श्रीलंका: सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दिया, राष्ट्रपति का विपक्ष को मंत्रिमंडल में शामिल करने का प्रस्ताव

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में मदद करने के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों को मंत्री पद स्वीकार करने के लिए कहा है, लेकिन विपक्ष ने इस पूरी कवायद को नाटक करार दिया है.

People shout slogans against Sri Lankan President Gotabaya Rajapaksa in a residential area after the government imposed a curfew following a clash between police and protestors near the President's residence during a protest amid the country's economic crisis, in Colombo, Sri Lanka April 3, 2022. REUTERS/Dinuka Liyanawatte

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में मदद करने के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे ने संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों को मंत्री पद स्वीकार करने के लिए कहा है, लेकिन विपक्ष ने इस पूरी कवायद को नाटक करार दिया है.

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के ख़िलाफ़ नारे लगाते प्रदर्शनकारी. (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश के सभी 26 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. लोगों के गुस्से को शांत करने की सरकार की कोशिशों के बीच सोमवार को नये मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई जा सकती है.

देश के शिक्षा मंत्री एवं सदन के नेता दिनेश गुणवर्धने ने संवाददाताओं से कहा कि कैबिनेट मंत्रियों ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया.

उन्होंने कहा कि राजपक्षे अपने छोटे भाई एवं राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के साथ बैठक करेंगे. शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘हमने देश के हालात के बारे में विस्तार से चर्चा की. ईंधन और बिजली संकट का समाधान निकलेंगे.’

वहीं, रॉयटर्स के मुताबिक, राष्ट्रपति राजपक्षे ने सोमवार को संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों को देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने में मदद करने के लिए मंत्री पद स्वीकार करने के लिए कहा. उन्होंने विपक्ष को सरकार में शामिल होने का आमंत्रण दिया.

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी बयान में लिखा है, ‘राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सभी राजनीतिक दलों को मौजूदा राष्ट्रीय संकट का समाधान खोजने के लिए एक साथ आने के लिए आमंत्रित किया. इसे एक राष्ट्रीय जरूरत मानते हुए वक्त आ गया है कि सभी नागरिकों और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक साथ काम किया जाए.’

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सभी 26 मंत्रियों के इस्तीफे को विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा ने नौटंकी करार दिया है. उन्होंने कहा, ‘यह एक नाटक है जो हमारे देश के लोगों को ठगने के लिए किया जा रहा है. यह देश के लोगों को किसी प्रकार की राहत देने की दिशा में ईमानदार प्रयास नहीं है. यह लोगों को बेवकूफ बनाने की एक कवायद है.’

विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन राष्ट्रपति राजपक्षे के ख़िलाफ़ मार्च निकालते हुए. (फोटो: रॉयटर्स)

वहीं, श्रीलंका की केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने भी सोमवार सुबह इस्तीफा दे दिया है. साथ ही, सोमवार सुबह से 36 घंटे का कर्फ्यू भी समाप्त हो गया है लेकिन आपातकाल की स्थिति बनी हुई है.

इस बीच, श्रीलंका में ईंधन के लिए अभी भी लंबी कतारें लगी देखी जा सकती हैं.

बता दें कि लोगों में देश की आर्थिक स्थिति को संभाल नहीं पाने को लेकर सरकार के प्रति बहुत आक्रोश है. देश में विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया था, इसके बावजूद रविवार शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

बहरहाल, राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से ‘गलत तरीके से निपटे जाने’ को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था.

गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी. सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया था.

इस बीच, श्रीलंका सरकार ने व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर लगाया गया प्रतिबंध रविवार को हटा दिया. देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन से पहले देशव्यापी सार्वजनिक आपातकाल घोषित करने और 36 घंटे के कर्फ्यू के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

प्रतिबंध हटाए जाने के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर की सेवाएं 15 घंटे के बाद बहाल कर दी गईं.

इन सेवाओं को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया था.

इससे पहले ‘कोलंबो पेज’ अखबार की खबर में कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना था.

साइबर सुरक्षा और इंटरनेट पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन ‘नेटब्लॉक्स’ ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यू्ट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगाए जाने की पुष्टि की थी.

खबर में कहा गया था कि श्रीलंका के प्रमुख नेटवर्क ऑपरेटर डायलॉग, श्रीलंका टेलीकॉम, मोबीटेल, हच इस पाबंदी के दायरे में हैं. जिन सोशल मीडिया और मैसेजिंग मंचों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से इसका असर पड़ा, उनमें फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर शामिल रहे.

इस बीच, देश में लोगों ने आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन किया. दरअसल, लोगों को घंटों तक बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

कर्फ्यू के दौरान लोग आवासीय इलाके में राष्ट्रपति राजपक्षे के ख़िलाफ़ रविवार को प्रदर्शन करते हुए. (फोटो: रॉयटर्स)

विपक्षी सांसद हर्षा डी सिल्वा ने कहा, ‘हम श्रीलंका में लोकतंत्र की रक्षा करेंगे.’

विपक्षी सांसदों ने कोलंबो के इंडिपेंडेंस स्क्वायर की ओर मार्च करते हुए नारे लगाए और तख्तियां दिखाईं, जिन पर लिखा था- ‘दमन बंद करो’’ और ‘गोटा घर जाओ’.

पुलिस अधिकारियों ने स्क्वायर तक जाने वाले रास्तों पर अवरोधक लगा दिए. यह स्क्वायर 1948 में श्रीलंका की आजादी की याद में बनाया गया था.

‘कोलंबो पेज’ अखबार की खबर के अनुसार, श्रीलंकाई पुलिस ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर देश के पश्चिमी प्रांत में 664 लोगों को गिरफ्तार किया. ये गिरफ्तारियां शनिवार रात 10 बजे से रविवार सुबह छह बजे के बीच चले अभियान के दौरान की गईं.

उन्होंने बताया कि कर्फ्यू का उल्लंघन कर रहे लोगों को पकड़ने के लिए देशभर में और अभियान चलाए जा रहे हैं.

रविवार को राष्ट्रपति राजपक्षे के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान नारे लगाते और पोस्टर दिखाते लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

श्रीलंका के एक व्यक्ति ने शनिवार को आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर सक्रिय उसके बेटे का पुलिस ने अपहरण कर लिया.

अनुरुद्ध बंडारा के पिता ने कहा कि मोडेरा के उत्तरी कोलंबो पुलिस थाने से कोई व्यक्ति शुक्रवार रात उनके बेटे को ले गया. पुलिस ने बताया कि उसकी सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर उससे पूछताछ करने की आवश्यकता थी. रविवार को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया.

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

राजपक्षे ने अपनी सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा का संकट उनके द्वारा नहीं पैदा किया गया है और आर्थिक मंदी काफी हद तक महामारी के कारण आई है.

सड़कों पर तैनात श्रीलंकाई पुलिस. (फोटो: रॉयटर्स)

श्रीलंका में संकट के चलते एअर इंडिया ने उड़ानों की संख्या में कटौती की

एअर इंडिया ने रविवार को कहा कि वह मांग में कमी के चलते नौ अप्रैल से भारत-श्रीलंका के बीच अपनी उड़ानों की संख्या मौजूदा 16 से घटा कर 13 उड़ान प्रति सप्ताह करेगी.

एअर इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘फिलहाल एअर इंडिया हर हफ्ते 16 उड़ानों का संचालन कर रही है. इनमें दिल्ली से रोजाना एक उड़ान का संचालन किया जा रहा है जबकि चेन्नई से हफ्ते में नौ उड़ानें संचालित की जा रही हैं.’

प्रवक्ता ने कहा कि नए कार्यक्रम के तहत एअर इंडिया हर सप्ताह 13 उड़ानों का संचालन करेगी.

प्रवक्ता ने कहा कि चेन्नई से उड़ानों की संख्या में कोई कमी नहीं की जाएगी, जबकि दिल्ली से उड़ानों की तादाद प्रति सप्ताह सात से घटाकर चार की जाएगी.

प्रवक्ता ने कहा, ‘मांग में कमी के चलते नौ अप्रैल से दिल्ली से उड़ानों की संख्या सात से घटाकर चार की जाएगी.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)