कर्नाटक: मंदिरों के कार्यक्रमों में ग़ैर हिंदू व्यापारियों पर रोक के विरोध में आए भाजपा विधायक

भाजपा विधायक अनिल बेनाके और अड्गुर एच. विश्वनाथ ने कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मंदिरों के मेले और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में मुस्लिम व्यापारियों को अनुमति देने से इनकार किए जाने का विरोध किया है. विश्वनाथ ने इसे 'पागलपन' क़रार देते हुए कहा कि कोई भगवान या धर्म इस तरह चीज़ें नहीं सिखाता. वहीं, बेनाके ने कहा कि हर व्यक्ति अपना कारोबार कर सकता है, यह फ़ैसला लोगों का है कि वे कहां से क्या खरीदें.

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भाजपा विधायक अनिल बेनाके और अड्गुर एच. विश्वनाथ. (फोटो साभार: ट्विटर/विकीमीडिया कॉमन्स)

भाजपा विधायक अनिल बेनाके और अड्गुर एच. विश्वनाथ ने कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मंदिरों के मेले और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में मुस्लिम व्यापारियों को अनुमति देने से इनकार किए जाने का विरोध किया है. विश्वनाथ ने इसे ‘पागलपन’ क़रार देते हुए कहा कि कोई भगवान या धर्म इस तरह चीज़ें नहीं सिखाता. वहीं, बेनाके ने कहा कि हर व्यक्ति अपना कारोबार कर सकता है, यह फ़ैसला लोगों का है कि वे कहां से क्या खरीदें.

भाजपा विधायक अनिल बेनाके और अड्गुर एच. विश्वनाथ. (फोटो साभार: ट्विटर/विकीमीडिया कॉमन्स)

बेलगावी: कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मंदिरों के सालाना मेले और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में मुस्लिम व्यापारियों को अनुमति देने से इनकार के मद्देनजर भाजपा विधायक अनिल बेनाके और अड्गुर एच. विश्वनाथ ने असहमति जताई है.

रिपोर्ट के अनुसार, बेनाके ने सोमवार को कहा कि हर व्यक्ति अपना कारोबार कर सकता है और यह फैसला लोगों को करना है कि वह कहां से क्या खरीदते हैं.

बेलगावी उत्तर से विधायक ने इस संबंध में संविधान का जिक्र किया. बेनाके ने कहा, ‘मंदिर में मेले के दौरान किसी तरह की पाबंदी लगाने का सवाल ही नहीं उठता, हम प्रतिबंध लगाने की अनुमति नहीं देंगे, लेकिन यदि लोग ऐसा करते हैं, तो हम कुछ नहीं कर सकते.’

उन्होंने कहा कि लोगों से यह कहना गलत है कि वह कौन-सी चीज कहां से खरीदें. विधायक ने कहा कि संविधान सबको समान अवसर प्रदान करने की वकालत करता है.

कर्नाटक की भाजपा सरकार ने 23 मार्च को विधानसभा में घोषणा की थी कि मंदिर परिसरों के अंदर या बाहर गैर हिंदुओं को व्यापार की अनुमति नहीं दी जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, विश्वनाथ ने मुस्लिम व्यापारियों पर लगाए गए इस प्रतिबंध को ‘पागलपन’ क़रार देते हुए कहा कि ‘कोई भगवान या धर्म इस तरह चीजें नहीं सिखाता है. धर्म समावेशी होते हैं, किसी को बाहर रखने वाले नहीं.’

इस धर्म-आधारित भेदभाव का जोरदार विरोध करते हुए उन्होंने राज्य सरकार की इस मामले पर चुप्पी को लेकर भी निराशा जाहिर की. उन्होंने कहा कि यह कदम ‘अलोकतांत्रिक’ है.

ओबीसी समुदाय से आने वाले कन्नड़ लेखक विश्वनाथ जनता दल (एस) के पूर्व अध्यक्ष और तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2019 में भाजपा की येदियुरप्पा सरकार द्वारा एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिराने के दौरान वे भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें एमएलसी नामित किया गया था.

इस मामले पर उन्होंने आगे कहा, ‘मुस्लिम देशों में कितने भारतीय काम करते हैं? अगर वे देश उनके खिलाफ जाने लगें तो यह सब कहां जाकर रुकेगा… विभाजन के समय भारत के मुस्लिमों ने देश में रहना चुना था. वे जिन्ना के साथ नहीं गए. हमें इस बारे में सोचना चाहिए, वे यहां भारतीय बने रहने के लिए रुके थे. वे भारतीय है, किसी और देश के रहने वाले नहीं हैं… ‘

उन्होंने जोड़ा, ‘मैं समझ ही नहीं पाता कि किस आधार पर मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है. यह बहुत ख़राब स्थिति है. सरकार को कोई कदम उठाना चाहिए वरना लोगों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आएगी.’

मैसूर में हुई इस तरह की घटनाओं के बारे में विश्वनाथ ने कहा कि लोगों को अपना पेट भरने के लिए कमाई का जरिया चाहिए. उन्होंने कहा, ‘अगर आजीविका का कोई साधन ही नहीं है, तो लोकतंत्र, धर्म, जाति का क्या मतलब है… उठाकर फेंक दीजिए इसे. जब खाना खरीदने के लिए ही कुछ नहीं है, तो हम इस दुनिया में क्या ढूंढ रहे हैं!’

शुरू में उडुपी जिले में सालाना कौप मारिगुडी महोत्सव में इस तरह के बैनर लगाए गए थे, जिसमें कहा गया था कि गैर हिंदू व्यपारियों और रेहड़ी-पटरी वालों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

इसके बाद इसी तरह के बैनर पादुबिदरी मंदिर के समारोह में भी प्रदर्शित किए गए थे. इसी तरह दक्षिण कन्नड़ जिले के कई मंदिरों में भी इस तरह के बैनर दिखाई दिए.

यह मामला जब हाल ही में विधानसभा में पहुंचा, तो भाजपा सरकार ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया.

सदन में कर्नाटक के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने राज्य विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ दान (एचसीआरई) अधिनियम, 2002 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि गैर-हिंदुओं को हिंदू मंदिरों के परिसर और उसके आसपास व्यापार करने की अनुमति नहीं है.

लेकिन सरकार द्वारा यह भी साफ किया कि यह नियम मंदिर के बाहर रेहड़ी-पटरी वालों पर लागू नहीं होता.

इस बीच कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से कोई कार्रवाई करने को कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के पोस्टर्स लोगों को धार्मिक आधार पर बांटने का प्रयास हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)