देश भर के केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने इस देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. यह हड़ताल कर्मचारियों, किसानों एवं आम आदमी के ख़िलाफ़ सरकार की कथित ग़लत नीतियों के विरोध में बुलाई गई है. केरल सरकार के आदेश के बावजूद राज्य के सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति कम रही. सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की योजना को रोकने की मांग कर रहे बैंकिंग कर्मचारी संगठनों ने भी इसमें भाग लिया. हड़ताल से सरकारी उपक्रमों- सेल, आरआईएनएल और एनएमडीसी संयंत्रों में उत्पादन प्रभावित हुआ.
नई दिल्ली/चंडीगढ़/पुदुचेरी: केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में बुलाई गई केंद्रीय श्रमिक संगठनों की देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को कुछ हिस्सों में बैंकिंग सेवाएं एवं सार्वजनिक परिवहन आंशिक रूप से ठप होने से सामान्य जनजीवन पर असर देखा जा रहा है.
ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी कुछ राज्यों में सार्वजनिक परिवहन और बैंकिंग सेवाएं आंशिक रूप से बाधित रहीं. श्रमिक संगठन एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि लगभग सभी क्षेत्रों के कर्मचारी एवं कामगार इस हड़ताल का हिस्सा बने हैं और ग्रामीण इलाकों में भी इसे खासा समर्थन मिल रहा है. उन्होंने बताया कि अब अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के कर्मचारी भी इसमें शामिल हो गए हैं.
उन्होंने हड़ताल के पहले दिन 20 करोड़ से अधिक कर्मचारियों की भागीदारी का दावा करते हुए कहा कि दूसरे दिन इस संख्या में और बढ़ोतरी होगी.
देश भर के केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने इस देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया हुआ है. यह हड़ताल कर्मचारियों, किसानों एवं आम आदमी के खिलाफ सरकार की कथित गलत नीतियों के विरोध में बुलाई गई है.
इसके जरिये श्रमिक संगठनों ने श्रम कानूनों को वापस लेने, निजीकरण की किसी भी योजना को खारिज करने, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन को बंद करने, मनरेगा के तहत आवंटन बढ़ाने और ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को स्थायी करने की मांग प्रमुखता से रखी है.
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने मंगलवार सुबह एक बयान में कहा है कि स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों और संघों के साथ वे सुबह 11.30 बजे से जंतर-मंतर पर ‘धरना’ देंगे.
इस हड़ताल को बैंकिंग कर्मचारी संगठनों का भी अच्छा समर्थन मिल रहा है. सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की योजना को ठंडे बस्ते में डालने की मांग कर रहे बैंकिंग कर्मचारी संगठन इसका हिस्सा बन रहे हैं. इससे कई राज्यों में बैंकिंग सेवाओं पर असर देखने को मिला है.
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि हड़ताल के पहले दिन कर्मचारियों के मौजूद नहीं रहने से देश भर में करीब 18,000 करोड़ रुपये मूल्य के 20 लाख चेकों का निस्तारण नहीं हो पाया.
भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ (बीईएफआई) और अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओए) भी इस हड़ताल का हिस्सा है.
श्रमिक संघ, किसानों और आम लोगों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. यह निर्णय 22 मार्च को एक बैठक के बाद आया है, जहां ट्रेड यूनियनों ने कहा कि वे केंद्र की ‘मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों’ का विरोध करेंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक संघ भाग ले रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के अनुसार, तमिलनाडु में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों का संचालन प्रभावित हुआ. इसने कहा कि लगभग 5,000 करोड़ रुपये के चेक का लेन-देन नहीं किया जा सका.
कर्मचारी संघ के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा, ‘हड़ताल के कारण, सामान्य बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं. समाशोधन संचालन भी प्रभावित हुआ, क्योंकि शाखाएं निकासी के लिए चेक नहीं भेज सकीं. चेन्नई में कार्यरत दक्षिणी ग्रिड में हमारी हड़ताल के दौरान 5,000 करोड़ रुपये के लगभग छह लाख चेक को क्लीयरेंस के लिए भेजा नहीं जा सका.’
कर्मचारी संघ ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने, राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण, अनुबंध कर्मचारियों और बैंकिंग संवाददाताओं को नियमित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की.
केरल सरकार के आदेश के बावजूद सरकारी कार्यालयों में उपस्थिति कम रही
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केरल हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकारी कार्यालयों में मंगलवार को कम उपस्थिति दर्ज की गई. केरल हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ चल रही दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लेने से रोक दिया. साथ ही राज्य सरकार को विरोध को कानूनी प्रक्रिया के रूप में न मानने का निर्देश दिया.
वाम सरकार द्वारा राज्य में ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ नियम प्रभावी किया था, हालांकि अधिकांश कर्मचारियों ने काम पर आने से इनकार कर दिया.
चीफ जस्टिस एस. मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी. शैली की एक खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की चल रही हड़ताल अवैध है और राज्य को निर्देश दिया कि वह इसे प्रतिबंधित करने के निर्देश जारी करे. कोई भी सरकारी कर्मचारी हड़ताल में भाग नहीं लेगा.
राज्य सचिवालय में 200 से भी कम कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंचे. कई अन्य सरकारी कार्यालयों में, सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ दोनों के आंदोलनकारी कर्मचारियों ने कथित तौर पर दूसरों को ड्यूटी पर आने से रोका. इस बीच राज्य के अधिकांश हिस्सों में दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहे, प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर ट्रकों और यहां तक कि निजी वाहनों को भी रोक दिया.
हरियाणा में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित
केंद्रीय श्रमिक संगठनों के एक संयुक्त मंच द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन हरियाणा में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हुईं. हरियाणा रोडवेज़ के कई डिपो पर बस सेवाएं निलंबित रहीं. रोडवेज़ कर्मचारियों ने दूसरे दिन भी हड़ताल के तहत राज्य के कई डिपो पर प्रदर्शन किया.
रोडवेज़ कर्मचारियों के 10 संगठनों के संयुक्त मोर्चे के नेता सरबत सिंह पुनिया ने मंगलवार को कहा, ‘बस सेवाएं निलंबित हैं और हम पूरी तरह से हड़ताल पर हैं.’
सिरसा डिपो में रोडवेज़ कर्मचारियों के धरने में शामिल हुए पुनिया ने कहा कि बुधवार को सुबह से सेवाएं सामान्य हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और नगर निकायों सहित कुछ अन्य विभागों के कर्मचारी भी दूसरे दिन देशव्यापी हड़ताल में शामिल हुए हैं.
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि पड़ोसी राज्य पंजाब में सार्वजनिक परिवहन की बसें सामान्य रूप से चल रही हैं. हालांकि, दोनों राज्यों में सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ बैंक शाखाओं में सेवाएं प्रभावित हुईं.
गौरतलब है कि सरकार की जन-विरोधी आर्थिक नीतियों तथा श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों के स्वतंत्र श्रमिक संगठनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है.
पुदुचेरी में हड़ताल के दूसरे दिन जनजीवन प्रभावित
पुदुचेरी में भी हड़ताल से जनजीवन प्रभावित हुआ. इस दौरान, दुकानें, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, सिनेमाघर बंद रहे. निजी बसें सड़कों से नदारद रहीं, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.
केंद्र शासित प्रदेश में सभी प्रमुख इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. सरकारी बसों की सेवाएं सामान्य रहीं, जबकि कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति भी सामान्य थी. अधिकतर स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की गई है, हालांकि जहां परीक्षाएं होनी थीं, वहां किसी तरह की कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई. हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं.
हड़ताल से सेल, आरआईएनएल और एनएमडीसी संयंत्रों में उत्पादन प्रभावित
सार्वजनिक स्वामित्व वाले उपक्रमों सेल, आरआईएनएल और एनएमडीसी के करीब 35,000 कर्मचारियों के देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी मंगलवार को काम पर नहीं आने से इनके संयंत्रों में उत्पादन प्रभावित हुआ है.
एनएमडीसी संयुक्त खदान मजदूर संघ के सचिव राजेश संधू ने कहा कि गैर-कार्यकारी स्तर के सभी कर्मचारियों ने हड़ताल में शामिल होने के लिए काम का बहिष्कार किया है. उन्होंने कहा कि दो दिनों की इस हड़ताल से एनएमडीसी को करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
लौह अयस्क खनन कंपनी एनएमडीसी की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना स्थित खदानों एवं कार्यालयों में तैनात 10,000 से अधिक कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए हैं.
इस्पात संयंत्र कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जे. अयोध्या राम ने बताया कि आरआईएनएल के विशाखापटनम संयंत्र में लगातार दूसरे दिन भी उत्पादन कर्मचारियों की अनुपस्थिति से प्रभावित हुआ है.
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के कुल 11,000 में से करीब 8,000 कर्मचारी केंद्रीय श्रमिक संगठनों की बुलाई हड़ताल में शिरकत कर रहे हैं.
इसी तरह भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के भी छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल स्थित संयंत्रों में कार्यरत करीब 15,000 कर्मचारी काम पर हाजिर नहीं हुए. सेल के भिलाई संयंत्र के एक कर्मचारी नेता ने बताया कि उत्पादन से जुड़े अहम कार्यों को अंजाम देने वाले कर्मचारियों के नहीं आने से उत्पादन पर असर पड़ा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)