‘नमामि गंगे’ के तहत आवंटित राशि इस्तेमाल न करने पर कैग ने बिहार सरकार की आलोचना की 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया गया. जिसके चलते 684 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं हो सके. फिर भी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पिछली किश्तों के उपयोग को सुनिश्चित किए बिना अगली किश्तों के लिए धन जारी कर दिया.

Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar attends the foundation stone laying ceremony of 'Multipurpose Prakash Kendra and Udyan' at the campus of Guru Ka Bagh in Patna, Sunday, Sept 9, 2018. (PTI Photo)(PTI9_9_2018_000102B)
नीतीश कुमार. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया गया. जिसके चलते 684 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं हो सके. फिर भी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पिछली किश्तों के उपयोग को सुनिश्चित किए बिना अगली किश्तों के लिए धन जारी कर दिया.

Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar attends the foundation stone laying ceremony of 'Multipurpose Prakash Kendra and Udyan' at the campus of Guru Ka Bagh in Patna, Sunday, Sept 9, 2018. (PTI Photo)(PTI9_9_2018_000102B)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पटना: केंद्र सरकार के ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत पटना में गंदे जल की निकासी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए स्वीकृत राशि के एक बड़े हिस्से का इस्तेमाल नहीं करने पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बिहार सरकार की आलोचना की है.

कैग रिपोर्ट को हाल ही में विधानमंडल में पेश किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, चार वित्त वर्ष में इस योजना के तहत लगभग 684 करोड़ रुपये को बिहार राज्य गंगा नदी संरक्षण और कार्यक्रम प्रबंधन सोसायटी (बीजीसीएमएस) द्वारा इस्तेमाल किया जाना था, जो नहीं किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘लेखा परीक्षा में पाया गया कि 2016-17 से 2019-20 की अवधि के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया जा रहा था. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने पिछली किश्तों के उपयोग को सुनिश्चित किए बिना अगली किश्तों के लिए धन जारी किया और नतीजतन बीजीसीएमएस के बैंक खाते में 683.10 करोड़ रुपये जमा हो गए.’

पटना पूर्वी भारत में कोलकाता के बाद सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है, जिसकी जल निकासी व्यवस्था की नींव करीब 200 साल पहले रखी गई थी और वर्तमान में यह बुरी हालात में है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि परियोजना क्रियान्वयन एजेंसी, बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बिडको), भी कार्यों को पूरा करने के लिए निर्धारित समय सीमा का पालन करने में विफल रही है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार (पटना सहित) में सीवरेज के बुनियादी ढांचे की कमी के कारण 2016-17 के दौरान पानी में टोटल कॉलीफॉर्म (टीसी) और फेकल कॉलीफॉर्म (एफसी) की अधिकतम मात्रा क्रमश: 9000 एमपीएन/100 एमएल और 3100 एमपीएन/100 एमएल के स्तर तक मापी गई थी.

2019-20 में यह बढ़कर 1,60,000 एमपीएन/100 एमएल (टीसी और एफसी दोनों के लिए) तक बढ़ी गई है. यह इस अवधि के दौरान पानी की गुणवत्ता में क्रमिक गिरावट को दर्शाता है.

कैग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गंगा समग्र के संयोजक (दक्षिण बिहार) शंभूनाथ पांडेय ने कहा, ‘गंगा नदी अपनी कई सहायक नदियों के साथ भारतीय सभ्यता का भौतिक और आध्यात्मिक पोषण का स्रोत रही है. यह राष्ट्रीय चिंता का विषय है. मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.’

गंगा समग्र एक संगठन है जो गंगा की सफाई के महत्व के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करता है.

बिडको के प्रबंध निदेशक धर्मेंद्र सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, ‘मुझे अभी तक कैग की रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन हम जल्द ही सभी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने और उन्हें मजबूती देने का काम पूरा कर लेंगे.  ’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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