पुलिस के अनुसार, वह सभी आरोपियों पर जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) भी लगाने की तैयारी कर रही है. जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज़ अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बंद थी. हाल ही में पुलिस ने इसकी अनुमति दी है.
जम्मू कश्मीर: श्रीनगर की जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद नारे लगाने वाले 13 युवकों को जम्मू कश्मीर पुलिस ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है और बताया है कि वह उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाने की तैयारी में है, साथ ही कहा है कि वह और भी लोगों पर कार्रवाई कर सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शुक्रवार को वायरल हुए वीडियो में युवाओं के एक समूह को श्रीनगर ग्रैंड मस्जिद में आजादी समर्थक और ‘राष्ट्र-विरोधी’ नारे लगाते हुए देखा जा सकता है.
पुलिस ने हाल ही में जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज की अनुमति दी है, जिस पर अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से रोक थी.
पुलिस ने कहा कि शुक्रवार को मस्जिद में करीब 24,000 लोग मौजूद थे. यह हालिया समय का सबसे बड़ा जमावड़ा था.
एक विज्ञप्ति में पुलिस ने कहा कि उन्होंने 13 युवकों की पहचान की है और उन पर धारा 124ए (राजद्रोह) और 447 व 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
पुलिस ने कहा, ‘शुरुआती जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि आरोपी एक सुनियोजित षड्यंत्र को आगे बढ़ा रहे थे और उन्हें आतंकी संगठनों के पाकिस्तानी आकाओं से जामिया में जुमे की नमाज को बाधित करने के निर्देश मिल रहे थे, ताकि उपस्थित लोगों को भड़काकर कानून-व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की स्थिति निर्मित की जा सके. इस मामले में धारा 120बी लगाई गई है.’
यह पूछे जाने पर कि उसने इन 13 लोगों की पहचान कैसे की, पुलिस ने बताया, ‘पहचान के लिए तकनीकी साधनों को अपनाया गया और विभिन्न जगहों पर छापे मारे गए, जिसके चलते नारे लगाकर भड़काने वाले दो मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. जिनके नाम बशरत नबी भट और उमर मंजूर शेख हैं. बाद में 11 और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जो कि जामिया मस्जिद के अंदर नारेबाजी और गुंडागर्दी में शामिल थे.’
और भी गिरफ्तारियों की ओर इशारा करते हुए पुलिस ने कहा, ‘कई और संदिग्ध व्यक्तियों की जांच की जा रही है और जैसे ही इस मामले में उनकी भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आती है, उन्हें औपचारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’
पुलिस ने बताया कि वह सभी आरोपियों पर पीएसए लगाने की तैयारी में है. बता दें कि यह कठोर क़ानून किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे के एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है.
पुलिस ने आगे कहा कि नारेबाजी के चलते मस्जिद की इंतेजामिया (प्रबंधन) समिति के स्वयंसेवकों और नारेबाज युवकों के बीच कहासुनी भी हुई. स्वयंसेवक उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे.
पुलिस ने बताया कि गुंडों को स्वयंसेवकों द्वारा मस्जिद से बाहर निकाल दिया गया था.
पुलिस ने कहा, ‘बाहर आने के बाद भी, उनमें से दर्जनभर से अधिक ने लोगों को भड़ाकने के लिए भड़काऊ नारे लगाना जारी रखा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. बाद में वे पुलिस की मौजूदगी को देखकर इधर-उधर बिखर गए.’