आठ दिन में सातवीं बार बढ़े पेट्रोल-डीज़ल के दाम, दिल्ली में पेट्रोल सौ रुपये प्रति लीटर के पार

मंगलवार को फिर से पेट्रोल की क़ीमत में 80 पैसे प्रति लीटर और डीज़ल के दाम में 70 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है. 22 मार्च से क़ीमत में वृद्धि शुरू होने के बाद से अब तक पेट्रोल और डीज़ल के दाम कुल 4.80 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुके हैं.

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कोलकाता में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि के खिलाफ टीएमसी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

मंगलवार को फिर से पेट्रोल की क़ीमत में 80 पैसे प्रति लीटर और डीज़ल के दाम में 70 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है. 22 मार्च से क़ीमत में वृद्धि शुरू होने के बाद से अब तक पेट्रोल और डीज़ल के दाम कुल 4.80 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुके हैं.

कोलकाता में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि के खिलाफ टीएमसी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पेट्रोल की कीमतों में 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई है. वहीं, डीज़ल की कीमत में मंगलवार को 70 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई.

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की तरफ से जारी मूल्य संबंधी अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 99.41 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर अब 100.21 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल की कीमत 90.77 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 91.47 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में देश भर में वृद्धि की गई है, लेकिन इनके दाम स्थानीय कर के आधार पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न हैं.

पेट्रोल तथा डीज़ल की कीमतें रिकॉर्ड 137 दिन तक स्थिर रहने के बाद 22 मार्च को बढ़ाई गई थीं. इसके बाद से इनकी कीमतों में प्रति लीटर 80-80 पैसे की चार बार बढ़ोतरी की गई.

बीते 27 मार्च को पेट्रोल की कीमतों में 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 55 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. तब से सातवीं बार कीमतों में वृद्धि की गई है.

पेट्रोल और डीज़ल की कीमत में अब तक कुल 4.80 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है.

उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले चार नवंबर, 2021 से ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें स्थिर बनी हुई थीं. 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के साथ ही पेट्रोल एवं डीजल के दाम में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही थी.

‘क्रिसिल रिसर्च’ के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में हुई वृद्धि से पूरी तरह से पार पाने के लिए दरों में 9 से 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की आवश्यकता है. भारत अपनी तेल की जरूरतें पूरी करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है.

इससे पहले सोमवार को देश में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ने के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने लोकसभा में सरकार से इस विषय पर चर्चा कराने और प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की थी.

विपक्षी सदस्यों ने मूल्यवृद्धि को तुरंत वापस लेने का भी आग्रह किया था. शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महंगाई से देश की जनता बेहाल है. सरकार को पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की हाल में बढ़ी कीमतों को वापस लेना चाहिए और इस सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करानी चाहिए.

चौधरी ने कहा कि महंगाई के पीछे सरकार ‘रूस-यूक्रेन संकट का झूठा हवाला’ दे रही है जबकि हमारे देश में रूस से केवल आधा प्रतिशत तेल आयात किया जाता है.

तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो रही वृद्धि कब और किस सीमा पर जाकर रुकेगी?

तृणमूल नेता ने कहा कि सरकार तर्क देती है कि तेल कंपनियां मूल्य बढ़ाती हैं और उसका हस्तक्षेप नहीं होता. उन्होंने कहा कि अगर यह बात सही है तो उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय पेट्रोल और डीजल के दाम कैसे नहीं बढ़े.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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