सोमवार को पेट्रोल की कीमतों में 30 पैसे प्रति लीटर और डीज़ल की कीमत में 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. पिछले एक सप्ताह में कीमतों में छठी बार बढ़ोतरी की गई है. मूल्यवृद्धि को लेकर विपक्षी दल के सदस्यों ने कहा कि सरकार तर्क देती है कि तेल कंपनियां मूल्य बढ़ाती हैं और उसका हस्तक्षेप नहीं होता. अगर यह बात सही है तो यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय इनके दाम कैसे नहीं बढ़े.
नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमतों में एक बार फिर 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में सोमवार को 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. पिछले एक सप्ताह में छठी बार कीमत में बढ़ोतरी की गई है.
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की तरफ से जारी मूल्य संबंधी अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 99.11 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर अब 99.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.42 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 90.77 रुपये प्रति लीटर हो गई है.
पेट्रोल और डीजल के कीमतों में देश भर में वृद्धि की गई है, लेकिन इनके दाम स्थानीय कर के आधार पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न हैं.
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में उपभोक्ताओं को अन्य शहरों के मुकाबले ईंधन के लिए सबसे अधिक कीमत चुकानी होगी. यहां पेट्रोल की कीमत बढ़कर 114.19 रुपये प्रति लीटर हो गई, जबकि डीजल की कीमत 98.50 रुपये हो गई.
चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 105.18 रुपये है, जबकि डीजल की कीमत 95.33 रुपये है. वहीं, कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल बढ़कर 108.85 रुपये हो गया, जबकि डीजल 93.92 रुपये पर बिकेगा.
22 मार्च को ईंधन की कीमतों में संशोधन शुरू होने के बाद से पेट्रोल की कीमतों में कुल 4 रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि डीजल की कीमतों में 4.10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है.
पेट्रोल तथा डीजल की कीमतें रिकॉर्ड 137 दिन तक स्थिर रहने के बाद 22 मार्च को बढ़ाई गई थीं. इसके बाद से इनकी कीमतों में प्रति लीटर 80-80 पैसे की चार बार बढ़ोतरी की गई थी.
बीते 27 मार्च को पेट्रोल की कीमतों में 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 55 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. अब तक छह बार कीमतों में वृद्धि की गई है.
उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले चार नवंबर, 2021 से ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें स्थिर बनी हुई थीं. 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के साथ ही पेट्रोल एवं डीजल के दाम में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही थी.
‘क्रिसिल रिसर्च’ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में हुई वृद्धि से पूरी तरह से पार पाने के लिए दरों में 9 से 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की आवश्यकता है. भारत अपनी तेल की जरूरतें पूरी करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है.
विपक्षी सदस्यों ने मूल्यवृद्धि को वापस लेने, लोकसभा में चर्चा कराने की मांग की
देश में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ने के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सोमवार को लोकसभा में सरकार से इस विषय पर चर्चा कराने और इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की तथा मूल्यवृद्धि को तुरंत वापस लेने का भी आग्रह किया.
तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह बताने का आग्रह भी किया कि कीमतों में वृद्धि कब जाकर रुकेगी?
शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महंगाई से देश की जनता बेहाल है इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरे देश में ‘महंगाई मुक्त भारत अभियान’ चलाने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें हैं कि एक अप्रैल से 800 आवश्यक दवाएं भी महंगी हो जाएंगी.
चौधरी ने कहा कि महंगाई के पीछे सरकार ‘रूस-यूक्रेन संकट का झूठा हवाला’ दे रही है जबकि हमारे देश में रूस से केवल आधा प्रतिशत तेल आयात किया जाता है.
उन्होंने कहा कि सरकार को पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की हाल में बढ़ी कीमतों को वापस लेना चाहिए और इस सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करानी चाहिए.
द्रमुक नेता टीआर बालू ने कहा कि पिछले कुछ दिन में ही पेट्रोल और डीजल के दाम में लगभग चार रुपये प्रति लीटर से ज्यादा वृद्धि हुई है, जो सरकार की ओर से लिया गया गलत फैसला है.
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस में मूल्य वृद्धि पर पूरा सदन चिंतित है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे आशंका है कि देश में पेट्रोलियम पदार्थों पर मूल्य वृद्धि के मामले में भारत दुनिया में सबसे ऊपर पहुंच सकता है.’
तृणमूल नेता ने कहा कि सरकार तर्क देती है कि तेल कंपनियां मूल्य बढ़ाती हैं और उसका हस्तक्षेप नहीं होता. उन्होंने कहा कि अगर यह बात सही है तो उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय पेट्रोल और डीजल के दाम कैसे नहीं बढ़े.
उन्होंने कहा कि जनता को आशंका थी कि चुनाव परिणाम आते ही कुछ दिन में ये दाम बेतहाशा बढ़ेंगे और यह आशंका सच साबित हुई.
उन्होंने कहा कि इस विषय पर कम से कम एक बार सदन में चर्चा होनी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें किस सीमा तक बढ़ेंगी और कहां जाकर ठहरेंगी?
उन्होंने कहा कि सरकार को प्राथमिकता के साथ इस विषय पर सदन में अपनी बात रखनी चाहिए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)