बलात्कार मामले में बिशप मुलक्कल के बरी होने के ख़िलाफ़ नन और केरल सरकार ने की अपील

बीते 14 जनवरी को केरल के कोट्टायम की एक अदालत ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष उनके ख़िलाफ़ सबूत पेश करने में विफल रहा. एक नन ने रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच उनके साथ 13 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है.

Kottayam: Rape accused Roman Catholic Bishop Franco Mulakkal released on bail ,in Kottayam on Tuesday , October 16, 2018. Bishop Franco Mulakkal, arrested over three weeks ago on allegations of repeatedly raping a nun, was released from a sub-jail near here Tuesday, a day after the Kerala High Court granted him bail. (PTI10_16_2018_000158B)
बिशप फ्रैंको मुलक्कल. (फोटो: पीटीआई)

बीते 14 जनवरी को केरल के कोट्टायम की एक अदालत ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष उनके ख़िलाफ़ सबूत पेश करने में विफल रहा. एक नन ने रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच उनके साथ 13 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है.

बिशप फ्रैंको मुलक्कल. (फोटो: पीटीआई)

कोच्चि: बलात्कार मामले में बिशप फ्रैंको मुलक्कल के बरी होने के खिलाफ पीड़ित नन और राज्य सरकार ने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. अपने साथ बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन ने यह याचिका इस हफ्ते की शुरुआत में दायर की थी, जबकि राज्य सरकार ने अपनी याचिका बुधवार को दायर करके बरी करने के फैसले को चुनौती दी.

नन ने भी याचिका में बलात्कार मामले में बिशप मुलक्कल को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है. उधर, राज्य सरकार ने बुधवार को निचली अदालत के 14 जनवरी, 2022 के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने को मंजूरी दे दी.

अतिरिक्त लोक अभियोजक पी. नारायणन ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपनी यचिका में कहा है कि न्यायाधीश ने साक्ष्यों का सही परिस्थितियों में मूल्यांकन किए बगैर और तथ्यों को समझे बिना आरोपी को अनुचित तरीके से बरी कर दिया.

नारायणन ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए दावा किया कि यह फैसला सरासर गलत, त्रुटिपूर्ण और विपरीत है.

मालूम हो कि बीते 14 जनवरी को अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत प्रथम, कोट्टायम ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को इस मामले में बरी कर दिया था. अदालत ने यह फैसला देते हुए कहा था कि आरोपी के खिलाफ अभियोजन पक्ष साक्ष्य मुहैया कराने में नाकाम रहा.

केरल की नन ने जून 2018 में पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच 57 वर्षीय मुलक्कल ने उनका 13 बार बलात्कार किया था. वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे.

कोट्टायम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था.

मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को 21 सितंबर, 2018 में गिरफ्तार किया था और उसी साल 15 अक्टूबर को उन्हें अदालत से सशर्त जमानत मिल गई थी. जमानत पर रिहा होने के बाद जालंधर में उनका फूल-माला से स्वागत हुआ था.

नन ने उन पर गलत तरीके से बंधक बनाने, बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाए थे. मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी.

इसके अलावा अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रसारित करने पर रोक लगाई थी.

मालूम हो कि बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर फरवरी 2020 में एक और नन ने यौन शोषण का आरोप लगाया था.

35 साल की यह नन फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ चल रहे बलात्कार के मामले की गवाह थी, जिसने पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए आरोप लगाए थे कि बिशप ने फोन पर उस पर यौन संबंधी और अश्लील टिप्पणियां की और उन्हें गलत तरीके से छुआ था.

नन ने अपने बयान में कहा था कि वह बिशप से डरी हुई थीं कि कहीं उन्हें समूह से बाहर न निकाल दिया जाए, इसलिए वह अब तक चुप थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)