पीटीआई के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार 179 सदस्यों के समर्थन से बनी थी लेकिन इसकी प्रमुख सहयोगी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के विपक्षी पीपीपी के साथ समझौते के बाद इमरान ख़ान की पार्टी के पास 164 सदस्यों का समर्थन रह गया है. नेशनल असेंबली में पाकिस्तान के संयुक्त विपक्ष के अब 177 सदस्य हैं और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के लिए विपक्ष को 172 मतों की ज़रूरत है.
इस्लामाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई में पाकिस्तान-ए-इंसाफ सरकार की मुख्य सहयोगी पार्टी मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम) ने विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ समझौता कर झटका दे दिया है.
पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने ट्वीट कर कहा, ‘संयुक्त विपक्ष और एमक्यूएम के बीच समझौता हुआ है. राब्ता समिति एमक्यूएम और पीपीपी सीईसी इस समझौते की पुष्टि करेंगे. इसके बाद हम कल मीडिया के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ब्योरा साझा करेंगे. बधाई हो पाकिस्तान.’
The united opposition and MQM have reached an agreement. Rabta committee MQM & PPP CEC will ratify said agreement. We will then share details with the media in a press conference tomorrow IA. Congratulations Pakistan.
— BilawalBhuttoZardari (@BBhuttoZardari) March 29, 2022
एशियन न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर महत्वपूर्ण वोटिंग से पहले देर रात के इस घटनाक्रम ने इमरान खान के भविष्य को संकट में डाल दिया है, क्योंकि इमरान खान सरकार संसद के निचले सदन में बहुमत खो चुकी है.
पीटीआई के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार 179 सदस्यों के समर्थन से बनी थी लेकिन एमक्यूएम-पी के इस्तीफे के बाद इमरान खान की पार्टी के पास सिर्फ 164 सदस्यों का समर्थन रह गया है. नेशनल असेंबली में पाकिस्तान के संयुक्त विपक्ष के अब 177 सदस्य हैं.
प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए विपक्ष को 172 मतों की जरूरत है.
पाकिस्तान नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं जबकि बहुमत का आंकड़ा 172 है. पीटीआई के नेतृत्व वाला गठबंधन 179 सदस्यों के समर्थन से बना था, लेकिन अब एमक्यूएम-पी के जाने से पीटीआई के पास 164 सदस्यों का समर्थन है जबकि नेशनल असेंबली में विपक्ष के पास 177 सदस्यों का समर्थन है.
इस बीच इमरान खान के इस आरोप कि कुछ लोग विदेशी फंड की मदद से उनकी सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं.
संघीय मंत्री असद उमर ने दावा किया कि प्रधानमंत्री अपने दावों के समर्थन में पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल को एक पत्र दिखाने के लिए तैयार हैं.
इमरान खान ने अपनी रैली के दौरान कहा था, ‘पाकिस्तान में सरकार बदलने के लिए विदेशी पैसे के जरिये प्रयास किए जा रहे हैं. हमारे लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिकतर अनजाने में ही सही कुछ लोग हमारे खिलाफ पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं. हम जानते हैं कि कहां से प्रयास कर हम पर दबाव डाला जा रहा है. हमें लिखित में धमकी दी गई लेकिन हम राष्ट्रीय हितों को लेकर समझौता नहीं करेंगे.’
पाकिस्तान के जियो टीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विपक्ष का समर्थन करने का एमक्यूएम-पी का फैसला प्रशासक कराची मुर्तजा वहाब द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर हस्ताक्षर के बाद आया.
इस पर हस्ताक्षर करने वालों में नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी भी शामिल हैं.
एमक्यूएम-पी नेता फैजल सब्जवारी ने विपक्ष का समर्थन करने के एमक्यूएम-पी के फैसले की पुष्टि करते हुए ट्वीट कर कहा, ‘संयुक्त विपक्ष और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के बीच समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया है.’
एमक्यूएम-पी के प्रवक्ता ने बयान जारी कर इस पुष्टि करते हुए कहा कि पार्टी की राब्ता समिति की बहादुराबाद कार्यालय में बैठक होगी, जहां इस मसौदे को स्वीकृत किया जाएगा.
इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर तीन अप्रैल को मतदान: मंत्री
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान तीन अप्रैल को होगा. गृह मंत्री शेख राशिद ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
नेशनल असेंबली के एक सत्र के दौरान सोमवार को विपक्षी दलों द्वारा खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद राशिद ताजा राजनीतिक स्थिति को लेकर यहां संघीय राजधानी में मीडिया को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी, उसके बाद तीन अप्रैल को मतदान होगा.’
उन्होंने दावा किया कि खान इसमें विजयी रहेंगे. उन्होंने अनुमान जताया कि अलग-थलग पड़े सभी सहयोगी खान के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने के लिए वापस आएंगे जैसा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद (पीएमएल-क्यू) द्वारा पहले ही किया जा चुका है.
उन्होंने यह भी कहा कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और विपक्षी दलों द्वारा रविवार और सोमवार को अलग-अलग राजनीतिक रैलियां करने के बाद सभी सड़कों को खोल दिया गया है और शहर के एक हिस्से में कोई नाकेबंदी नहीं की गई है.
राशिद ने यह भी कहा कि राजधानी को एक बड़ी घटना से बचाते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने कम से कम चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है.
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम), जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-आई) एवं अन्य दल शामिल हैं, ने सोमवार रात इस्लामाबाद में श्रीनगर राजमार्ग पर एक बड़ी रैली का आयोजन किया.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) (पीएमएल-एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज और 26 मार्च को लाहौर से रैली शुरू करने वाले पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हमजा शहबाज, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) और अन्य पीडीएम दलों के समर्थकों के साथ जुड़ने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे.
उधर, तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने अपनी डगमगाती गद्दी को बचाने के लिए धार्मिक कार्ड का इस्तेमाल करने को लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री खान की आलोचना की.
प्रधानमंत्री खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी द्वारा उनके समर्थन में यहां एक विशाल रैली आयोजित करने के एक दिन बाद आयोजित एक रैली में मरियम ने कहा, ‘मैं आपको चुनौती देती हूं कि आप अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन अपने साथ 172 सांसद लेकर आएं.’
उन्होंने सरकार द्वारा पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद पार्टी का समर्थन हासिल करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार की जगह चौधरी परवेज इलाही को पद सौंपने का फैसला किए जाने के बाद खान पर अपनी सीट बचाने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद बुजदार को दरकिनार करने का आरोप लगाया.
मरियम ने कहा, ‘आपने अपनी सत्ता बचाने के लिए अपने सबसे भरोसेमंद आदमी (बुजदार) को कुएं में धकेल दिया. हमने अपने पूरे जीवन में ऐसा एहसान फरामोश शख्स नहीं देखा.’
उन्होंने यह भी कहा कि खान ने उन्हें सत्ता से हटाने के लिए विदेशी साजिश का दावा किया है. मरियम ने एक दिन पहले रैली में एक फर्जी चिट्ठी दिखाने के लिए खान को दोषी ठहराया.
उन्होंने कहा कि खान ने लोगों का विश्वास खो दिया है, जो हाल के महीनों में 16 में से 15 उपचुनावों में सत्ताधारी पार्टी की हार से साबित होता है. कई अन्य पीडीएम नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया और उन्होंने अपनी रैली को धरने में बदलने की भी घोषणा की और कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने तक उनके कार्यकर्ता डेरा डाले रहेंगे.
69 वर्षीय खान गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और अगर कुछ सहयोगी दल गठबंधन से हटने का फैसला करते हैं तो उनकी सरकार गिर सकती है. पाकिस्तान की 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीटीआई के 155 सदस्य हैं और उसे सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है.
विपक्ष ने आठ मार्च को नेशनल असेंबली को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा था. इस प्रस्ताव के मद्देनजर रैली का आयोजन किया गया था.
खान 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने की बुनियादी समस्या को दूर करने में बुरी तरह विफल रहे, जिससे विपक्ष को उनकी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया.
इमरान खान की सख्त हिदायत- अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहें पीटीआई सांसद
पाकिस्तान में अपनी कुर्सी बचाने की कोशिशों में जुटे प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को अपनी पार्टी के सांसदों को उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन इसमें अनुपस्थित रहने, या उस दिन नेशनल असेंबली के सत्र में भाग नहीं लेने की मंगलवार को सख्त हिदायत दी है.
जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, पीटीआई सांसदों को लिखे एक पत्र में प्रधानमंत्री खान ने कहा, ‘नेशनल असेंबली में पीटीआई के सभी सदस्य मतदान से दूर रहें/उस दिन नेशनल असेंबली की बैठक में शामिल नहीं हों जब उक्त प्रस्ताव पर मतदान कराया जाएगा.’
उन्होंने कहा कि सभी सदस्य पूरी तरह से उनके निर्देशों का पालन करें और ‘पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 63 (ए) के प्रावधान के पीछे की मंशा’ को ध्यान में रखें.
पाकिस्तान के इतिहास में आज तक किसी भी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये सत्ता से बेदखल नहीं किया गया है और खान इस चुनौती का सामना करने वाले तीसरे प्रधानमंत्री हैं. पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में इस प्रस्ताव पर गुरुवार को चर्चा होगी.
इस बीच, सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह देश के प्रधान न्यायाधीश के साथ एक ‘पत्र’ साझा करना चाहती है जिसे प्रधानमंत्री ने एक रैली में उन्हें सत्ता से बाहर करने के विदेशी ‘षड्यंत्र’ के सबूत के तौर पर दिखाया था.
सूचना मंत्री फवाद चौधरी के साथ योजना मंत्री असम उमर ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि उन्होंने खुद पत्र देखा है और उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खान प्रधान न्यायाधीश के साथ इसे साझा करने के लिए तैयार हैं.
उमर ने कहा कि यह पत्र आठ मार्च को प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपने से पहले लिखा गया था लेकिन इसमें साफ तौर पर अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र है, जो चिंता की बात है.
उन्होंने कहा, ‘तो यह स्पष्ट है कि विदेशी साजिश और अविश्वास प्रस्ताव का आपस में संबंध है. ये दोनों अलग चीजें नहीं हैं और हम उनके बीच में स्पष्ट जुड़ाव देखते हैं.’
बहरहाल, उन्होंने इसे विपक्ष के साथ साझा करने से इनकार कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा कि पत्र शीर्ष असैन्य और सैन्य नेतृत्व तथा मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों के साथ साझा किया गया है.
उमर ने यह भी कहा कि लंदन में रह रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पत्र में उल्लेखित ‘किरदारों’ में से एक हैं.
सूचना मंत्री चौधरी ने दावा किया कि शरीफ ने इजराइली राजनयिकों के साथ बैठकें की थीं. उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं कह रहा था कि उन्हें विदेश जाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि जब ऐसे लोग विदेश जाते हैं तो वे कठपुतली बन जाते हैं.’
वहीं, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) नेता एहसान इकबाल ने कहा, ‘अगर देश की सुरक्षा को विदेश से वाकई खतरा है, तो हम सरकार के साथ हैं.’
पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने सरकार से बुधवार को संसद का सत्र बुलाने और सांसदों के साथ पत्र साझा करने के लिए कहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)