मध्य प्रदेश के इंदौर में यह व्याख्यान होना था, जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ लेखक अशोक कुमार पांडेय और लेखक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम को शामिल होना था. शम्सुल इस्लाम ने कहा कि आयोजन नहीं करने दिया गया, क्योंकि सच और स्वतंत्र विचारों को एक ख़ास विचारधारा के लाभ के लिए वे रोकना चाहते हैं.
इंदौर: शनिवार 26 मार्च को मध्य प्रदेश के इंदौर में एक व्याख्यान का आयोजन होना था, जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के साथ-साथ लेखक अशोक कुमार पांडेय और लेखक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम को शामिल होना था, लेकिन स्थानीय प्रशासन के सरकारी आदेश का हवाला देकर आयोजन स्थल के मालिकों ने कथित तौर दबाव में आकर आयोजन रद्द कर दिया.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार पर प्रस्तावित एक व्याख्यान की मंजूरी रद्द कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को अंदेशा रहता है कि संविधान पर चर्चा से समाज में अशांति फैल सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर पूरा खतरा है.
स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बताया कि यह व्याख्यान ‘वॉयस ऑफ इंडिपेंडेंट इंडिया’ के शीर्षक से शनिवार सुबह शहर के जाल सभागृह में आयोजित होनी थी, लेकिन इस सभागृह का संचालन करने वाले टेक्सटाइल डेवलपमेंट ट्रस्ट ने आयोजकों को ऐन मौके पर पत्र भेजकर दो टूक कह दिया कि ‘शासकीय आदेशों के तहत’ अपरिहार्य कारणों से कार्यक्रम की बुकिंग निरस्त कर दी गई है.
शीर्ष अदालत के वकील एहतेशाम हाशमी और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी व्याख्यान के आयोजक थे. इसे दिग्विजय सिंह के अलावा लेखक व दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम, इतिहासकार अशोक कुमार पांडेय और अन्य लोग संबोधित करने वाले थे.
नई दुनिया की खबर के मुताबिक, इस व्याख्यान में वक्ता के रूप में सात लोग शामिल थे, लेकिन प्रशासन को शम्सुल इस्लाम के नाम पर आपत्ति थी. आयोजकों से पुलिस अधिकारियों ने उनका व्याख्यान हटाने के लिए कहा था.
कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता दिग्विजय सिंह ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, ‘व्याख्यान में हम देश का संविधान बचाने पर चर्चा करने वाले थे. यह कार्यक्रम प्रदेश सरकार ने इसलिए रद्द करा दिया, क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा को अंदेशा रहता है कि संविधान पर चर्चा करने से समाज में अशांति फैल सकती है.’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने व्याख्यान की मंजूरी रद्द किए जाने की पृष्ठभूमि में कहा कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर ‘पूरा खतरा’ है.
व्याख्यान के वक्ताओं में शामिल शम्सुल इस्लाम ने कहा, ‘इस कार्यक्रम में मेरा संबोधन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव सरीखे क्रांतिकारियों की शहादत पर केंद्रित रहने वाला था. इस कार्यक्रम की मंजूरी रद्द कर तीनों शहीदों का अपमान किया गया है.’
व्याख्यान के आयोजकों में शामिल वकील एहतेशाम हाशमी ने कहा कि इसकी मंजूरी रद्द किए जाने के खिलाफ वह जाल सभागृह के प्रबंधन, प्रशासन और पुलिस के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों से इस विषय में कई प्रयासों के बावजूद प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है. टेक्सटाइल डेवलपमेंट ट्रस्ट के सचिव एमसी रावत से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो दूसरी ओर से एक व्यक्ति ने जवाब दिया कि रावत एक बैठक में व्यस्त हैं.
व्याख्यान के आयोजक और मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमीनुल खान सूरी ने कहा है कि वे दबाव बनाकर कार्यक्रम रद्द करवाने के प्रशासनिक आदेश के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ेंगे. जल सभागार में आयोजित इस व्याख्यान के लिए सूरी ने ही वक्ताओं को निमंत्रण भेजे थे.
उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि आयोजन का मकसद समाज में सकारात्मक और समरसता लाना था.
सूरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘कार्यक्रम का उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ाना था, जिसमें दिग्विजय सिंह समेत कुछ प्रसिद्ध लेखक अपने विचार रखते. ट्रस्ट के अधिकारियों का दावा है कि रद्द करने का फैसला स्थानीय प्रशासन और पुलिस के इशारे पर लिया गया है.’
हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि मामले से उनका कुछ लेना-देना नहीं है.
जबकि, टेक्सटाइल डेवलपमेंट ट्रस्ट के सचिव एमसी रावत ने एनडीटीवी को बताया, ‘हमें प्रशासन द्वारा सूचित किया गया कि यहां आयोजन नहीं हो सकता है.’
एनडीटीवी के ही मुताबिक, कार्यक्रम रद्द होने के संबंध में पत्र प्राप्त होने पर आयोजकों ने आयोजन के लिए शुक्रवार को वापस अनुमति मांगी थी, जिस पर सभागार के मालिक ने जवाब दिया कि वह ‘अपरिहार्य कारणों’ के चलते आयोजन की अनुमति नहीं दे सकते हैं.
अनुमति देने से इनकार करने के पीछे के कारणों पर बात करते हुए रावत ने अपनी डेस्क को थपथपाते हुए कहा, ‘हमें सरकार ने इसकी अनुमति न देने के लिए कहा था. कल को अगर सरकार कहती है कि मुझे यह डेस्क उन्हें सौंपनी पड़ेगी, तो मुझे इसे देना ही होगा.’
वहीं, नई दुनिया के मुताबिक, शनिवार को प्रोफेसर इस्लाम ने एक पत्रकार वार्ता की और इंदौर व मध्य प्रदेश के अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि एक विचारधारा से प्रभावित होने के कारण उन्हें बोलने से रोका गया. अधिकारियों को वह पार्टी जॉइन कर लेनी चाहिए.
साथ ही, उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा से धार्मिक कट्टरता का विरोध करता रहा हूं, भले ही वह किसी भी पक्ष की हो. मेरे खिलाफ तो आज तक कोई मुकदमा भी दर्ज नहीं है. उसके बावजूद अधिकारियों ने आयोजन नहीं करने दिया, क्योंकि सच और स्वतंत्र विचारों को एक खास विचारधारा के लाभ के लिए वे रोकना चाहते हैं.’
दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे इस्लाम ने कई किताबें भी लिखी हैं. नई दुनिया के मुताबिक, उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सावरकर को निशाने पर लेते हुए भी किताबें लिखीं.
आयोजकों का मानना है कि इसी वजह से प्रदेश सरकार के दबाव में प्रशासन ने उनका व्याख्यान नहीं होने दिया.
बहरहाल इस्लाम ने एनडीटीवी से कहा कि वे धार्मिक सद्भाव और समरसता की जरूरत के बारे में बात करते हुए देश भर में घूम रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ लोग हिंदू और मुसलमान के बीच दीवार खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं भगवान कृष्ण के बारे में मौलाना हसरत मोहानी का गाना पढ़ना चाहता हूं. मैं इसे भोपाल में 20 जगहों पर पढ़ चुका हूं, लेकिन कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन वे मुझे रोकना चाहते हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)