विपक्ष द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को डिप्टी स्पीकर ने ख़ारिज कर दिया. पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री फ़ारुख़ हबीब ने कहा कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली भंग कर दी है. चुनाव 90 दिनों के भीतर कराए जाएंगे. विपक्ष अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर रविवार को नेशनल असेंबली भंग कर दी. सत्ता बचाने की कवायद में जुटे खान ने इससे कुछ मिनटों पहले उन्हें नए सिरे चुनाव कराने की सलाह दी थी.
सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री फारुख हबीब ने कहा कि राष्ट्रपति अल्वी ने प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली भंग कर दी है. उन्होंने कहा कि चुनाव 90 दिनों के भीतर कराए जाएंगे.
सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि मंत्रिमंडल को भंग कर दिया गया है.
इससे पहले 342 सदस्यीय संसद में बहुमत गंवा चुके प्रधानमंत्री खान ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा संसद के हंगामेदार सत्र को स्थगित किए जाने के बाद देश को संबोधित किया.
खान ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने के लिए आवाम को बधाई देते हुए कहा कि डिप्टी स्पीकर ने सत्ता बदलने की कोशिश और विदेशी षडयंत्र को नाकाम कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘मुल्क नए चुनावों के लिए तैयार रहे.’ उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव असल में एक विदेशी एजेंडा है.
खान ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति अल्वी को नेशनल असेंबली भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की सलाह दी है.
बता दें कि खान की इस घोषणा से कुछ मिनट पहले ही नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को संविधान के अनुच्छेद पांच के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया था.
अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि ‘राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है.’ लेख के दूसरे भाग में दावा किया गया है कि ‘संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है, चाहे वह कहीं भी हो.’
बहरहाल, विपक्ष की ओर से अध्यक्ष असद कैसर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद सूरी ने संसद के अहम सत्र की अध्यक्षता की.
विपक्ष के सदस्य जब सदन पहुंचे तो वे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आश्वस्त दिखाई दिए, लेकिन प्रस्ताव खारिज होने के बाद उन्होंने फैसले का विरोध किया. विपक्ष को खान को सरकार से बाहर करने के लिए 342 में से 172 सदस्यों के समर्थन की ज़रूरत थी , जबकि उन्होंने दावा किया कि उनके पास 177 सदस्यों का समर्थन है.
सत्र शुरू होने के कुछ ही समय बाद, सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने प्रधानमंत्री के पहले के दावों को दोहराया कि सरकार को हटाने के कदम के पीछे एक विदेशी साजिश थी.
डॉन के मुताबिक, उन्होंने कहा कि 7 मार्च को हमारे आधिकारिक राजदूत को एक बैठक में आमंत्रित किया गया था, जिसमें अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री इमरान के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया जा रहा है.
बता दें कि खान 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे और अब अपने राजनीतिक करिअर के नाजुक मोड़ पर हैं क्योंकि उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने बहुमत खो दिया. उनकी दो सहयोगी पार्टियों ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और विपक्ष के खेमे से हाथ मिला लिया.
डिप्टी स्पीकर के फैसले के बाद, पाकिस्तान में टेलीविजन स्क्रीन सांसदों के विरोध से भर गए. कुछ ही सेकंड के भीतर खान टेलीविजन पर अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के लिए पाकिस्तानी राष्ट्र को बधाई देते हुए दिखाई दिए.
पीएमएल-एन के नेता शाहबाज शरीफ ने जियो न्यूज को बताया कि संविधान का अनुच्छेद 6, जो उच्च राजद्रोह से संबंधित है, खान और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष पर लागू होगा.
विपक्षी नेताओं ने स्थानीय मीडिया में कहा है कि वे हस्तक्षेप के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और संसद के चैंबर के भीतर अपना विरोध जारी रखेंगे.
पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने मीडिया को बताया कि रविवार को मतदान सुनिश्चित करने के लिए विपक्ष नेशनल असेंबली में धरने पर बैठेगा.
उन्होंने कहा, ‘हमारे वकील भी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं… सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना है कि वोट आज ही हो. इस बचकानी हरकत ने इमरान खान को बेनकाब कर दिया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)