कर्नाटक के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा के सहायक निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि बूचड़खानों के लिए लाइसेंस जारी किए जाने की शिकायतें मिलीं हैं. अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जानवरों को मारने से पहले उन्हें बेहोश करने की प्रक्रिया का पालन हो. मीट कारोबारियों को डर है कि आदेश का इस्तेमाल उन्हें परेशान करने के लिए हो सकता है.
बेंगलुरु: कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि हलाल मीट विवादों के केंद्र में आ गया है. हिंदू दक्षिणपंथी संगठन जहां हलाल मीट के ख़िलाफ़ लगातार अभियान चला रहे हैं, वहीं मीट व्यापारियों को डर लगने लगा है कि एक नियमित सरकारी सर्कुलर (आदेश) उन्हें परेशान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
इस आदेश को पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा के सहायक निदेशक ने बीते एक अप्रैल को जारी किया है, जिसमें कहा गया कि नियमों का पालन किए बिना बूचड़खानों के लिए लाइसेंस जारी किए जाने की शिकायतें मिली हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें यह भी कहा गया है कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे बूचड़खानों में स्टनिंग (Stunning – यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि बूचड़खानों में मारने से पहले जानवर बेहोश और दर्द के प्रति असंवेदनशील हो) की प्रक्रिया का पालन हो. इसका उल्लंघन करने पर 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा.
अधिकतर बूचड़खाने छोटी जगह से संचालित होते हैं, जिनमें से कुछ में ही स्टनिंग की प्रक्रिया का पालन किया जाता है. वहीं, स्टनिंग के बाद मारे गए किसी जानवर का मीट ‘हलाल’ के रूप में योग्य हो सकता है या नहीं, यह भी चर्चा का विषय है.
कर्नाटक में शनिवार को कन्नड़ नववर्ष उगादी के दिन भी हलाल मीट को लेकर विरोध तेज रहा. उगादी के अगले दिन हिंदुओं का एक वर्ग मीट का सेवन करता है. हिंदू दक्षिणपंथी संगठन हिंदुओे से आग्रह कर रहे हैं कि वे हलाल मीट दुकानों से मीट न खरीदें.
इस बीच बजरंग दल के सदस्यों द्वारा मुस्लिम दुकानों पर हमला करने और मुस्लिम रेस्तरां मालिकों से मारपीट करने के मामले भी सामने आए हैं.
वहीं, शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को शांतिपूर्ण आयोजन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि राज्य में कानून एवं व्यवस्था बाधित हुए बिना त्योहारों का आयोजन किया जाना चाहिए.
हलाल मीट के विरोध में कुछ हिंदू समर्थक संगठनों के अभियान को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बोम्मई ने कहा कि अधिकारियों को इन इलाकों में शांति बैठकें करने का निर्देश दिया गया है.
इसी समय हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती मंत्री शशिकला जोले ने कहा कि वह हलाल मीट के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का समर्थन करती हैं.
उन्होंने पत्रकारों को बताया, ‘हलाल बनाम गैर-हलाल मीट तटीय कर्नाटक का बड़ा मुद्दा है. यह राज्य के अन्य हिस्सों में नहीं है. हमारे हिंदू संगठन जो भी कर रहे हैं, वह सही लग रहा है. वह जानवरों के ‘झटका’ (प्रक्रिया के तहत जानवरों को मारना) को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं, क्योंकि इसका भगवान को भोग लगाया जाता है.’
बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि पशुपालन विभाग की ओर से जारी सर्कुलर उगादी के दौरान एक नियमित आदेश था और इसका मुश्किल से ही पालन किया जाता है. कुछ ही बूचड़खानों में जानवरों को बेहोश करने के लिए उन्हें शॉक देने की सुविधा उपलब्ध है.
पशु चिकित्सा विभाग के एक अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राज्य में जानवरों को बेहोश करने के लिए पर्याप्त पंजीकृत बूचड़खाने नहीं हैं. इस आदेश को लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका बूचड़खानों पर जुर्माना लगाने के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
केंद्र सरकार का आदेशानुसार 23 मार्च, 2001 से किसी भी जानवर या पक्षी के वध से पहले स्टनिंग बेहोश करने की प्रक्रिया की आवश्यकता होती है और यह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (बूचड़खाना) 2001 की धारा (6) उपधारा (4) के अंतर्गत आता है.
राज्य में बूचड़खानों के संगठन ऑल इंडिया जमैतुल कुरैशी के अध्यक्ष खासिम शोएबुर रहमान कुरैशी ने कहा कि इस नए सरकारी सर्कुलर का इस्तेमाल हलाल मीट विक्रेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे बहुत कम मीट निर्यातक हैं, जिनके पास यह सुविधा है. क्या इसके लिए सरकार ने बूचड़खानों का आधुनिकीकरण किया है और इस नियम के बारे में कौन जानता है.’
बेंगलुरु में दो मीट की दुकानों के मालिक संतोष हलाल की तुलना झटका मीट को लेकर चलाए जा रहे सोशल मीडिया कैंपेन के कारण इस साल सोशल मीडिया पर अच्छे कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने भी स्टनिंग प्रक्रिया के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त की है.
उन्होंने कहा, ‘जागरूकता कहां हैं और सुविधाएं कहां हैं? पशुपालन विभाग इतना भ्रष्ट है कि बूचड़खाने के लिए किसी को भी 2,000 रुपये में लाइसेंस मिल सकता है.’
मैसूर में बीते 30 सालों से बूचड़खाना चला रहे रमना केएन कहते हैं कि ग्राहक हलाल मीट लेना पसंद करते हैं, क्योंकि यह लंबे समय तक चलता है, जल्दी खराब नहीं होता. आप इसे अपने फ्रीज में रख सकते हैं और चार-पांच दिनों तक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि अन्य मीट इसकी तुलना में स्वास्थ्यवर्धक नहीं हैं.