अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो ने वॉशिंगटन में ऑस्ट्रेलिया के वाणिज्य मंत्री के साथ बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह टिप्पणी की. ऐसी रिपोर्ट है कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए रूस से सस्ती दरों पर कच्चे तेल की ख़रीद के लिए मॉस्को की एक भुगतान प्रणाली अपनाने पर विचार कर रहा है.
नई दिल्लीः अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदने के लिए एक भुगतान प्रणाली पर भारत के काम करने की खबरों को अमेरिका ने बेहद निराशाजनक बताते हुए भारत से इतिहास के सही तरफ खड़े होने का आग्रह किया है.
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो ने वॉशिंगटन में ऑस्ट्रेलिया के वाणिज्य मंत्री डैन तेहान के साथ बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह टिप्पणी की.
बता दें कि इस बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दो दिन के भारत दौरे पर हैं.
वहीं, अमेरिका के उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) दलीप सिंह रूस के साथ भारत के निरंतर व्यापार पर अपने समकक्षों के साथ चर्चा करने के लिए भारत में हैं.
ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस भी भारत दौरे पर हैं और उन्होंने रूस, यूक्रेन मुद्दे को लेकर अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर से बातचीत की.
बता दें कि यूक्रेन पर हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ कई प्रस्ताव पेश किए हैं, जिनसे भारत ने दूरी बना ली थी. उसी समय भारत ने जोर देकर कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांतों और संप्रभु राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है.
मालूम हो कि अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों ने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. वहीं, भारत एकतरफा प्रतिबंधों का समर्थन न करने के अपने दीर्घकालीन रुख पर अड़ा हुआ है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में भारत सरकार रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय लेनदेन के लिए रूस का केंद्रीय मैसेजिंग सिस्टम एसपीएफएस का इस्तेमाल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.
रूस पर लगे इन आर्थिक प्रतिबंधों के तहत रूस के बैंकों को ग्लोबल पेमेंट सिस्टम स्विफ्ट (SWIFT) से बाहर कर दिया गया है.
प्रस्तावित रूस-भारत बैंकिंग सहयोग और क्वाड संबंधी दिक्कतों को लेकर द सिडनी मॉनिंग हेराल्ड के सवाल का जवाब देते हुए अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो ने कहा कि अगर इस तरह की योजना लागू की जाती है तो यह अत्यधिक निराशाजनक होगी.
उन्होंने कहा, ‘अब इतिहास के सही तरफ खड़े होने का समय आ गया है और अमेरिका, और दर्जनों अन्य देशों के साथ खड़े होने का समय है, जो यूक्रेन के लोगों की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संप्रभुता के लिए खड़े हैं और जो रूस के राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध का समर्थन नहीं कर रहे और न ही उनकी मदद कर रहे हैं.’
रायमोंडो ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने अभी तक इस योजना के विवरण नहीं देखे हैं.
अमेरिका ने पूर्व में कह चुका है कि रूस का तेल खरीदकर भारत इतिहास के गलत तरफ खड़ा हो जाएगा. इस पर भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि रूस के तेल निर्यातकों पर कोई प्रतिबंध नहीं है और अमेरिका के यूरोपीय सहयोगी देश भी रूस से ईंधन खरीद रहे हैं.
ऑस्ट्रेलियाई वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत प्रशांत क्षेत्र में भू-रणनीतिक माहौल के लिए क्वाड बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र के रूप में हमें यह सुनिश्चित करना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपनाए गए नियम आधारित दृष्टिकोण को बनाए रखकर साथ काम करें. हम भारत के साथ क्वाड के भीतर और द्विपक्षीय रूप से मिलकर काम करना जारी रखेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम वह सब कर रहे हैं, जिससे नियम आधारित दृष्टिकोण को जारी रखा जा सके.’
बता दें कि इस महीने क्वाड नेताओं के सम्मेलन के दौरन यूक्रेन को लेकर व्यापक चर्चा की गई. हालांकि, भारत ने बार-बार जोकर देकर कहा कि क्वाड को भारत-प्रशांत क्षेत्र से अपना ध्यान नहीं हटाना चाहिए.
मालूम हो कि क्वाड देशों में शामिल अन्य देश अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया है, जिन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं और कहा है कि यूरोप में संकट का असर भारत, प्रशांत क्षेत्र पर भी पड़ेगा.
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