (मुख्यमंत्री कार्यालय) में अपने संबोधन में कहा था,‘‘आज उत्तर प्रदेश विधानसभा का एक नया इतिहास लिखने का क्षण इसी सभागार के अंदर हो रहा है. पिछले 35 सालों से किसी भी एक पार्टी को दूसरी बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. भाजपा ऐसी पार्टी है जिसने दोनों बार दो तिहाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है.’’
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ से पहले 1985 में नारायण दत्त तिवारी ने लगातार दूसरी बार शपथ ली थी. तब तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और पूर्ण बहुमत मिलने पर उन्होंने (तिवारी ने) दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद किसी भी राजनीतिक दल को विधानसभा चुनाव में लगातार दोबारा पूर्ण बहुमत नहीं मिला.
योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्री
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मोदी के सबसे भरोसेमंद लोगों में से एक के रूप में उभरने के 20 साल बाद अरविंद कुमार शर्मा ने पिछले साल आईएएस से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और भाजपा एमएलसी बन गए थे. शुक्रवार को 59 वर्षीय शर्मा ने योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली.
अरविंद कुमार शर्मा के अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम कुमार अरुण को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है. असीम ने कन्नौज सदर सीट से विधानसभा चुनाव जीता है.
बीते जनवरी महीने में असीम कुमार ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की घोषणा कर सबको चौंका दिया था. बाद में भाजपा में शामिल होकर उन्होंने चुनाव लड़ा.
असीम के पिता श्रीराम अरुण उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक थे.
अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा करते समय असीम कुमार अरुण कानपुर के पुलिस कमिश्नर थे. इससे पहले वह आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख के रूप में भी तैनात रहे हैं.
योगी कैबिनेट में शपथ लेने वाले एकमात्र मुस्लिम मंत्री बलिया निवासी 32 वर्षीय मोहम्मद दानिश आजाद अंसारी हैं. दानिश ने मोहसिन रजा की जगह ली है, जो योगी आदित्यनाथ की पिछली सरकार में मंत्री थे.
बीजेपी के माइनॉरिटी फ्रंट के प्रदेश महासचिव दानिश को योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में राज्य मंत्री बनाया गया है. इससे पहले वे राज्य उर्दू भाषा समिति के सदस्य का पद संभाल रहे थे.
दानिश ने 2009 में पोस्ट ग्रेजुएशन और 2012 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से मास्टर्स ऑफ टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट का कोर्स किया है. उन्होंने 2020 में ओपन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन भी किया है. दानिश छात्र राजनीति में भी सक्रिय थे और 2011 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए थे.
दो उप-मुख्यमंत्रियों के अलावा 16 कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण किया. कई भाजपा नेता जो पहले योगी मंत्रालय का हिस्सा थे, उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में दूसरा मौका मिला है.
हालांकि पार्टी ने उनके विभागों की घोषणा नहीं की है, सुरेश कुमार खन्ना (पहले योगी मंत्रालय में वित्त मंत्री), सूर्य प्रताप शाही (कृषि), चौधरी लक्ष्मी नारायण (पशुपालन), धर्म पाल सिंह (सिंचाई), नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ (नागरिक उड्डयन), भूपेंद्र सिंह चौधरी (पंचायत राज) और जितिन प्रसाद (तकनीकी शिक्षा) ने शुक्रवार को मंत्री पद की शपथ ली.
Lucknow | Arvind Kumar Sharma, Yogendra Upadhyaya, Ashish Patel and Sanjay Nishad take oath as Ministers in the Uttar Pradesh government. pic.twitter.com/6uiOy1dWHn
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 25, 2022
कैबिनेट मंत्रियों में सूर्य प्रताप शाही, सुरेश कुमार खन्ना, स्वतंत्र देव सिंह, बेबी रानी मौर्य, चौधरी लक्ष्मी नारायण, जयवीर सिंह, धर्मपाल सिंह, नंद गोपाल गुप्ता नंदी, भूपेंद्र सिंह चौधरी, अनिल राजभर, जितिन प्रसाद, राकेश सचान, अरविंद कुमार शर्मा, योगेंद्र उपाध्याय, आशीष पटेल, संजय निषाद शामिल हैं.
कैबिनेट में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा पाने वालों में नितिन अग्रवाल, कपिल देव अग्रवाल, रवींद्र जायसवाल, संदीप सिंह, गुलाब देबी, गिरीश चंद्र यादव, धर्मवीर प्रजापति और असीम अरुण शामिल हैं. इनमें जेपीए राठौर, दयाशंकर सिंह, नरेंद्र कश्यप, दिनेश प्रताप सिंह, अरुण कुमार सक्सेना, दयाशंक मिश्रा ‘दयालु’ भी शामिल हैं.
राज्य मंत्रियों में मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटीक, संजीव गोंड, बलदेव सिंह ओलख, अजीत पाल, जसवंत सैनी, रमेश निषाद, मनोहर लाल मन्नू कोरी, संजय गंगवार, बृजेश सिंह, केपी सिंह, सुरेश राही, सोमेंद्र तोमर, अनूप प्रधान वाल्मीकि, प्रतिभा शुक्ला, राकेश राठौड़ गुरु, रजनी शर्मा, सतीश शर्मा, दानिश आजाद अंसारी और विजय लक्ष्मी गौतम शामिल हैं.
योगी आदित्यनाथ का सफर
योगी के संन्यासी बनने से पहले के जीवन पर नजर डालें तो पांच जून 1972 को पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव के एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में उनका जन्म हुआ था.
योगी के पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट था. अपने माता-पिता के सात बच्चों में योगी शुरू से ही सबसे अलग थे. बचपन में उनका नाम अजय सिंह बिष्ट था. जानकार बताते हैं कि स्नातक की पढ़ाई करते हुए योगी 1990 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए और 1992 में उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक किया.
राम मंदिर आंदोलन के दौर में उनका रुझान आंदोलन की ओर हुआ और इसी बीच वह गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए 1993 में गोरखपुर आए. गोरखपुर में उन्हें महंत और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ का स्नेह मिला और 1994 में योगी पूर्ण रूप से संन्यासी बन गए.
योगी को महंत अवैद्यनाथ ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और दीक्षा लेने के बाद अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ नाम मिला.
महंत अवैद्यनाथ के 12 सितंबर 2014 को ब्रह्मलीन होने के बाद योगी गोरक्षपीठ के महंत घोषित किए गए. उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी नामक एक संगठन की स्थापना भी की थी.
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी के बैनर तले कई उम्मीदवार उतारे जिनमें गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल विजयी हुए थे. अग्रवाल लगातार चार बार निर्वाचित होते रहे और उसी सीट पर योगी पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गए हैं.
योगी का राजनीतिक सफर उपब्धियों से भरा है. राजनीति में योगी गोरक्षपीठ की तीसरी पीढ़ी हैं. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ भी गोरखपुर से विधायक और सांसद रहे.
इसके बाद महंत अवैद्यनाथ ने भी विधानसभा और लोकसभा दोनों में प्रतिनिधित्व किया. योगी गोरक्षपीठ की विरासत को आगे बढ़ाते हुए 1998 में महज 28 वर्ष की उम्र में पहली बार गोरखपुर से भाजपा के सांसद बने और लगातार पांच बार उनकी जीत का सिलसिला बना रहा.
मार्च 2017 में लखनऊ में भाजपा विधायक दल की बैठक में योगी को विधायक दल का नेता चुना गया. इसके बाद योगी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और विधान परिषद के सदस्य बने. फिर 19 मार्च 2017 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
योगी ने करीब ढाई दशक के अपने राजनीतिक जीवन में पहली बार गोरखपुर से ही विधानसभा का चुनाव लड़ा था और एक लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)