श्रीलंका संकट: राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों का दौर जारी, विपक्ष की अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी

श्रीलंका सरकार आर्थिक सहायता के लिए 11 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत करने वाली है. वहीं, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सरकार के बचाव में कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट उनका खड़ा किया हुआ नहीं है और आर्थिक मंदी का कारण महामारी है जिसने पर्यटन को प्रभावित किया.

कोलंबो में एक प्रदर्शन की तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

श्रीलंका सरकार आर्थिक सहायता के लिए 11 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत करने वाली है. वहीं, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सरकार के बचाव में कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट उनका खड़ा किया हुआ नहीं है और आर्थिक मंदी का कारण महामारी है जिसने पर्यटन को प्रभावित किया.

कोलंबो में जारी एक प्रदर्शन की तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के तहत 10,000 से अधिक लोग ‘गाले फेस ग्रीन’ पार्क में इकट्ठे हुए और उन्होंने रातभर प्रदर्शन किया.

श्रीलंका, ब्रिटेन से 1948 में आजादी हासिल करने के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देशवासी कई घंटों की बिजली कटौती, गैस, खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी के विरोध में कई हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं.

शनिवार को दिन से ही समाज के सभी तबके के लोगों ने गाले फेस में इकट्ठा होना शुरू कर दिया, इसी स्थान पर सचिवालय है और शाम होते-होते पूरा रास्ता प्रदर्शनकारियों से भर गया और यातायात अवरुद्ध हो गया.

एक प्रदर्शनकारी ने रविवार सुबह छह बजे सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा, ‘हम अब भी यहां हैं.’ प्रत्यदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने रात भर प्रदर्शन किया.

वे राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग करते हुए ‘घर जाओ गोटा’ जैसे नारे लगा रहा थे. एक प्रदर्शनकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह मजाक नहीं है. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हमारे पास बिजली, ईंधन और दवाइयां नहीं है.’

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘उन्हें जाना चाहिए, उनके पास कोई रास्ता नहीं हैं.’

गौरतलब है कि संकट के समाधान और आर्थिक कुप्रबंधन के लिए राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर हजारों लोग कई हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे हैं.

राष्ट्रपति और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, राजनीतिक रूप से शक्तिशाली अपने परिवार के सार्वजनिक आक्रोश का केंद्र बनने के बावजूद सत्ता पर काबिज हैं. सरकार का अनुमान है कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में श्रीलंका की पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को 14 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है.

सरकार का आर्थिक सहायता के लिए 11 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ बातचीत का कार्यक्रम है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बातचीत में संभावित राहत पैकेज पर चर्चा होना संभव है, जिसमें विदेशी ऋण के पुनर्गठन पर सहायता भी शामिल है.

वहीं, सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन का 10 दलीय गठबंधन सर्वदलीय अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे से मिलने वाला है.

मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने कहा कि उन्हें सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बैठक करनी है. एसजेपी ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए सांसदों के हस्ताक्षर लेने शुरू कर दिए हैं.

वहीं, राष्ट्रपति ने सरकार का बचाव किया है. उन्होंने कहा है कि विदेशी मुद्रा संकट उनका खड़ा किया हुआ नहीं है और आर्थिक मंदी का कारण महामारी रही, जिसने पर्यटन से प्राप्त राजस्व को प्रभावित किया.

बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति ने देश में बदतर आर्थिक हालात को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर एक अप्रैल को सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा की थी. तीन अप्रैल को होने वाले व्यापक विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर आपातकाल लगाया गया था.

बाद में, श्रीलंका के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था और राष्ट्रपति ने विपक्ष को सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था.
बाद में कर्फ्यू और आपातकाल हटा दिए गए लेकिन राष्ट्रपति ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)