क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं

केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.

(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन: रॉयटर्स)

केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.

(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन: रॉयटर्स)

भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के कर निहितार्थ के बारे में काफी अनिश्चितता के बाद केंद्र सरकार ने अंततः 2022-23 के केंद्रीय बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत के समग्र कर की घोषणा की.

क्रिप्टो रिसर्च एजेंसी क्रेबैको (CREBACO) ने बताया है कि 30% टैक्स लागू होने के बाद पहले दो दिनों में भारतीय एक्सचेंज में इसके वॉल्यूम में लगभग 55% की और डोमेन ट्रैफिक में 40% से अधिक की गिरावट देखी है. यह कई मायनों में इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिप्टो स्पेस नए कर दिशानिर्देशों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है.

दूसरी ओर, भारत सरकार ने ग्यारह क्रिप्टो एक्सचेंज से चुकाई नहीं गई जीएसटी के 95.86 करोड़ रुपये (958 मिलियन डॉलर) की वसूली की है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कई क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे कॉइन डीसीएक्सम बाई यूकॉइन, कॉइन स्विच कुबेर, अनकॉइन और फ्लिटपे (Coin DCX, Buy Ucoin, Coin Switch Kuber, Unocoin , Flitpay) द्वारा बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता लगाया था. हालांकि, ज़ानमाई लैब्स  बड़ी चोरी का पता लगा था, जहां वज़ीरएक्स नाम का एक क्रिप्टो एक्सचेंज संचालित होता था.

जीएसटी की वसूली और क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30% कर ने भारत में क्रिप्टो टैक्स पर चल रही बहस को बढ़ाया ही है.

30 प्रतिशत कर का नियम 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी हुआ है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22 की अवधि) के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर भी कर लगाया जाएगा. इसके लिए आयकर अधिनियम, 1961 में एक नई धारा 115 BBH जोड़ी गई है.

वीडीए पर लगे अन्य करों में ट्रांसफर पर एक प्रतिशत टीडीएस, कोई बुनियादी छूट नहीं, किसी नुकसान पर कोई सेट-ऑफ नहीं, होल्डिंग अवधि के बावजूद कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं है और उपहार का लगने वाला टैक्स भी शामिल हैं.

भारत में स्टॉक और इक्विटी फंड से होने वाले लाभ पर 10-15 प्रतिशत और गैर-इक्विटी विकल्प, संपत्ति और सोने पर 20 प्रतिशत या मामूली दर से कर लगाया जाता है. वर्चुअल संपत्तियों पर इतनी ऊंची दर पर टैक्स लगाने को उद्योग के हितधारकों ने आक्रामक कदम माना है.

वीडीए पर लगे नए कर में क्रिप्टो संपत्तियां जैसे बिटकॉइन, डॉगकोइन आदि, नॉन-फंजीबाल टोकन (एनएफटी) और ऐसी कोई भी संपत्ति जो भविष्य में विकसित हो सकती है, शामिल हैं. गौर करने वाली बात यह है कि महज क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों पर टैक्स लगाने से वे भारत में वैध नहीं हो जाते हैं. यहां परिभाषा, कराधान और गणना (computation) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता का व्यापक अभाव है.

यहां तक कि कुछ समय पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार या वर्चुअल डिजिटल मुद्रा वैध है या नहीं.

सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में वीडीए को विनियमित करने वाला एक कानून पेश किया जाएगा – लेकिन तब जब उनके विनियमन पर वैश्विक सहमति बन जाएगी. सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कानून पर काम कर रही है, लेकिन इसे तैयार होने में समय लग सकता है.

क्रेबैको के अनुसार, 105 मिलियन से अधिक लोग, जो भारत की कुल आबादी का 7.90 प्रतिशत है, वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. उच्च कर दर बड़े निवेशकों को प्रभावित नहीं करेगी, जो थे पहले से ही 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में थे लेकिन छोटे निवेशक और छात्र, जो अब तक क्रिप्टो निवेश पर टैक्स फ्री रिटर्न का लाभ ले रहे थे, अब प्रभावित होंगे.

देश के प्रमुख डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ज़ेरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ का मानना ​​है कि ‘अन्य टोकन या कटौती के खिलाफ नुकसान को सेट-ऑफ करने के विकल्प के बिना 30% टैक्स टर्नओवर में गिरावट का कारण बन सकता है.’

1 जुलाई 2022 से नफे या नुकसान की स्थिति में किसी रेजिडेंट सेलर द्वारा वीडीए के ट्रांसफर पर एक प्रतिशत कर कटौती (टीडीएस) लागू होगा. हालांकि यह कटौती कुल देयता (liability) के साथ एडजस्ट हो जाती है और टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बाद में रिफंड का दावा किया जा सकता है. लेकिन हितधारकों की शिकायत है कि प्रावधान लिक्विडिटी को प्रभावित कर रहा है और ऐसे व्यापारी, जो ऐसी संपत्ति की लगातार खरीद-बिक्री में शामिल होते हैं, बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारी एक वर्ष में 300 बार ट्रेड कर रहा है, तो उसकी पूरी पूंजी टीडीएस में लॉक हो सकती है.

इस प्रावधान को विभिन्न कारणों से सबसे अधिक समस्याग्रस्त माना जा रहा है. पूंजी का ऐसे लॉक हो जाना और अनावश्यक अनुपालन आवश्यकताओं को बढ़ाने के अलावा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ‘ट्रांसफर’ के दायरे में क्या-क्या आता है.

उल्लेखनीय है कि क्रिप्टो को न केवल खरीदा और बेचा जाता है, बल्कि एयरड्रॉप, फोर्किंग, स्टेकिंग, पी2पी लेंडिंग और वॉलेट ट्रांसफर के माध्यम से भी लेन-देन होता है. इसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या ट्रांसफर के ये सभी तरीके उन ट्रांसफर जिन पर टीडीएस कटौती लागू होगी, के दायरे में आएंगे.

2022-23 के केंद्रीय बजट में कहा गया है कि टीडीएस काटने और जमा करने की जिम्मेदारी खरीदार पर होगी. हालांकि, खरीदार के पास विक्रेता डेटा जैसे पैन आदि की अनुपलब्धता सरीखी लॉजिस्टिक कठिनाइयों के कारण यह जिम्मेदारी एक्सचेंज पर आ सकती है.

भारत में वीडीए पर टैक्स देते समय अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी व्यय के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं होगी. इसी तरह, ऐसी संपत्ति के ट्रांसफर से लाभ कमाने वाले व्यक्ति पर कर लगाते समय किसी भी छूट पर विचार नहीं किया जाएगा, चाहे उनकी आय या उम्र कुछ भी हो.

हितधारकों ने इन टैक्स प्रावधानों को निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इंडेक्सेशन जैसे उपायों के माध्यम से निवेशकों को इस तरह के निवेश को लंबी अवधि के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय सरकार एक प्रतिशत टीडीएस के नियम के जरिये बार-बार व्यापारियों को सजा-सी दे रही है.

ओकेएक्स डॉट कॉम (OKX.com) के सीईओ जय हाओ के अनुसार, ‘क्रिप्टोकरंसी एसेट्स से 30% पर लाभ का कर सभी हितधारकों को समान रूप से खुश नहीं कर सकता है. उच्च कर निवेशकों को क्रिप्टो को निवेश के तरीके के रूप में चुनने के लिए हतोत्साहित कर सकते हैं और इससे भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर जनता द्वारा अपनाए जाने में भी देरी हो सकती है.’

उद्योग से जुड़े पर्यवेक्षकों को डर है कि इस तरह के कदम से उद्योग या तो अंडरग्राउंड हो जाएगा, या भारत से बाहर थाईलैंड, यूएई और जापान जैसे देशों, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी हब बनने के लिए अपनी कर दरों को कम कर दिया है, में स्थानांतरित हो जाएगा. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी आगे चलकर अर्थव्यवस्था के हर पहलू को परिभाषित करेगी, और यदि भारत सुगम शासन के माध्यम से इस तरह के नवाचारों को अपनाने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान नहीं करता है, तो यह प्रमुख व्यवसायों और निवेशों को खो सकता है.

(वैशाली बसु शर्मा रणनीतिक और आर्थिक मसलों की विश्लेषक हैं. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट के साथ लगभग एक दशक तक काम किया है.)

pkv bandarqq dominoqq pkv games dominoqq bandarqq sbobet judi bola slot gacor slot gacor bandarqq pkv pkv pkv pkv games bandarqq dominoqq pkv games pkv games bandarqq pkv games bandarqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa judi parlay judi bola pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games pkv games bandarqq pokerqq dominoqq pkv games slot gacor sbobet sbobet pkv games judi parlay slot77 mpo pkv sbobet88 pkv games togel sgp mpo pkv games
slot77 slot triofus starlight princess slot kamboja pg soft idn slot pyramid slot slot anti rungkad depo 50 bonus 50 kakek merah slot bandarqq dominoqq pkv games pkv games slot deposit 5000 joker123 wso slot pkv games bandarqq slot deposit pulsa indosat slot77 dominoqq pkv games bandarqq judi bola pkv games pkv games bandarqq pkv games pkv games pkv games bandarqq pkv games depo 25 bonus 25 slot depo 10k mpo slot pkv games bandarqq bandarqq bandarqq pkv games pkv games pkv games pkv games slot mahjong pkv games slot pulsa