छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना शुरू की थी. इसके तहत यह प्रतियोगिता होती है. आदिवासी समाज ने पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र में मौलिक अधिकारों और आदिवासी रीति-रिवाजों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस आयोजन पर आपत्ति जताई थी.
रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार (30 मार्च) को सुकमा जिले में होने वाली ब्लॉक स्तरीय रामायण पाठ प्रतियोगिता को स्थगित कर दिया. यह फैसला सर्व आदिवासी समाज की एक टीम द्वारा राज्यपाल को इस आयोजन के विरोध में लिखे पत्र के बाद लिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विरोध प्रदर्शन की धमकी देते हुए सर्व आदिवासी समाज ने राज्यपाल से हस्तक्षेप करने और कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा था.
वर्ष 2021 में राज्य सरकार ने अपने संस्कृति विभाग के जरिये एक रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना शुरू की थी, जिसके तहत पंचायत, ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर रामायण पाठ में शामिल टीमों (मंडली) के बीच प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी थीं. ये प्रतियोगिताएं मार्च के मध्य में शुरू हुई थीं और अप्रैल में जारी रहनी थीं.
सुकमा के छिंदगढ़ प्रखंड (ब्लॉक) में 29 मार्च से 30 मार्च तक प्रतियोगिता होनी थीं.
सर्व आदिवासी समाज ने संविधान की धारा 244 (1) के तहत पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्र में मौलिक अधिकारों और आदिवासी रीति-रिवाजों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इस आयोजन पर आपत्ति जताई थी.
पत्र में लिखा गया, ‘इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करना क्षेत्र की सार्वजनिक शांति, नैतिकता और व्यवस्था के खिलाफ है. फिर भी छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने जनपद पंचायत छिंदगढ़ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के जरिये दो दिवसीय प्रखंड स्तरीय रामायण प्रतियोगिता का आयोजन किया है.’
इसमें आगे कहा गया, ‘यह उल्लेखनीय है कि अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में कोई भी धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने से पहले आदिवासी समाज की अनुमति अनिवार्य है. लेकिन न तो आदिवासी समाज से किसी भी प्रकार की अनुमति ली गई थी और न ही आदिवासी समाज द्वारा इस संबंध में कोई अनुमति दी गई थी.’
राज्यपाल से उनकी अपील के बाद जनपद सीईओ ने सभी पंचायत सचिवों को प्रतिस्पर्धी टीमों को सूचित करने का आदेश जारी किया कि छिंदगढ़ ब्लॉक में विरोध के कारण प्रतियोगिता स्थगित कर दी गई है.
सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि स्थगन से नाखुश हैं. छिंदगढ़ ब्लॉक सर्व आदिवासी समाज के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने कहा, ‘हम अपने क्षेत्र में इस तरह के आयोजन नहीं चाहते हैं. हमारे अपने अलग-अलग रीति-रिवाज हैं, जो हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े नहीं हैं. इस तरह के आयोजन से पहले कम से कम ग्राम सभा या समाज की सहमति लेने की जरूरत है.’