स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार, तिरप ज़िले में असम राइफल्स के जवान ने मछली पकड़कर घर लौट रहे युवकों पर आतंकवादी होने के संदेह में गोली चलाई. यह ज़िला आफ़स्पा के अंतर्गत आता है, जिसे लेकर दिसंबर 2021 में नगालैंड में सुरक्षाबलों की गोलाबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद से सवाल उठाए जा रहे हैं.
नई दिल्लीः गलत पहचान के एक अन्य मामले में एक अप्रैल की शाम को असम राइफल्स के जवान की गोलीबारी में अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले में दो युवक घायल हो गए.
यह जिला विशेष रूप से सशस्त्रबल (विशेष अधिकार) अधिनियम (आफस्पा) के तहत आता है.
संयोग से यह ताजा घटना उत्तरपूर्व के कुछ हिस्सों से आफस्पा हटाए जाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना जारी होने के दो दिन बाद हुई है.
असम के कुछ बड़े हिस्सों को छोड़कर मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश का अधिकांश हिस्सा आफस्पा के तहत रहेगा.
इस मामले ने दिसंबर 2021 की उस घटना की याद दिला दी, जब सुरक्षाबलों ने गलत पहचान के ही एक मामले में नगालैंड के ओटिंग गांव में गोलीबारी की थी, जिसमें 15 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
ओटिंग घटना के बाद आफस्पा कानून और इसके तहत सुरक्षाबलों को दी जाने वाली छूट को लेकर बहस तेज हो गई थी.
इस ताजा घटना के संबंध में स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, असम राइफल्स के जवानों की गोलीबारी में तिरप जिले के सासा गांव के दो युवक घायल हो गए.
गुवाहाटी के प्रतिदिन टाइम के मुताबिक, असम राइफल्स के जवान ने आतंकी समझकर इन युवकों पर गोली चला दी थी. ये युवक मछली पकड़ने के बाद अपने घर लौट रहे थे.
रिपोर्ट में कहा गया कि असम राइफल्स के एक वरिष्ठ रैंक के अधिकारी ने स्वीकार किया कि यह घटना उनकी गलत पहचान की वजह से हुई और उन्होंने घायलों के इलाज की जिम्मेदारी ली.
इन घायल युवकों का फिलहाल एक स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है लेकिन असम राइफल्स ने आश्वासन दिया है कि युवकों को बेहतर इलाज के लिए असम के जोरहाट ले जाया जाएगा.
Reduction in areas under AFSPA is a result of the improved security situation and fast-tracked development due to the consistent efforts and several agreements to end insurgency and bring lasting peace in North East by PM @narendramodi government.
— Amit Shah (@AmitShah) March 31, 2022
मालूम हो कि यह घटना केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस ट्वीट के बाद हुई है, जिसमें उन्होंने बताया था कि सरकार ने आफस्पा के तहत आने वाले इलाकों की संख्या घटा रहे हैं.
उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि सुरक्षा में सुधार, निरंतर प्रयासों के कारण तेज़ी से हुए विकास, मोदी सरकार द्वारा उग्रवाद खत्म करने के लिए किए गए कई समझौतों और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के फलस्वरूप आफस्पा के तहत आने वाले इलाकों को घटाया जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 31 मार्च को जारी अधिसूचना के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों में आफस्पा को अन्य छह महीनों (एक अप्रैल से 30 सितंबर) के लिए बढ़ाया गया है. इनमें तिरप जिला भी है, जहां यह घटना हुई.
31 मार्च की अधिसूचना सरकार द्वारा नियुक्त समिति द्वारा ओटिंग घटना के बाद उत्तरपूर्व में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के बाद आई है.
बता दें कि नगालैंड, असम और मणिपुर में दशकों से आफस्पा लागू है, जिसका मकसद क्षेत्र में उग्रवाद से निपटने के लिए तैनात सुरक्षा बलों की मदद करना है.
आफस्पा सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है और अगर सुरक्षा बलों की गोली से किसी की मौत हो जाए तो भी यह उन्हें गिरफ्तारी और अभियोजन से संरक्षण प्रदान करता है.
इस कानून के कथित ‘कड़े’ प्रावधानों के कारण समूचे पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर से इसे पूरी तरह से हटाने के लिए प्रदर्शन होते रहे हैं.
वर्ष 2015 में त्रिपुरा से और 2018 में मेघालय से आफस्पा को पूरी तरह से हटा दिया था.
समूचे असम में 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है. स्थिति में अहम सुधार को देखते हुए एक अप्रैल से असम के 23 जिलों से आफस्पा पूरी तरह हटाया जा रहा है, जबकि एक जिले से यह आंशिक रूप से खत्म किया जा रहा है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)