भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने एक रिपोर्ट में कहा कि वह भारत सरकार को संबोधित करने के लिए ‘केंद्र (Centre)’ के बजाय ‘भारत संघ (Union of India)’ कहना अधिक पसंद करेगी. हालांकि कार्मिक मंत्रालय ने इस पर असहमति जताई है.
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि वह नई दिल्ली की भारत सरकार को संबोधित करने के लिए ‘केंद्र’ (Centre) के बजाय ‘भारत संघ’ (Union of India) इस्तेमाल करना अधिक माकूल है. यही मत विपक्ष के नेताओं का भी है.
हालांकि, एक मंत्रालय इस सुझाव से खुश नहीं है. इस वाक्यांश पर विवाद रोजमर्रा की खबरों की सुर्खियां तब बना था जब लोकसभा में राष्ट्रपति के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत को ‘भारत संघ (Union of India)’ बोला था.
भाजपा ने गांधी को जवाब देते हुए कहा था कि भारत में ‘केंद्रीय’ सरकार है और राज्य केवल प्रशासनिक इकाइयां हैं.
तब कई लोगों ने इस ओर इशारा किया कि राहुल गांधी ने केवल केंद्र और राज्य के बीच संवाद और चर्चा के महत्व पर जोर देने के लिए भारतीय संविधान का हवाला दिया था, लेकिन भाजपा के अमित मालवीय और तेजस्वी सूर्या ने गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, जिसे सांसद निशिकांत दुबे ने गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाकर आगे बढ़ाया, जिसमें उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का भाषण ‘देश को विभाजित करने की साजिश’ है.
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ‘केंद्र’ को ‘भारत संघ’ के रूप में संदर्भित करती है. इस पर भी भाजपा की ओर से आपत्ति देखी गई है.
बहरहाल, डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने अब एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि ‘केंद्र सरकार’ शब्द का उपयोग करना वास्तव में ‘अनुचित’ है.
कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर गठित संसदीय स्थायी समिति ने गुरुवार 24 मार्च को संसद में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के लिए अनुदान मांगों पर अपनी रिपोर्ट पेश की.
समिति ने कहा कि ‘केंद्र सरकार’ शब्द को ‘भारत संघ’ से बदला जाना चाहिए और कार्यपालिका, विधायिका व न्याय पालिका के अधिकारियों को भी इस के तहत ‘भारत संघ के अधिकारी’ बुलाया जाना चाहिए.
हालांकि, कार्मिक मंत्रालय ने समिति को बताया कि इस तरह का सुझाव उसके अधिकारक्षेत्र से बाहर है.
जवाब को हल्के में न लेते हुए समिति ने कहा कि वह ‘अपने स्वयं के मत के साथ-साथ मंत्रालय के मत से’ भी अवगत थी और समिति की सिफारिश संविधान व समिति के मत की सीमाओं के भीतर है.
समिति ने आगे कहा कि वह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा दिए गए जवाब से असंतुष्ट थी. समिति ने लिखा कि वह ‘मंत्रालय के इस अपमानजनक और अविवेकपूर्ण जवाब से अंसुष्ट थी.’
डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक समिति ने कहा, ‘समिति मंत्रालय का ध्यान भारतीय संविधान के भाग पांच की ओर आकर्षित करना चाहती है. जिसका शीर्षक ‘द यूनियन’ है, जिसमें संघीय कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका शामिल हैं. यह स्पष्ट है कि हमारे संविधान के संस्थापकों ने इन तीन भागों को ‘संघ (Union)’ के घटक के रूप में माना है.’
समिति ने मंत्रालय से यह भी पूछा कि क्या संविधान के निर्माण के समय ‘केंद्र सरकार (Central Government) का इस्तेमाल होता था या फिर ‘संघीय सरकार (Union Government) का.’