श्रीलंका: आर्थिक संकट के विरोध में जारी प्रदर्शनों के बीच सरकार ने की आपातकाल की घोषणा

श्रीलंका वर्तमान में ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ईंधन, रसोई गैस तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं. इसके ख़िलाफ़ देश में प्रदर्शन जारी हैं. आपातकाल की घोषणा उस समय की गई है, जब अदालत ने राष्ट्रपति आवास के सामने प्रदर्शन के लिए गिरफ़्तार प्रदर्शनकारियों के एक समूह को ज़मानत दे दी है.

Members of the Sri Lankan army stand guard near President Gotabaya Rajapaksa's residence during a protest against him as many parts of the crisis-hit country faced up to 13 hours without electricity due to a shortage of foreign currency to import fuel, in Colombo, Sri Lanka March 31, 2022. REUTERS/Dinuka Liyanawatte

श्रीलंका वर्तमान में ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ईंधन, रसोई गैस तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं. इसके ख़िलाफ़ देश में प्रदर्शन जारी हैं. आपातकाल की घोषणा उस समय की गई है, जब अदालत ने राष्ट्रपति आवास के सामने प्रदर्शन के लिए गिरफ़्तार प्रदर्शनकारियों के एक समूह को ज़मानत दे दी है.

श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर सरकार के ख़िलाफ़ जारी प्रदर्शनों की एक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस द्वीपीय देश के इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट को लेकर देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रव्यापी सार्वजनिक आपातकाल लगाने की घोषणा की है.

राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक आपातकाल लागू करने की घोषणा की.

गजट अधिसूचना में राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरी राय में श्रीलंका में सार्वजनिक आपातकाल लागू करना सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ समुदायों के लिए जरूरी वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के हित में है.’

यह कदम ऐसे समय में भी उठाया गया है, जब आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी को लेकर देश में रविवार को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का आह्वान किया गया है.

श्रीलंका वर्तमान में ऐतिहासिक आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ईंधन, रसोई गैस तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं.

स्वतंत्र थिंकटैंक ‘सेंटर फॉर पॉलिसी अल्टरनेटिव्स’ ने आपातकाल पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘प्रतिबंधों से संविधान द्वारा प्रदत्त कुछ मौलिक अधिकार बाधित हो सकते हैं. इनमें अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर सभा, आवाजाही, पेशा, धर्म, संस्कृति और भाषा की स्वतंत्रता शामिल है.’

अधिवक्ताओं ने बताया कि ये प्रतिबंध पुलिस को गैरकानूनी रूप से एकत्रित होने वाले लोगों को गिरफ्तार करने की असीम शक्ति देते हैं. उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों पर उनके क्रियान्वयन के हर 30वें दिन संसद की मंजूरी ली जानी चाहिए.

आपातकाल की घोषणा उस समय की गई है, जब अदालत ने राजपक्षे के आवास के सामने प्रदर्शन के लिए गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों के एक समूह को जमानत देने का आदेश दिया है.

अधिवक्ता नुवान बोपागे ने बताया कि गिरफ्तार किए गए 54 प्रदर्शनकारियों में से 21 को जमानत दे दी गई है, जबकि छह को चार अप्रैल तक के लिए रिमांड पर भेजा गया है और बाकी 27 घायल अवस्था में अस्पतालों में भर्ती हैं.

बोपागे कोलंबो उपनगरीय गंगोडाविला मजिस्ट्रेट की अदालत में मुफ्त सलाह देने के लिए जुटे लगभग 500 अधिवक्ताओं में शामिल हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह एक बेहद अहम आदेश था. अदालत ने पुलिस से प्रत्येक प्रदर्शनकारी के हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों की पुष्टि करने वाले सबूत पेश करने को कहा था. पुलिस ऐसा नहीं कर सकी.’

वहीं, समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक शनिवार को श्रीलंका सरकार ने देश में 36 घंटे का कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है. यह शनिवार शाम 6 बजे से शुरू होकर सोमवार सुबह 6 बजे तक रहेगा.

वहीं, आपातकाल की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति ने देश में कड़े कानून लागू किए हैं, जो सेना को बिना किसी मुकदमे के संदिग्धों को लंबे समय तक के लिए गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने की ताकत प्रदान करते हैं.

बता दें कि इससे पहले सरकार ने राजपक्षे के आवास के बाहर हुए प्रदर्शनों के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों से जुड़े एक चरमपंथी समूह को जिम्मेदार ठहराया था.

हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि वे किसी राजनीतिक समूह से प्रेरित नहीं हैं और उनका मकसद सिर्फ जनता द्वारा झेली जा रहीं दुश्वारियों का सरकार के स्तर पर समाधान खोजना है. प्रदर्शन के हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद कई वाहनों को आग लगा दी गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे.

सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल ने राष्ट्रपति से सर्वदलीय सरकार बनाने का आग्रह किया

इस बीच, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की फ्रीडम पार्टी ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से देश में व्याप्त आर्थिक संकट से निपटने के लिए सर्वदलीय सरकार के गठन का आह्वान किया है. पार्टी ने कहा कि यदि उसके आग्रह को नहीं माना गया तो वह गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले सकती है.

पार्टी महासचिव और मंत्री दयासिरि जयशेखरा ने कहा कि केंद्रीय समिति ने शुक्रवार को निर्णय लिया कि संसद में प्रतिनिधित्व वाले सभी दलों को शामिल कर सरकार के गठन को लेकर आग्रह किया जाए.

श्रीलंका पोदुजाना पेरमुना (एसएलपीपी) गठबंधन में द श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के 14 सांसद हैं और यह सबसे बड़ा घटक दल है. सिरिसेना एसएलपीपी के अध्यक्ष हैं लेकिन मंत्री नहीं हैं.

जयशेखरा ने कहा, ‘हमने पार्टी के नेताओं से इस पर निर्णय लेने को कहा है कि अगर सरकार एक सर्वदलीय सरकार बनाने के अनुरोध को ठुकरा देती है तो एसएलएफपी को सरकार से समर्थन वापस लेना चाहिए या नहीं.’

एसएलपीपी, 11 दलों का गठबंधन है और इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)