किसानों की आय में गिरावट हो रही है, क्या कृषि विभाग मूकदर्शक बना हुआ है: संसदीय समिति

भाजपा सांसद पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कृषि और किसान कल्याण विभाग किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य से दूर है. समिति ने इस पर भी नाराज़गी जताई कि पिछले तीन वर्षों के दौरान विभाग द्वारा 67,929.10 करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ और उसे सरेंडर कर दिया गया.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

भाजपा सांसद पीसी गद्दीगौदर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कृषि और किसान कल्याण विभाग किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य से दूर है. समिति ने इस पर भी नाराज़गी जताई कि पिछले तीन वर्षों के दौरान विभाग द्वारा 67,929.10 करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ और उसे सरेंडर कर दिया गया.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने गुरुवार को कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है और इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि वर्ष 2015-16 से वर्ष 2018-19 के बीच झारखंड, मध्य प्रदेश, नगालैंड और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में किसानों की आय में गिरावट आई है.

समिति ने मंत्रालय को इन राज्यों में किसानों की आय में गिरावट के कारणों का पता लगाने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए एक विशेष टीम बनाने की सिफारिश की है.

कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसद की स्थायी समिति ने कृषि मंत्रालय के लिए ‘अनुदान मांग’ संबंधी अपनी रिपोर्ट गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में पेश की. समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद पीसी गद्दीगौदर हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह एक तथ्य है कि भारत सरकार के कई विभाग, संगठन और मंत्रालय इस देश के प्रत्येक किसान की आय को एक निश्चित समय सीमा के भीतर दोगुना करने के लिए जिम्मेदार हैं.’

हालांकि, पैनल ने यह भी कहा कि इस बात से कोई इनकार नहीं है कि किसानों की आय दोगुनी करने का प्रमुख कार्य कृषि और किसान कल्याण विभाग (मंत्रालय) के पास है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विभाग द्वारा दिए गए उत्तर से प्रतीत होता है कि विभाग किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य से दूर है, बल्कि कुछ राज्यों में वर्ष 2015-16 और वर्ष 2018-19 के बीच यानी चार वर्षों में यह कम हो गई है. जैसे कि झारखंड में 7,068 रुपये से घटकर 4,895 रुपये, मध्य प्रदेश में 9,740 रुपये से घटकर 8,339 रुपये, नागालैंड में 11,428 रुपये से घटकर 9,877 रुपये और ओडिशा में 5,274 रुपये से घटकर 5,112 रुपये रह गई है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, समिति ने कहा कि यह तब हुआ है जब देश की मासिक कृषि घरेलू आय 8,059 रुपये से बढ़कर 10,218 रुपये हो गई है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा किए गए स्थिति आकलन सर्वेक्षण को ध्यान में रखते हुए समिति ने कहा कि इस सवाल का जवाब अनुत्तरित है कि क्यों कुछ राज्यों में मासिक घरेलू आय 2015-16 और 2018-19 के बीच घट रही है, जबकि अन्य जगहों पर बढ़ रही है और क्या कृषि और किसान कल्याण विभाग मूकदर्शक बना हुआ है.

समिति ने इस बात बार भी नाराजगी जताई कि पिछले तीन वर्षों के दौरान कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा 67929.10 करोड़ रुपये का फंड का इस्तेमाल नहीं हुआ और उसे सरेंडर कर दिया गया.

समिति ने इस संबंध में विभाग से कहा है कि वह इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कारणों की पहचान करे.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में विभाग के जवाब के हवाले से उल्लेख किया है कि वर्ष 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में विभाग ने क्रमश: 34,517.70 करोड़, 23824.54 करोड़ और 9,586.86 करोड़ रुपये का फंड सरेंडर किया.

उसने आगे लिखा है, ‘इसका मतलब 67929.10 करोड़ रुपये इन सालों में विभाग द्वारा खर्च नहीं किए गए और सरेंडर कर दिए गए.’ समिति ने कहा कि फंड को सरेंडर करना सही बात नहीं है.

समिति ने इस पर असंतोष जाहिर करते हुए विभाग को कहा कि वह इसके पीछे के कारणों का पता लगाए और इस दिशा में उचित कदम उठाकर यह सुनिश्चित करे कि फंड का पूरी तरह, सही तरीके से और कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए.

समिति ने विभाग से कुछ राज्यों द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को लागू नहीं करने के कारणों पर भी ध्यान देने को कहा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)