राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भाजपा द्वारा मुकेश साहनी को मंत्री पद से हटाने के आग्रह के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन को इसकी सिफ़ारिश की थी. भाजपा का कहना था कि साहनी अब राजग गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए.
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कैबिनेट मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक प्रमुख मुकेश साहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव में साहनी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लाया गया था.
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भाजपा के एक ‘लिखित निवेदन’ के बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मत्स्य और पशुपालन मंत्री साहनी को मंत्रिमंडल से निष्कासित करने की सिफारिश की.
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने एक बयान में कहा, ‘भाजपा के प्रदेश प्रमुख ने साहनी से अपने तरीके को सुधारने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने एक अधिसूचना जारी की, जिसने ‘मछुआरा’ समुदाय को बहुत नाराज कर दिया था. इस फैसले के जरिये वह राजनीतिक लाभ उठाना चाहते थे.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बार-बार हमला करने के कारण बॉलीवुड के पूर्व सेट डिजाइनर साहनी से भाजपा काफी नाराज थी. साहनी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली.
खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहने वाले साहनी को पिछले सप्ताह तब बड़ा झटका लगा जब वीआईपी के तीनों विधायक पाला बदलते हुए भाजपा में शामिल हो गए. तब साहनी ने कहा था कि वे मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें तो उन्हें बर्खास्त कर सकते हैं.
उन्होंने कहा था, ‘मुझे अपने मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मुझे उनके द्वारा शामिल किया गया था और यह उनके द्वारा तय किया जाना चाहिए कि मुझे रहना चाहिए या छोड़ दिया जाना चाहिए. जब तक वह चाहेंगे, मैं लोगों के लिए काम करता रहूंगा.’
बता दें कि 2020 के बिहार चुनावों में भाजपा ने अपने राजग गठबंधन के कोटे से साहनी की पार्टी वीआईपी को 11 सीट दी थीं, जिनमें से 4 पर उसने जीत दर्ज की थी. बोचहां विधानसभा सीट के वीआईपी विधायक की मौत हो चुकी है. जल्द ही उस सीट पर उपचुनाव हैं.
पूर्व में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ रहते हुए साहनी ने 2020 विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद विपक्षी खेमा छोड़ दिया था. दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद साहनी की पार्टी राजग में शामिल हो गई.
बिहार में विधानसभा चुनाव में साहनी की पार्टी को चार सीटों पर सफलता मिली लेकिन वह खुद चुनाव हार गए, लेकिन साहनी को मंत्री बनाया गया और वह विधान परिषद के लिए चुने गए. वहीं, वीआईपी के एक विधायक के निधन के बाद खाली हुई बोचहां सीट पर उपचुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है.
हाल में, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने यह भी दावा किया था कि साहनी को 2020 के चुनावों के छह महीने के भीतर अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करने के लिए कहा गया था, लेकिन वीआईपी प्रमुख वादे से मुकर गए.
हालांकि, साहनी ने ऐसे किसी समझौते से इनकार किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने अपने आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप में इसकी पुष्टि करते हुए लिखा है, ‘भाजपा द्वारा मुकेश साहनी को मंत्री पद से हटाने के आग्रह के बाद मुख्यमंत्री ने राजभवन को इसकी सिफारिश की. मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में भाजपा ने लिखा कि चूंकि साहनी अब राजग गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए उन्हें मंत्री पद से हटाया जाना चाहिए.’
इससे पहले साहनी ने कहा था कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाला गठबंधन छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गछबंधन (राजग) में शामिल होने का उनका कदम एक गलती था.
साहनी को बर्खास्त करने से पहले रविवार को भाजपा प्रमुख जायसवाल ने आरोप लगाया था कि साहनी ने इस महीने की शुरुआत में एक आदेश के माध्यम से पंजीकृत सोसायटी ‘प्रखंड मत्स्यजीवी सहयोग समिति’ के संगठनात्मक ढांचे के साथ छेड़छाड़ करके मछुआरा समुदाय को बड़ा नुकसना पहुंचाया था.
जिस आदेश की बात हो रही है, वह मछुआरों के 13 सदस्यीय ब्लॉक स्तरीय निकाय के बजाय नौकरशाहों को अधिक शक्तियां प्रदान करता है.
नए आदेश में प्रखंड स्तरीय सहकारी समिति का चुनाव करने वाले मछुआरों को ऑनलाइन सदस्य बनाने की व्यवस्था का भी प्रावधान है लेकिन उसमें ‘मछुआरे’ कौन होंगे, यह पारिभाषित नहीं किया गया है.
भाजपा के मत्स्य प्रकोष्ठ के राज्य संयोजक ललन साहनी ने कहा, ‘साहनी से हमने यह बताने को कहा कि पंजीकृत मछुआरे कौन हैं. उन्हें स्पष्ट करना होगा कि सहकारी समिति के सदस्य कौन बन सकते हैं. सहकारिता विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है.
बहरहाल, साहनी का बिहार विधान परिषद सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो रहा है. भाजपा ने ही उन्हें अपने ही एक सदस्य द्वारा खाली की गई सीट से निर्वाचित होने में मदद की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)